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हिंदी के वरिष्ठ कवि एवं लेखक प्रो. रामदरश मिश्र को वर्ष 2021 के 31वें सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया है ।
उन्हें यह सम्मान उनके कविता संग्रह “मै तो यहां हूं” के लिए दिया गया ।
इस पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2015 में हुआ था।
इससे पूर्व 30वां सरस्वती सम्मान, 2020 प्रसिद्ध मराठी लेखक डॉ. शरणकुमार लिम्बाले को उनके उपन्यास ‘सनातन’ के लिए दिया गया था।
हिंदी भाषा में यह सम्मान प्राप्त करने वाले रामदरश मिश्र तीसरे साहित्यकार हैं. इनसे पहले वर्ष 1991 में डॉ. हरिवंशराय बच्चन को और 2013 में गोविन्द मिश्र को यह सम्मान प्रदान किया गया था I
प्रो रामदरश मिश्रा का जन्म 15 अगस्त 1924 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के डुमरी गाँव में हुआ था I
दशकों के लंबे करियर में, मिश्र ने 32 कविता संग्रह, 15 उपन्यास, 30 लघु-कथा संग्रह, साहित्यिक आलोचना की 15 पुस्तकें, निबंधों के चार संग्रह, यात्रा वृतांत और कई संस्मरण लिखे हैं I
सरस्वती सम्मान के बारे में -
के के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा वर्ष 1991 में सरस्वती सम्मान की स्थापना की गई थी।
यह सम्मान प्रतिवर्ष संविधान की 8वीं अनुसूची में वर्णित किसी भी भारतीय भाषा में पिछले 10 वर्ष में प्रकाशित भारतीय लेखकों की उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को प्रदान किया जाता है।
इस पुरस्कार के तहत प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिन्ह और 15 लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है।
प्राप्तकर्ता का चयन एक चयन समिति द्वारा किया जाता है, जिसके वर्तमान प्रमुख लोकसभा सचिवालय के पूर्व महासचिव डॉ सुभाष सी कश्यप हैं।
पहला सरस्वती सम्मान हिंदी के साहित्यकार डॉ. हरिवंश राय बच्चन को उनकी चार खंडों की आत्मकथा के लिए दिया गया था।
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केंद्र सरकार के सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के अनुरूप, हिमाचल प्रदेश ने “सिंगल-यूज प्लास्टिक बाय बैक योजना” शुरू की है ।
सिंगल यूज प्लास्टिक बाय बैक स्कीम के तहत हिमाचल प्रदेश सरकार स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों से सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम खरीदेगी।
इसके तहत छात्रों को घर से सिंगल यूज प्लास्टिक का सामान लाकर स्कूलों में जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसके लिए सरकार छात्रों को 75 रुपये प्रति किलो का भुगतान करेगी।
युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की आदत डालने के उद्देश्य से योजना शुरू की गई है ।
सिंगल यूज प्लास्टिक बैन
पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया था।
इन नियमों को विशिष्ट एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करने के लिए अधिसूचित किया गया था।
नियमानुसार चिन्हित सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर एक जुलाई 2022 से प्रतिबंध रहेगा।
यह प्रतिबंध कंपोस्टेबल प्लास्टिक से बनी वस्तुओं पर लागू नहीं होगा।
प्लास्टिक की थैलियों की अनुमत मोटाई 30 सितंबर, 2021 से 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन तक कर दी गई है।
सिंगल यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक को डिस्पोजेबल प्लास्टिक के रूप में भी जाना जाता है।
उनका उपयोग केवल एक बार किया जाता है।
यह प्लास्टिक इतना सुविधाजनक और सस्ता है कि इसने पैकेजिंग उद्योग की अन्य सामग्रियों की जगह ले ली है।
भारत में हर साल 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से 43 फीसदी सिंगल यूज प्लास्टिक है।
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दैनिक जीवन में सांख्यिकी के प्रयोग को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
29 जून को प्रो प्रशांत चंद्र महालनोबिस द्वारा राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली स्थापित करने में किये गये योगदान को सम्मानित करने के लिए चुना गया था।
29 जून प्रो पीसी महालनोबिस की जयंती होती है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस वर्ष 2007 में पहली बार मनाया गया था I
