कुपोषण रोकने के लिए सरकार ने जारी किया लक्ष्य
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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 28 जुलाई को देश में कुपोषण पर अंकुश लगाने के लक्ष्य जारी किए।
लक्ष्य क्या हैं?
लक्ष्य का उद्देश्य 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग और अल्प पोषण (कम वजन के प्रसार) को 2% प्रति वर्ष कम करना है।
जन्म के समय कम वजन को 2% प्रति वर्ष कम करना।
छह से 59 महीने के बच्चों तथा महिलाओं और किशोरियों (15 से 49 वर्ष) में एनीमिया को 3% प्रति वर्ष कम करना।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
2019-21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के निष्कर्षों के अनुसार, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पोषण संकेतकों में NFHS-4 (2015-16) की तुलना में सुधार हुआ है।
बौनापन 38.4% से घटकर 35.5% हो गई है।
वेस्टिंग 21.0% से घटकर 19.3% हो गई है।
कम वजन का प्रसार 35.8% से घटकर 32.1% हो गया है।
महिलाएं (15-49 वर्ष) जिनका बीएमआई सामान्य से कम है, एनएफएचएस-4 में 22.9% से घटकर एनएफएचएस-5 में 18.7% हो गई है।
इसके बावजूद भारत दुनिया में कुपोषण के सबसे अधिक बोझ वाले देशों में से एक बना हुआ है।
राज्यों की स्थिति
मेघालय में अविकसित बच्चों की संख्या सबसे अधिक (46.5%) है, इसके बाद बिहार (42.9%) का स्थान है।
असम, दादरा और नगर हवेली, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बौने बच्चों की संख्या राष्ट्रीय औसत 35.5% से अधिक है।
पुडुचेरी और सिक्किम में बौने बच्चों का प्रतिशत सबसे कम है।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 25.6 फीसदी बच्चे वेस्टेड हैं, इसके बाद गुजरात में 25.1% बच्चे हैं।
असम, बिहार, दादरा और नगर हवेली, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में वेस्टेड बच्चों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 19.3% से अधिक है।
बिहार में कम वजन वाले बच्चों (41%) की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद गुजरात (39.7%) और झारखंड (39.4%) का स्थान है।
असम, दादरा और नगर हवेली, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 32.1% से अधिक है।
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