अंटार्कटिका में पहली बार मिले माइक्रोप्लास्टिक
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वैज्ञानिकों ने पहली बार अंटार्कटिक में ताजा बर्फ में माइक्रोप्लास्टिक पाया है।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अंटार्कटिका की ताजा बर्फ में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक बर्फ के पिघलने की प्रक्रिया को तेज कर देगा।
शोधकर्ताओं ने प्रति लीटर पिघली हुई बर्फ में औसतन 29 माइक्रोप्लास्टिक कण पाए।
13 विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक पाए गए।
द क्रायोस्फीयर जर्नल में प्रकाशित यह निष्कर्ष, अंटार्कटिक क्षेत्र के लिए एक गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है।
पर्यावरण पर माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव
अध्ययनों से स्पष्ट हो चुका है कि माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने के साथ ही जीवों के विकास, प्रजनन और सामान्य जैविक कार्यो को सीमित करता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि वर्ष 2060 तक प्लास्टिक के वैश्विक उपयोग में तीन गुना वृद्धि होने की संभावना है।
समुद्र की सबसे गहरी खाई में मछली के अंदर और आर्कटिक बर्फ के अंदर माइक्रोप्लास्टिक्स की खोज की गई है।
माइक्रोप्लास्टिक्स अगर इंसानों में पाए जाते हैं तो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2019 में, न्यूजीलैंड में कैंटरबरी विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र एलेक्स एवेस ने अंटार्कटिका में रॉस आइस शेल्फ से बर्फ के नमूने एकत्र किए।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में पाया कि रॉस आइस शेल्फ पर भी दूरस्थ साइटों से प्रत्येक नमूने में प्लास्टिक के कण थे।
अंटार्कटिका के रॉस द्वीप क्षेत्र में 19 साइटों से बर्फ के नमूने में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए.
माइक्रोप्लास्टिक क्या हैं?
इन्हें पांच मिलीमीटर से कम व्यास वाले प्लास्टिक के रूप में परिभाषित किया गया है।
वे छोटे प्लास्टिक कण होते हैं जो वाणिज्यिक उत्पाद विकास और बड़े प्लास्टिक के टूटने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक गैर-अपघटनीय और पानी में अघुलनशील हैं।
प्रदूषक के रूप में, माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण, मानव और जीवों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
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