23 जनवरी: पराक्रम दिवस

Tags:


'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'' के नारे के साथ, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिये जागृत किया।

नेताजी की अदम्य भावना और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा का सम्मान करने और उन्हें याद करने के लिए, 23 जनवरी को उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि देश के लोगों, विशेष रूप से युवाओं को, नेताजी की तरह विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए दृढ़ता के साथ कार्य करने और उनमें देशभक्ति की भावना का संचार करने के लिए प्रेरित किया जाये।

  • इस साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है।
  • नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था।

2 अगस्त 2021 को, भारत सरकार ने नेताजी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किया

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में:

  • सुभाष चंद्र बोस का जन्म 1897 में ओडिशा के कटक में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था।
  • 1919 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन ब्रिटिश सरकार की सेवा नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था।
  • वह स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे। उनके राजनीतिक गुरु चित्तरंजन दास थे।
  • 1921 में नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।
  • जुलाई 1943 में उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा 'दिल्ली चलो' दिया और 21 अक्टूबर 1943 को 'आजाद हिंद सरकार' और 'भारतीय राष्ट्रीय सेना' के गठन की घोषणा की थी।
  • नेताजी ने "स्वराज" नामक एक समाचार पत्र शुरू किया था।
  • रंगून के 'जुबली हॉल' में नेताजी ने अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था|
  • उन्होंने "द इंडियन स्ट्रगल" नामक पुस्तक लिखी थी। पुस्तक में 1920 और 1942 के बीच भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को शामिल किया गया है।
  • "जय हिंद" शब्द नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गढ़ा गया था।
  • सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। महात्मा गांधी भी उन्हें नेताजी कहकर उनका सम्मान करते थे, तभी से सुभाष चंद्र बोस को नेताजी की उपाधि मिली।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय लाल किला नई दिल्ली में स्थापित किया गया है।

Please Rate this article, so that we can improve the quality for you -

Date Wise Search