हरदीप एस पुरी ने ग्रीन हाइड्रोजन पर हितधारकों के साथ बैठक की अध्यक्षता की
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केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 4 जुलाई को भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया।
बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने की।
इसमें पेट्रोलियम राज्य मंत्री रामेश्वर तेली, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और तेल एवं गैस सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
पुरी ने कहा कि जब ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा दिया जाएगा तो जीवाश्म ईंधन उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों से पार पाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में भारत की यात्रा को गति प्रदान करेगा।
सरकार ऊर्जा आयात करने के लिए ₹12 लाख करोड़ खर्च कर रही है।
भारत की अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक तत्वों की उपस्थिति के कारण, हरित हाइड्रोजन उत्पादन में काफी संभावनाएं हैं।
तेल और गैस सार्वजनिक उपक्रमों ने इस क्षेत्र में कई पायलट परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से कुछ इस साल ही परिणाम दिखाना शुरू कर देंगी।
भारत 2050 तक 12-13 ट्रिलियन डॉलर का उद्योग बनाने और एक प्रमुख वैश्विक ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरने में सक्षम है।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
ग्रीन हाइड्रोजन पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पादित हाइड्रोजन गैस है।
पानी का इलेक्ट्रोलिसिस हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में पानी को विभाजित करने के लिए एक ऊर्जा गहन प्रक्रिया है।
इस विधि में पानी में ऑक्सीजन से हाइड्रोजन को अलग करने के लिए विद्युत प्रवाह का उपयोग किया जाता है।
यदि यह बिजली अक्षय स्रोतों से प्राप्त की जाती है, तो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किए बिना ऊर्जा का उत्पादन होगा।
ब्राउन हाइड्रोजन
यह कोयले का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है जहां उत्सर्जन को हवा में छोड़ा जाता है।
ग्रे हाइड्रोजन
यह प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है जहां संबंधित उत्सर्जन हवा में छोड़ा जाता है।
नीला हाइड्रोजन
यह प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है, जहां कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन पर रोक लगा दिया जाता है।
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की क्षमता
भारत वर्तमान में विश्व स्तर पर अक्षय ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है।
वर्तमान में भारत में अक्षय ऊर्जा क्षमता 136 गीगावॉट है, जो भारत में कुल ऊर्जा क्षमता का 36 फीसदी है।
भारत 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता की वृद्धि करेगा।
सौर और पवन ऊर्जा अक्षय ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत हैं।
अन्य विकल्प जैसे बायोमास ऊर्जा, मेथनॉल-आधारित सम्मिश्रण और हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन माना जाता है।
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