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फ्रांस की कैरोलिन गार्सिया ने 7 नवंबर 2022 को आर्या सबलेंका कोसीधे सेटों में हराकर डब्ल्यूटीए (महिला टेनिस संघ) 2022 का फाइनल जीता लिया ।
डब्ल्यूटीए फाइनल जो साल के डब्ल्यूटीए टूर्नामेंट की समापन टूर्नामेंट होती है जिसमे डब्ल्यूटीए के शीर्ष 8 रैंक वाले वाली महिला खिलाड़ी भाग लेती हैं। इस बार इसका आयोजन 31 अक्टूबर -7 नवंबर 2022 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास के फोर्थ वर्थ में की गई थी।
कैरोलीन गार्सिया ,2005 में एमिली मौरेस्मो के बाद टूर्नामेंट जीतने वाली दूसरी फ्रांसीसी महिला हैं।
सबलेंका इस टूर्नामेंट में बेलारूस के झंडे के नीचे नहीं खेल रही थी क्योंकि डब्ल्यूटीए ने यूक्रेन युद्ध के कारण बेलारूस और रूस के खिलाड़ियों को उनके राष्ट्रीय झंडे के तहत भाग लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है ।
पोलैंड की इगा स्विएटेक ने विश्व की नंबर 1 रैंकिंग वाली महिला खिलाड़ी के रूप में 2022 टेनिस वर्ष का समापन किया।
महिला टेनिस संघ (डब्ल्यूटीए)
इसकी स्थापना महान महिला टेनिस खिलाड़ी बिली जीन किंग ने 1973 में दुनिया में पेशेवर महिला टेनिस खिलाड़ियों के एक संघ के रूप में की थी।
डब्ल्यूटीए महिला टेनिस टूर्नामेंट का आयोजन करता है जिसे टूर कहा जाता है जिसमें 50 से अधिक स टूर्नामेंट और चार ग्रैंड स्लैम शामिल हैं।
वर्ष का समापन डब्ल्यूटीए फाइनल के साथ होता है।
डब्ल्यूटीए का कॉर्पोरेट मुख्यालय सेंट पीटर्सबर्ग, फ़्लोरिडा में है, जिसका यूरोपीय मुख्यालय लंदन में है और इसका एशिया-प्रशांत मुख्यालय बीजिंग में है।
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भारत सरकार ने 8 नवंबर 2022 को शर्म-एल- में चल रहे पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी-27) के दौरान इंडिया पैविलियन में “नागरिक केंद्रित ऊर्जा संक्रमण: मिशन लाइफ के साथ नागरिकों का सशक्तिकरण (पर्यावरण के लिए जीवन शैली)” पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी किया।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एवं विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा), सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) और काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ भागीदारी में किया गया था
सीओपी-27 सम्मेलन का आयोजन यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के द्वारा 6 -18 नवंबर 2022 तक शर्म-अल-शेख में किया जा रहा है, जिसमें मिस्र मेजबान देश है।
सम्मेलन में ऊर्जा कुशल और कम कार्बन वाली प्रौद्योगिकियों को लागू करने में तेजी के साथ-साथ वैश्विक ऊर्जा संक्रमण को सुविधाजनक और मजबूत बनाने के लिए बाजार निवेश बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुई।
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भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, और फ्रांसीसी वायु और अंतरिक्ष बल (एफएएसएफ) के वायु सेना प्रमुख जनरल स्टीफन मिल ने जोधपुर में चल रहे युद्धाभ्यास गरुड़ VII में 8 नवंबर 2022 को संयुक्त उड़ान भरी ।
7वां 'गरुड़ ' अभ्यास 26 अक्टूबर से 12 नवंबर 2022 तक वायु सेना स्टेशन जोधपुर में आयोजित किया जा रहा है।
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमान उड़ाया जबकि जनरल स्टीफन मिल ने भारतीय सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमान उड़ाया।
पहली बार स्वदेशी एलसीए तेजस और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भाग ले रहे हैं। एलसीए और एलसीएच प्रचंड के अलावा भारतीय वायुसेना के दल में सुखोई-30 एमकेआई, राफेल और जगुआर लड़ाकू विमान एवं साथ ही एमआई-17 हेलीकॉप्टर शामिल हैं । भारतीय वायुसेना की टीम में फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट, एवाक्स, एईडब्ल्यू एंड सी और गरुड़ स्पेशल फोर्सेज जैसी कॉम्बैट एनेबलिंग एसेट्स भी शामिल हैं ।
चार फ्रांसीसी वायु सेना के चार राफेल लड़ाकू विमान और एक ए-330 मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट (एमआरटीटी) विमान अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2022 को भारत के जी -20 अध्यक्षता के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया। भारत 1 दिसंबर 2022 को इंडोनेशिया से जी -20 की अध्यक्षता संभालेगा।
