आईआईटी -कानपुर ग्रामीण भारत में प्रदूषण को मापने के लिए वायु गुणवत्ता सेंसर का नेटवर्क स्थापित करेगा

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर ने घोषणा की है कि वह उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण ब्लॉकों में लगभग 1,400 सेंसर स्थापित करने के लिए 2.5 मिलियन अमरीकी डालर (₹19 करोड़) की परियोजना शुरू करेगा।

  • आईआईटी कानपुर ग्रामीण भारत में वायु प्रदूषण की माप को बढ़ावा देने के लिए इस परियोजना को शुरू कर रहा है।

  • भारत के शहरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, बायोमास जलाना, और बिजली के लिए डीजल जेनसेट पर निर्भरता गांवों में भी वायु गुणवत्ता को खराब कर रही है।

  • परियोजना से लाभ

  • इस परियोजना के परिणाम स्थानीय समुदायों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं को वास्तविक स्थिति को समझने में मदद करेगा।

  • तीन साल की पायलट परियोजना से ग्रामीण भारत में वायु गुणवत्ता सेंसर के राष्ट्रीय नेटवर्क का मार्ग प्रशस्त होगा।

  • कार्रवाई योग्य और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए इस नेटवर्क से डेटा वास्तविक समय में भी उपलब्ध कराया जाएगा।

  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी)

  • इसे भारत सरकार द्वारा 2019 में लॉन्च किया गया था।

  • इसके तहत 2017 को आधार वर्ष मानते हुए वायु में मौज़ूद PM 2.5 और PM10 पार्टिकुलेट मैटर को 20 से 30 फीसदी तक कम करने का राष्ट्रीय लक्ष्य रखा गया है।

  • इस योजना के अंतर्गत शुरुआत में मुख्य रूप से भारत के सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाले 122 शहरों को लक्षित किया गया है।

  • इसके लॉन्च होने पर, सरकार द्वारा ग्रामीण वायु प्रदूषण निगरानी सेंसर के नेटवर्क को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई गई थी, लेकिन उस मोर्चे पर बहुत कम प्रगति हुई है।

  • पीएम 2.5 और पीएम 10 के लिए देश की वर्तमान वार्षिक सुरक्षित सीमा 40 माइक्रोग्राम/प्रति घन मीटर (ug/m3) और 60 माइक्रोग्राम/प्रति घन मीटर है।



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