विश्व सांख्यिकी दिवस 20 अक्तूबर को मनाया जाता है।
दिवस का उद्देश्य
यह दिवस देश के नागरिकों को जागरूक करने के लिए मनाया जा रहा है कि सांख्यिकी नीतियों को आकार देने और तैयार करने में कैसे मदद करती है।
सांख्यिकी सही विश्लेषण और डेटा एकत्र करने के उचित तरीकों के माध्यम से परिणाम को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में हमारी सहायता करती है।
प्रो. पी.सी. महालनोबिस के बारे में -
महालानोबिस का जन्म कोलकाता में वर्ष 1893 में हुआ था।
महालनोबिस ने 1931 में कलकत्ता में 'भारतीय सांख्यिकी संस्थान ' की स्थापना की थी।
प्रो. महालनोबिस की भारतीय नियोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है । उनका नियोजन मॉडल एक बहु प्रचलित मॉडल है और यह भारत की द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61) का आधार था।
वह 1947 से 1951 तक सांख्यिकीय नमूनाकरण पर संयुक्त राष्ट्र उप आयोग के अध्यक्ष रहे।
1968 में महलनोबिस को राष्ट्र और विज्ञान की सेवा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया था ।
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हाल ही में नीति आयोग ने 'इंडियाज़ बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकॉनमीी' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय गिग कार्यबल के 2029-30 तक 23.5 मिलियन श्रमिकों तक विस्तारित होने की उम्मीद है, जो मौजूदा 7.7 मिलियन से 200% की छलांग है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि 2029-2030 तक गिग वर्कर भारत में कुल वर्कफोर्स का 4.1% होगा, जो अभी 1.5% है।
वर्ष 2020-21 में 77 लाख (7.7 मिलियन) कर्मचारी गिग इकॉनमी में संलग्न थे। जो भारत में गैर-कृषि कार्यबल का 2.6% या कुल कार्यबल के 1.5% थे।
रिपोर्ट में उठाए गए प्रमुख मुद्दे
नौकरी और आय असुरक्षा: गिग वर्कर्स को मज़दूरी, घंटे, काम करने की स्थिति और सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकार से संबंधित श्रम नियमों से लाभ नहीं मिलता है।
व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिम: डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ रोज़गार में लगे श्रमिकों, विशेष रूप से एप-आधारित टैक्सी और वितरण (Delivery) क्षेत्रों में महिला श्रमिकों को विभिन्न व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
गिग अर्थव्यवस्था
गिग अर्थव्यवस्था एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें सामान्य अस्थायी पद होते हैं और संगठन अल्पकालिक जुड़ाव के लिये स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के गिग वर्कफोर्स में सॉफ्टवेयर, साझा और पेशेवर सेवाओं जैसे उद्योगों में 15 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं।
इंडिया स्टाफिंग फेडरेशन की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, चीन, ब्राज़ील और जापान के बाद भारत वैश्विक स्तर पर फ्लेक्सी-स्टाफिंग में पाँचवाँ सबसे बड़ा देश है।
गिग वर्कर: एक व्यक्ति जो काम करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है"।
भारत के गिग सेक्टर की क्षमता
भारत में अनुमानित 56% नए रोज़गार गिग इकॉनमी कंपनियों द्वारा ब्लू-कॉलर और व्हाइट-कॉलर कार्यबल दोनों में उत्पन्न किये जा रहे हैं।
गिग इकॉनमी भारत में गैर-कृषि क्षेत्रों में 90 मिलियन नौकरियाँ उपलब्ध करा सकती है, जिसमें "दीर्घावधि" में सकल घरेलू उत्पाद में और 1.25% की वृद्धि होने की संभावना है।
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स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSE&L), शिक्षा मंत्रालय (MoE) द्वारा जारी परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के अनुसार, राजस्थान के तीन ज़िलों- सीकर, झुंझुनू और जयपुर को वर्ष 2019-20 में 'उत्कर्ष' ग्रेड में रखा गया है I
एक साल पहले कोई भी ज़िला 'उत्कर्ष श्रेणी में नहीं आता था।
राजस्थान में इस ग्रेड में सबसे अधिक 24 ज़िले हैं, इसके बाद पंजाब (14), गुजरात (13), और केरल (13) का स्थान है।
वर्ष 2020 में इस श्रेणी में सबसे कम अंक (50 में से 1) वाले ज़िले में साउथ सलमारा-मांकचर (असम), अलीराजपुर (मध्य प्रदेश), नार्थ गारो हिल्स एंड साउथ गारो हिल्स इन मेघालय, एंड खोवै (त्रिपुरा) है I