प्रतीक चिन्ह
जी -20 लोगो भारत के राष्ट्रीय ध्वज के जीवंत रंगों से प्रेरणा लेता है - केसरिया, सफेद और हरा, और नीला। यह भारत के राष्ट्रीय फूल कमल के साथ ग्रह पृथ्वी को जोड़ता है जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है।
पृथ्वी जीवन के प्रति भारत के ग्रह-समर्थक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य में है। जी -20 लोगो के नीचे देवनागरी लिपि में "भारत" लिखा है।
थीम
भारत के जी -20 प्रेसीडेंसी का विषय - "वसुधैव कुटुम्बकम" या "एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य" - महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है।
यह विषय सभी जीवन, मानव, पशु, पौधे और सूक्ष्मजीवों के मूल्य और पृथ्वी ग्रह पर और व्यापक ब्रह्मांड में उनके परस्पर संबंध की पुष्टि करता है।
लोगो और थीम का संदेश
लोगो और थीम मिलकर भारत के जी -20 प्रेसीडेंसी का एक शक्तिशाली संदेश देते हैं, जो इस अशांत समय में, एक स्थायी, समग्र, जिम्मेदार और समावेशी तरीके से दुनिया में सभी के लिए न्यायसंगत और समान विकास के लिए प्रयास कर रहा है।
भारत के लिए, जी -20 प्रेसीडेंसी "अमृतकाल" की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो 15 अगस्त 2022 को अपनी स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ से शुरू होने वाली 25 साल की अवधि है।
जी20 एपीपी
एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर एक मोबाइल ऐप "जी20 इंडिया" जारी किया गया है।
जी 20 ,19 देशों और यूरोपीय संघ का एक बहुपक्षीय संगठन है जिसकी स्थापना 1999 में हुई थी । भारत जी 20 का संस्थापक सदस्य हैै।
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भारत 18 और 19 नवंबर 2022 को नई दिल्ली में 2 दिवसीय "नो मनी फॉर टेररिज्म" के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा। सम्मेलन की मेजबानी भारत की प्रमुख आतंकवाद विरोधी एजेंसी, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)द्वारा की जाएगी। एग्मोंट समूह के सदस्य राज्यों के मंत्रियों, राजनयिकों और आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों के इस तीसरे सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है।
इस तरह की पहली बैठक 2018 में पेरिस, फ्रांस में हुई थी और दूसरी 2019 में मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। भारत को तीसरे सम्मेलन की मेजबानी करनी थी, लेकिन इसे कोविड -19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था।
एग्मोंट समूह
एग्मोंट समूह 150 से अधिक देशों का संघ है। इसमें सदस्य देशों की वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) शामिल है। एग्मोंट समूह का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और संबंधित विधेय अपराधों से निपटने के लिए अपने सदस्यों के बीच सूचना-साझाकरण तंत्र को मजबूत करना है।
वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) क्याहै
वित्तीय खुफिया इकाइयां (एफआईयू) संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट और प्रासंगिक मनी लॉन्ड्रिंग जानकारी, और आतंकवादी वित्तपोषण की प्राप्ति और विश्लेषण के लिए राष्ट्रीय केंद्रों के रूप में कार्य करती हैं। एफआईयू देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच ऐसी जानकारी साझा करने के लिए भी जिम्मेदार होता हैं।
भारत में एफआईयू केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत आयकर विभाग के अंतर्गत आता है।
यह भारत द्वारा आयोजित आतंकवाद पर दूसरा बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होगा। पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति की बैठक न्यूयॉर्क के बाहर 28 और 29 अक्टूबर 2022 को भारत में आयोजित की गई थी।
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केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने 7 नवंबर 2022 को 22वें विधि आयोग का गठन किया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी को विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया।
