पिछले पांच वित्तीय वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाला गया: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

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Loans worth Rs 10, 09,511 crore written off in last five financial years

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते( loan write off) में डाल दिया है और बैंकों द्वारा  कर्जदारों से बकाया की वसूली की प्रक्रिया जारी है।

19 दिसंबर 2022 को लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के कर्जदार, पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बट्टे खाते में डाले गए ऋण खातों में कर्जदार से बकाया राशि की वसूली की प्रक्रिया जारी रहेगी ।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों से बट्टे खाते में डाले गए ऋणों से केवल 1,03045 करोड़ रुपये की वसूली की है, जबकि पिछले पांच वर्षों में कुल वसूली 4,80,111 करोड़ रुपये रही है।

ऋण कोबट्टे खाते में डालना क्या होता है ?

एक ऋण को एक बैंक द्वारा बट्टे खाते में  उस समय डाल दिया जाता है जबउसे लगता है कि ऋण की वसूली की अब कोई संभावना नहीं है। वे ऋण राशि के लिए 100% प्रावधान(प्रोविजनिंग) करते हैं और ऋण को अपनी बैलेंस शीट से हटा देते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, यदि कोई ऋण जो पिछले 4 वर्षों से गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बना हुआ है और बैंकों ने इसके लिए 100% प्रावधान(प्रोविजनिंग) किया है, तो बैंक अपनी बैलेंस शीट से हटाने के लिए उसे बट्टे खाते में डाल देती है।

बैंकों में, काउंटी के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक  ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले, जबकि पंजाब नेशनल बैंकने पिछले चार वित्तीय वर्षों में 67,214 करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले, इसके बाद आईडीबीआई बैंक ने 45650 करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले।

निजी क्षेत्र के बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक ने 50,514 करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले  जबकि एचडीएफसी बैंक ने 34782 करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले।


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