बिहार, गोवा, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड में एक भी ज़िला अति-उत्तम और उत्तम श्रेणी में नही है I
प्रगति
रिपोर्ट के अनुसार, सभी श्रेणियों में ज़िलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
अति उत्तम ग्रेड में 2018-19 से 2019-20 के दौरान ज़िलों की संख्या 49 से बढ़कर 86 हो गई, जो "उल्लेखनीय सुधार" दर्शाती है।
33 ज़िलों ने परिणामों में अपने स्कोर में सुधार किया, लेकिन ग्रेड-स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ।
डिजिटल लर्निंग श्रेणी: 2018-19 की तुलना में 20 ज़िलों ने 20% से अधिक सुधार दिखाया है, जबकि 43 ज़िलों ने 2019-20 के दौरान अपने स्कोर में 10% से अधिक सुधार किया है।
अवसंरचनात्मक सुविधाएंँ:478 ज़िलों ने वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 में अपने स्कोर में सुधार किया।
परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के बारे में
PGI-D व्यापक विश्लेषण के लिये एक इंडेक्स बनाकर ज़िला स्तर पर स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का आकलन करता है।
PGI-D संरचना में 83 संकेतकों में कुल 600 अंक शामिल हैं, जिन्हें छह श्रेणियों के तहत समूहीकृत किया गया है I
इन श्रेणियों को आगे 12 डोमेन में विभाजित किया गया है।
आकलन ग्रेड:
PGI-D ज़िलों को 10 ग्रेड में वर्गीकृत करता है। उच्चतम ग्रेड 'दक्ष (Daksh)' है, जो उस श्रेणी या कुल मिलाकर कुल अंकों के 90% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले ज़िलों के लिये है।
इसके बाद 'उत्कर्ष' (81% से 90%), 'अति उत्तम' (71% से 80%), 'उत्तम' (61% से 70%), 'प्रचेष्टा -1' (51% से 60%) और 'प्रचेष्टा-2' (41% से 50%) का स्थान है।
PGI-D में निम्नतम ग्रेड 'आकांक्षी-3' है जो कुल अंकों के 10% तक के स्कोर के लिये है।
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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने भारत के लिए सुरक्षित कारों को लाने के लिए भारत एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) शुरू करने के लिए GSR अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दी।
एनसीएपी को 1 अप्रैल, 2023 से शुरू किया जाएगा और इसका मतलब होगा कि भारत में ऑटो निर्माताओं के साथ-साथ आयातकों के पास देश के भीतर कारों को स्टार रेटेड प्राप्त करने का विकल्प होगा।
यह प्रोग्राम एक उपभोक्ता-केंद्रित प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा, और ग्राहकों को स्टार-रेटिंग के आधार पर सुरक्षित कारों का उपयोग करने की अनुमति देगा I
संयुक्त राज्य अमेरिका पहला देश था जिसने क्रैश परीक्षणों के माध्यम से कार के सुरक्षा मानकों के परीक्षण के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया था।
भारत NCAP
यह एक नया कार सुरक्षा मूल्यांकन कार्यक्रम है जो दुर्घटना परीक्षणों में उनके प्रदर्शन के आधार पर ऑटोमोबाइल को 'स्टार रेटिंग' देने का एक तंत्र प्रस्तावित करता है।
भारत एनसीएपी मानक वैश्विक बेंचमार्क के साथ संरेखित है और ये न्यूनतम नियामक आवश्यकताओं से परे हैं।
प्रस्तावित भारत NCAP मूल्यांकन 1 से 5 स्टार तक स्टार रेटिंग आवंटित करेगा I ।
इस कार्यक्रम के लिये वाहनों का परीक्षण आवश्यक बुनियादी ढांँचे के साथ परीक्षण एजेंसियों के आधार पर किया जाएगा।
यह देश में निर्मित या आयातित 3.5 टन से कम सकल वन वाले एम1 श्रेणी के अनुमोदित मोटर वाहनों पर लागू होगा।
NCAP का भारत के लिये महत्त्व
1. उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाना
2. निर्यात-योग्यता बढ़ाता है
3. ऑटोमोबाइल उद्योग आत्मनिर्भर होंगे
Tags: International News
हाल ही में नाइजीरिया में उच्च श्रेणी के लिथियम की खोज की गई है।
लिथियम
लिथियम एक तत्त्व है और प्रकृति में दो खनिजों, स्पोड्यूमिन एवं लेपिडोलाइट में पर्याप्त रूप में सांद्रित होता है।
वे आमतौर पर विशेष चट्टानों में पाए जाते हैं जिन्हें दुर्लभ और ग्रीसेन्स कहा जाता है I
भूवैज्ञानिक एजेंसी ने लिथियम को उच्च श्रेणी के रूप में वर्णित किया क्योंकि यह 1-13% ऑक्साइड सामग्री के साथ पाया जाता है। आमतौर पर अन्वेषण 0.4% के निचले स्तर पर शुरू होता है।