पांच सदस्यीय 22वें विधि आयोग का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी हाल ही में उस न्यायाधीश के रूप में सुर्खियों में थीं, जिसने हिजाब पर फैसला सुनाने वाली कर्नाटक उच्च न्यायालय की पीठ का नेतृत्व किया था।
विधि आयोग के अन्य सदस्य
केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति केटी शंकरन, प्रो. आनंद पालीवाल, प्रो. डीपी वर्मा, प्रो. (डॉ.) राका आर्य और एम करुणानिधि को विधि आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान, 21वें विधि आयोग के अध्यक्ष थे, जिनका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था।
भारत में विधि आयोग
विधि आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है जिसे भारत में कानूनों में सुधार का सुझाव देने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया है।
इसकी सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी नहीं हैं।
विधि आयोग का प्रावधान चार्टर एक्ट 1833 में किया गया था और पहला विधि आयोग 1834 में लॉर्ड थॉमस बबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था।
भारतीय दंड संहिता 1860 मैकाले आयोग की सिफारिश पर आधारित है।
स्वतंत्र भारत में पहला विधि आयोग 1955 में स्थापित किया गया था और एम.सी. सीतलवाड़ जो भारत के पहले अटॉर्नी जनरल भी थे, विधि आयोग के अध्यक्ष थे।
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संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक जलवायु एकजुटता संधि का आह्वान किया है जिसमें विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाएं एक आम रणनीति के आसपास एकजुट होती हैं और जलवायु संकट को दूर करने के लिए संसाधनों को जोड़ती हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
7 नवंबर को मिस्र में पार्टियों के सीओपी 27 संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर, उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संधि सभी देशों को कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करेगी।
उन्होंने कहा कि कम आय वाले देशों का समर्थन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिए।
COP27 में विश्व नेताओं के उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा कि सभी देशों को उत्सर्जन में कटौती और कोयला संयंत्रों के निर्माण को समाप्त करने के लिए "अतिरिक्त प्रयास" करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं - संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन - की इस समझौते को वास्तविकता बनाने के प्रयासों में शामिल होने की विशेष जिम्मेदारी है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग COP27 में भाग नहीं लिया, हालांकि चीन ने वार्ताकारों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजा है।
गुटेरेस ने चरम मौसम की घटनाओं के लिए एक वैश्विक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के लिए एक योजना भी शुरू की, यह एक ऐसी परियोजना है जिसके पहले पांच वर्षों में 3.1 अरब डॉलर खर्च होंगे।
यह ग्रह पर किसी भी तूफान और गर्मी की लहरों जैसे चरम मौसम के बारे में अग्रिम चेतावनियों को लोगों तक पहुंचाएगा।
COP27 जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र की 27वीं वार्षिक बैठक है। यह 18 नवंबर तक शार्म अल शेख में हो रहा है।
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8 नवंबर को हर साल विश्व रेडियोग्राफी दिवस मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह दिन एक्स-रे के जन्म की वर्षगांठ का प्रतीक है।
एक्स-रे चिकित्सा उद्योग में नैदानिक उपकरणों में से एक के रूप में एक बड़ी भूमिका निभाता है जो डॉक्टरों को कई प्रकार की समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है, और उनका बेहतर और समय पर इलाज करने के लिए रोगों का निदान करता है।
एक्स-रे ने रोग के निदान को आसान और दर्द रहित बना दिया है।
यह दिन एक्स-रे को संभव बनाने वाले रेडियोग्राफरों और रेडियोलॉजिस्ट की कड़ी मेहनत को पहचानने में भी मदद करता है।
यह रेडियोलॉजी का 11वां अंतर्राष्ट्रीय दिवस है और यह दुनिया भर के सभी मेडिकल इमेजिंग पेशेवरों द्वारा मनाया जाता है।
रेडियोलॉजी 2022 के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय - "रोगी की सहायता करने वाले रेडियोलॉजिस्ट और रेडियोग्राफर।"
इस दिवस की पृष्ठभूमि
वर्ष 1895 में प्रोफेसर विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन ने एक्स-रे की खोज की थी, जब वह अपनी प्रयोगशाला में कैथोड-रे ट्यूब के साथ काम कर रहे थे।
उन्होंने अपनी ट्यूब के पास एक मेज पर क्रिस्टल की एक फ्लोरोसेंट चमक देखी, जिसमें नेगेटिव और पॉजिटिव इलेक्ट्रोड वाला एक बल्ब था।
जब ट्यूब से हवा निकाली गई और एक उच्च वोल्टेज लगाया गया तो ट्यूब ने एक फ्लोरोसेंट चमक उत्पन्न की।
जब ट्यूब को काले कागज से ढक दिया गया और उस सामग्री को ट्यूब से कुछ फीट की दूरी पर रखा गया, तो इससे एक हरे रंग की फ्लोरोसेंट रोशनी उत्पन्न हुई।
उन्होंने पाया कि किरणें मानव ऊतकों से होकर गुजर सकती हैं लेकिन हड्डियों और धातु से नहीं।
पहला विश्व रेडियोग्राफी दिवस 2007 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ रेडियोग्राफर्स एंड रेडियोलॉजिकल टेक्नोलॉजिस्ट्स द्वारा 8 नवंबर को मनाया गया था।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 8 नवंबर को कहा, इस साल अब तक यूरोप में लू (हीट वेव) के कारण कम से कम 15,000 लोगों की मौत हो चुकी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा गर्मी के 3 महीनों के दौरान दर्ज की गईं रिपोर्ट के अनुसार, स्पेन में लगभग 4,000, पुर्तगाल में 1,000 से अधिक, यूनाइटेड किंगडम में 3,200 से अधिक और जर्मनी में लगभग 4,500 मौतें हुई हैं।
जून-अगस्त के तीन महीने यूरोप में सबसे गर्म रहे।
उदाहरण के लिए, फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड इकोनॉमिक स्टडीज (INSEE) ने बताया कि 2019 में इसी अवधि की तुलना में 1 जून और 22 अगस्त 2022 के बीच 11 000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
यूरोप में तापमान 1961-2021 की अवधि में लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की औसत दर से बढ़ा है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह सबसे तेजी से गर्म होने वाला क्षेत्र है।
पिछले 50 वर्षों में यूरोपीय क्षेत्र में अत्यधिक तापमान के कारण 148,000 से अधिक लोगों की जान चली गई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)
विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जिसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी।
WHO का मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड
सदस्य: 194 देश
WHO के महानिदेशक: इथियोपिया के टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर रिलीज के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित सूखा-सहिष्णु बासमती चावल के उपयोग को अधिसूचित किया है।
पूसा बासमती (पीबी) 1882 की नई किस्म अनाज के फूल आने की अवस्था के दौरान कम वर्षा की स्थिती का सामना कर सकती है। पारंपरिक किस्म में पौधे के फूल आने के दौरान अपर्याप्त वर्षा से चावल की उत्पादकता में गिरावट आती है।
साथ ही इस नई किस्म की धान में रोपाई की कोई आवश्यकता नहीं होगी जैसा कि पारंपरिक तरीकों से किया जाता है। चावल की इस किस्म को सीधे खेत में बोया जा सकता है जिससे पानी की भारी बचत होगी।
आईएआरआई के प्रमुख वैज्ञानिक एस गोपाल कृष्णन के अनुसार, रोपाई विधि से उगाए गए चावल में एक किलो चावल के उत्पादन के लिए करीब 3000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि सीधी बोने की विधि के माध्यम से बोई गई नई किस्म से पानी के उपयोग पर भारी बचत होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि दो साल के फील्ड परीक्षण के दौरान नई किस्म ने 4.6 टन/हेक्टेयर की औसत उपज दी थी, जबकि इसकी मूल किस्म पीबी 1 की औसत उपज 4.2 टन/हेक्टेयर है ।
भारत का बासमती उत्पादक क्षेत्र
भारत के प्रमुख बासमती चावल उगाने वाले क्षेत्रों में खेती के लिए नई पीबी.2 किस्म की सिफारिश की गई है।
भारत में बासमती चावल उत्पादन के क्षेत्र जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश राज्य हैं।
भारत दुनिया में बासमती चावल के प्रमुख निर्यातकों में से एक है। ईरान, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और यमन गणराज्य भारत से बासमती चावल के प्रमुख खरीदार हैं। (स्रोत एपीडा)
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई)