लिथियम का परमाणु क्रमांक 3 और परमाणु भार 6.941होता है।
यह सबसे हल्की ज्ञात धातु है I
उपयोग
लिथियम डिसिलिकेट (Li2Si2O5) एक रासायनिक यौगिक है जिससे काँच और चीनी मिट्टी की वस्तुएँ बनती हैं।
लिथियम धातु का प्रयोग उपयोगी मिश्र धातुओं को बनाने के लिये किया जाता है I
लिथियम का उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये रिचार्जेबल बैटरी में किया जाता है।
अतिरिक्त जानकारी -
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ग्रीनबुश खदान विश्व की सबसे बड़ी हार्ड-रॉक लिथियम खदान है।
लिथियम के सबसे बड़े आयातक दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, अमेरिका और बेल्जियम हैं।
परमाणु खनिज निदेशालय (भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के तहत) के शोधकर्त्ताओं ने हालिया सर्वेक्षणों से दक्षिणी कर्नाटक के मांड्या ज़िले में भूमि के एक छोटे से हिस्से में 14,100 टन के लिथियम भंडार की उपस्थिति का अनुमान लगाया है।
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रूस ने बेलारूस को “इस्कंदर-एम मिसाइल सिस्टम” स्थानांतरित करने की घोषणा की है।
इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली
यह मिसाइल प्रणाली अपने परमाणु और पारंपरिक संस्करणों में बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइलों का उपयोग कर सकती है।
इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली को नाटो द्वारा “SS -26 स्टोन” के रूप में कोडनेम दिया गया है।
रूस इस्कंदर-एम शब्द का प्रयोग ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर लॉन्च सिस्टम के साथ-साथ उसके द्वारा दागी गई कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) को परिभाषित करने के लिए करता है।
इस प्रणाली का उपयोग जमीन से प्रक्षेपित क्रूज मिसाइलों (GLCMs) जैसे SSC-7 और SSC-8 को फायर करने के लिए किया जा सकता है।
इसे पहली बार 1996 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
इस्कंदर-एम मिसाइल की मारक क्षमता 500 किमी है।
यह 700 किलो तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
इस्कंदर प्रणाली को 2006 में रूस द्वारा शामिल किया गया था।
इसे 1980 के दशक के अंत में “ओका” SRBM (शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल) या OTR-23 को इंटरमीडिएट न्यूक्लियर फोर्सेस ट्रीटी के अनुसार प्रतिबंधित किए जाने के बाद विकसित किया गया था।
बेलारूस के बारे में -
बेलारूस पूर्वी यूरोप का स्थल-रुद्ध देश है।
राजधानी- मिन्स्क
राष्ट्रपति- अलेक्जेंडर लुकाशेंको
प्रधानमन्त्री- रोमन गोलोवचेंको
मुद्रा- बेलारूसी रुबल
Tags: Popular International News
रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे की अध्यक्षता में रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक में दो अफ्रीकी देशों टोगो और गैबॉन को क्रमशः 55 बें और 56 बें सदस्यों के रुप में राष्ट्रमंडल राष्ट्र में शामिल किया गया है I
रवांडा 2009 में राष्ट्रमंडल में शामिल होने बाला आखिरी देश था I
टोगो और गैबॉन ऐतिहासिक रूप से फ्रांसीसी उपनिवेश थे जो कभी ब्रिटिश उपनिवेश नहीं रहे I
नये सदस्य टोगो और गैबॉन
मध्य अफ्रीकी राष्ट्र गैबॉन के लिए औपचारिक राष्ट्रमंडल सदस्य प्रक्रिया 2017 में शुरू हुई थी जबकि पश्चिमी अफ़्रीकी राष्ट्र टोगो के किये प्रक्रिया 2014 में शुरू हुई थी I
गैबॉन , ईक्वीटोरियल गिनी, कैमरून और कांगो गणराज्य से घिरा हुआ है जो राष्ट्रमंडल सदस्य भी है I
टोगो की सीमा घाना, एक राष्ट्रमंडल सदस्य के साथ साथ बेनिन और बुर्किना फासो से घिरा हुआ है।
राष्ट्रमंडल के बारे में -
राष्ट्रमंडल, जिसे आम तौर पर कॉमनवेल्थ के रूप में जाना जाता है, पहले 54 और अब 56 सदस्य राज्यों का एक राजनीतिक संघ है I
यह मूल रूप से 1926 के शाही सम्मेलन में बाल्फोर घोषणा के माध्यम से राष्ट्रों के ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के रूप में बनाया गया था I
वर्तमान राष्ट्रमंडल राष्ट्र औपचारिक रूप से 1949 में लंदन घोषणा द्वारा गठित किया गया था I
राष्ट्रमंडल के प्रमुख वर्तमान में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय हैं I
महासचिव- पैट्रिशिया स्कॉटलैंड
मुख्यालय- लंदन
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