इसे 1905 में पूसा, बिहार में कृषि अनुसंधान संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था। 1936 में इसे नई दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।
आजादी के बाद इसका नाम बदलकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान कर दिया गया।
यह मूल रूप से कृषि और उसके संबद्ध क्षेत्र में फसल उत्पादकता बढ़ाने और एक स्थायी कृषि उत्पादन प्रणाली के लिए एकीकृत फसल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए अनुसंधान में लगा हुआ है।
इसने गेहूं और चावल के संकर बीज विकसित किए जिससे भारत में हरित क्रांति हुई।
मुख्यालय: नई दिल्ली
निर्देशक: अशोक कुमार सिंह
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भारती एयरटेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गोपाल विट्टल को 1 जनवरी 2023 से शुरू होने वाले 2 साल की अवधि के लिए ग्लोबल सिस्टम फॉर ग्लोबल एसोसिएशन (जीएसएमए) के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया है। वह जीएसएमए में पद संभालने वाले दूसरे भारतीय हैं।
इससे पहले भारती एयरटेल के संस्थापक और अध्यक्ष, सुनील भारती मित्तल को 2017-18 में जीएसएमए अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
टेलीफ़ोनिका समूह के सीईओ जोस मारिया अल्वारेज़-पैलेट लोपेज़ जीएसएमए बोर्ड के अध्यक्ष हैं। टेलीफ़ोनिका एक स्पेनिश बहुराष्ट्रीय दूरसंचार कंपनी है।
ग्लोबल सिस्टम फॉर ग्लोबल एसोसिएशन (जीएसएमए)
जीएसएमए की स्थापना 1995 में दूरसंचार कंपनियों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ के रूप में हुई थी जो जीएसएम मोबाइल प्लेटफॉर्म का उपयोग करती है।
मोबाइल संचार के लिए ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (जीएसएम) तकनीक को ग्रुप स्पेशल मोबाइल (जीएसएम) द्वारा विकसित किया गया था।
ग्रुप स्पेशल मोबाइल (जीएसएम) का गठन 1982 में यूरोपीय डाक और दूरसंचार परिसंघ (सीईपीटी) द्वारा पैन-यूरोपीय मोबाइल प्रौद्योगिकी को डिजाइन करने के लिए किया गया था।
आज जीएसएम दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली डिजिटल वायरलेस तकनीक है।
दुनिया में अन्य वायरलेस प्रौद्योगिकियां सीडीएमए (कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस) और टीडीएमए (टाइम डिवीजन मल्टीपल एक्सेस) हैं।
जीएसएमए का मुख्यालय: लंदन, यूनाइटेड किंगडम
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यूनेस्को के एक नए आंकड़ों के मुताबिक, 2050 तक विश्व धरोहर स्थलों में से एक तिहाई ग्लेशियर गायब हो जाएंगे।
यूनेस्को की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
रिपोर्ट में तापमान वृद्धि को सीमित करने के प्रयासों की परवाह किए बिना ग्लेशियरों के त्वरित पिघलने पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में वैश्विक तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होती है, तो अन्य दो तिहाई ग्लेशियरों को बचाना अभी भी संभव है।
आईयूसीएन के साथ साझेदारी में यूनेस्को द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि ये ग्लेशियर CO2 उत्सर्जन और उच्च तापमान के कारण वर्ष 2000 से त्वरित दर से कम हो रहे हैं।
हर साल, ग्लेशियर वर्तमान में 58 बिलियन टन बर्फ खो रहे हैं।
यह फ्रांस और स्पेन के संयुक्त वार्षिक जल उपयोग के बराबर है और वैश्विक समुद्र-स्तर में लगभग 5% वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करना
अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि इस पर्यावरणीय खतरे का एकमात्र प्रभावी समाधान कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को जल्द से जल्द कम करना है।
रिपोर्ट में हिमनदों और इसके द्वारा समर्थित जैव विविधता को बचाने के लिए CO2 उत्सर्जन के स्तर में तेजी से कमी लाने का आह्वान किया गया है।
कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अलावा, यूनेस्को ने ग्लेशियर की निगरानी और संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कोष बनाने की भी वकालत की।
कुछ लुप्तप्राय ग्लेशियर
किलिमंजारो राष्ट्रीय उद्यान और माउंट केन्या (अफ्रीका)
पश्चिमी टीएन-शान (कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान) में ग्लेशियर जो 2000 से 27% कम हो गए हैं
डोलोमाइट्स (इटली) (यूरोप),
येलोस्टोन नेशनल पार्क (उत्तरी अमेरिका)
ग्लेशियरों का महत्व
जीवित रहने के लिए ग्लेशियर महत्वपूर्ण हैं। आधी मानवता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से घरेलू उपयोग, कृषि और बिजली के लिए जल स्रोत के रूप में ग्लेशियरों पर निर्भर है।
ग्लेशियर जैव विविधता के समर्थक भी हैं, जो कई पारिस्थितिक तंत्रों को जीवित रखते हैं।
ग्लेशियरों के पिघलने से लोगों को पानी की कमी, आपदाओं की बढ़ती संख्या, जैव विविधता के नुकसान सहित अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
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6 नवंबर को यूएनएफसीसीसी में पार्टियों के 27वें सम्मेलन में 'डब्ल्यूएमओ प्रोविजनल स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022' शीर्षक वाली रिपोर्ट जारी की गई।
रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएं
2022 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक होने का अनुमान है, जो 2015 से 2022 (आठ वर्षों) में रिकॉर्ड रूप से सबसे गर्म रहने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर 1993 से दोगुनी हो गई है और जनवरी 2020 से लगभग 10 मिमी बढ़कर इस साल एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
मुख्य ग्रीनहाउस गैसों - कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता - 2021 में एक बार फिर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
मीथेन सांद्रता में वार्षिक वृद्धि रिकॉर्ड रूप में सबसे अधिक थी।
भारत में मानसून के मौसम के दौरान विभिन्न चरणों में बाढ़ की घटनाएं हुईं, विशेष रूप से जून में पूर्वोत्तर में।
रिपोर्ट के बारे में
WMO स्टेट ऑफ़ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट प्रतिवर्ष जारी की जाती है।
यह प्रमुख जलवायु संकेतकों और चरम घटनाओं और उनके प्रभावों पर रिपोर्टिंग का उपयोग करके जलवायु की वर्तमान स्थिति पर एक आधिकारिक आवाज प्रदान करता है।
अस्थायी रूप से 2022 की रिपोर्ट में उपयोग किए गए तापमान के आंकड़े सितंबर के अंत तक हैं। इसका अंतिम संस्करण अगले साल अप्रैल में जारी किया जाएगा।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
यह 193 सदस्य राज्यों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर सरकारी संगठन है।
इसकी स्थापना 23 मार्च 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा की गई थी।
1993 में पहली स्टेट ऑफ़ क्लाइमेट रिपोर्ट जारी की गई थी।
मुख्यालय - जिनेवा
इसका सर्वोच्च निकाय - विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस
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यूनाइटेड किंगडम की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 7 नवंबर, 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी के आरोपों के सिलसिले में बिचौलिए संजय भंडारी के भारत प्रत्यर्पण के अनुरोध को मंजूरी दे दी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
60 वर्षीय भंडारी के प्रत्यर्पण के लिए भारतीय अधिकारियों ने दो अनुरोध किए थे। पहला अनुरोध मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा था, जबकि दूसरा टैक्स चोरी से संबंधित था।
जिला न्यायाधीश माइकल स्नो ने इस साल की शुरुआत में लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मामले की सुनवाई की।
उन्होंने अपने फैसले में कहा कि भंडारी के प्रत्यर्पपण पर कोई रोक नहीं है और उन्होंने इस मामले को ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को भेजने का फैसला किया, जो अदालती फैसले के आधार पर प्रत्यर्पण का आदेश देने के लिए अधिकृत हैं।
अदालत ने भारत सरकार के इस आश्वासन के आधार पर यह आदेश सुनाया कि भंडारी को सुनवाई के दौरान नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक अलग कोठरी में संबंधित स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ रखा जाएगा।
भंडारी पर विदेशी संपत्ति को छिपाने, पुराने दस्तावेजों का उपयोग करने, भारतीय कर अधिकारियों को घोषित नहीं की गई संपत्ति से लाभ उठाने और अधिकारियों को गलत तरीके से सूचित करने का आरोप है कि उसके पास कोई संपत्ति नहीं है।
प्रत्यर्पण क्या है?
प्रत्यर्पण एक व्यक्ति को एक राज्य से दूसरे राज्य में आत्मसमर्पण करने की औपचारिक प्रक्रिया है।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य अनुरोध करने वाले देश के अधिकार क्षेत्र में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराधों के लिए अभियोजन या सजा है।
भारत में एक भगोड़े अपराधी के प्रत्यर्पण को भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
कांसुलर, पासपोर्ट और वीज़ा (CPV) प्रभाग, विदेश मंत्रालय प्रत्यर्पण अधिनियम का संचालन करने वाला केंद्रीय/नोडल प्राधिकरण है।
अंडर-इन्वेस्टिगेशन, अंडर-ट्रायल और दोषी अपराधियों के मामले में प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
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जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) (COP27) के पक्षकारों का 27 वां सम्मेलन 31 अक्टूबर से 13 नवंबर 2022 तक मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित किया जा रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इसमें विभिन्न देशों ने जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान और क्षति से निपटने के लिए गरीब देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है।
वार्ता में भाग लेने वाले देश 20-सूत्रीय अनंतिम एजेंडे पर सहमत हुए।
क्षति और नुकसान क्या है?
यह जलवायु परिवर्तन के आर्थिक और गैर-आर्थिक प्रभावों को संदर्भित करता है, जिसमें उन देशों में चरम घटनाएं शामिल हैं जो विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील हैं।
नुकसान और क्षति की मांग काफी पुरानी है, लेकिन इसे अमीर और विकसित देशों के मजबूत प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है।
इस शब्द को 1991 में द्वीप देश वानुअतु द्वारा एक मांग के रूप में लाया गया था, जो कि एलायंस ऑफ स्मॉल आइलैंड स्टेट्स (AOSIS) का प्रतिनिधित्व कर रहा था।
पार्टियों का सम्मेलन (सीओपी) क्या है?
पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीईडी), जिसे 'पृथ्वी शिखर सम्मेलन' के रूप में भी जाना जाता है, 3-14 जून 1992 से रियो डी जनेरियो, ब्राजील में आयोजित किया गया था।
सम्मेलन ,पर्यावरण पर मानव के सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों के प्रभाव पर केंद्रित था।
यहां इकट्ठे हुए देश सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए।
रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन में सदस्य देश , जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) बनाने पर सहमत हुआ जहां सदस्य देश ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और इन समस्याओं से निपटने के लिए कदम उठा सकते हैं।
यूएनएफसीसीसी, 21 मार्च 1994 को लागू हुआ, और 197 देशों और क्षेत्रों द्वारा इसकी पुष्टि की गई।
जिन देशों ने यूएनएफसीसीसी की पुष्टि की है, उन्हें पार्टी कहा जाता है।
हर साल वे जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिलते हैं। इन बैठकों को पार्टियों का सम्मेलन (सीओपी) कहा जाता है।
पहला सीओपी 1995 में बर्लिन, जर्मनी में आयोजित किया गया था।
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नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), भारत सरकार ने 2 नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम को अधिसूचित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
एमएनआरई ने वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम को जारी रखा है।
कार्यक्रम को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की गई है।
कार्यक्रम के पहले चरण को 858 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है।
बायोगैस कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक और मध्यम आकार की बायोगैस इकाइयों की स्थापना में भी सहायता करेगा।
ऊर्जा प्राप्ति के लिए देश में उपलब्ध विशाल अधिशेष बायोमास, मवेशियों के गोबर, औद्योगिक और शहरी जैव अपशिष्ट का उपयोग करने के लिए, एमएनआरई 1980 के दशक से भारत में जैव ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है।
राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम में निम्नलिखित उप-योजनाएं शामिल होंगी:
अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम (शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा पर कार्यक्रम) बड़े बायोगैस, बायोसीएनजी और बिजली संयंत्रों (एमएसडब्ल्यू से विद्युत परियोजनाओं को छोड़कर) की स्थापना का समर्थन करने के लिए।
बायोमास कार्यक्रम (उद्योगों में ब्रिकेट्स और छर्रों के निर्माण और बायोमास (गैर-खोई) आधारित सह-उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना) बिजली उत्पादन और गैर-खोई-आधारित बिजली उत्पादन परियोजनाओं में उपयोग के लिए पेलेट्स और ब्रिकेट्स की स्थापना का समर्थन करेगा।
बायोगैस कार्यक्रम - ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार और मध्यम आकार के बायोगैस की स्थापना में सहायता के लिए।
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