Question 1:
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।
कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
इस अनुच्छेद का उपयुक्त शीर्षक:
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
इस अनुच्छेद का कोई उपयुक्त शीर्षक:
Question 2:
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।
कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
कबीर ने किस प्रकार निर्गुण मार्ग का प्रसार किया?
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
कबीर ने किस प्रकार निर्गुण मार्ग का प्रसार किया?
Question 3:
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।
कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
समाज सुधारक के रूप में कबीर का क्या योगदान था?
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
समाज सुधारक के रूप में कबीर का क्या योगदान था?
Question 4:
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।
कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
इनमें से कौन - सा विरोध का पर्यायवाची नहीं है?
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
इनमें से कौन - सा विरोध का पर्यायवाची नहीं है?
Question 5:
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।
कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
कबीर के अकाट्य तर्कों को काटने की क्षमता किसी में क्यों नहीं थी?
गद्यांश को ध्यान से पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। कबीर ने समाज में रहकर समाज का समीप से निरीक्षण किया। समाज में फैले बाह्याडंबर, भेदभाव, साम्प्रदायिकता आदि का उन्होंने पुष्ट प्रमाण लेकर ऐसा दृढ विरोध किया कि किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उनके अकाट्य तर्कों को काट सके। कबीर का व्यक्तित्व इतना ऊँचा था कि उनके सामने टिक सकने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इस प्रकार उन्होंने समाज तथा धर्म की बुराइयों को निकाल-निकालकर सबके सामने रखा, ऊँचा नाम रखकर संसार को ठगनेवालों के नकली चेहरों को सबको दिखाया और दीन-दलितों को ऊपर उठने का उपदेश देकर, अपने व्यक्तित्व को सुधारकर सबके सामने एक महान आदर्श प्रस्तुत कर सिद्धांतों का निरूपण किया। कर्म, सेवा, अहिंसा तथा निर्गुण मार्ग का प्रसार किया। कर्मकाण्ड व मूर्तिपूजा का विरोध किया। अपनी साखियों, रमैनियों तथा शब्दों को बोलचाल की भाषा में रखकर सबके सामने एक विशाल ज्ञानमार्ग खोला। इस प्रकार कबीर ने समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया और कथनी-करनी एकता पर बल दिया। वे महान युगदृष्टा, समाज सुधारक तथा महान कवि थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बीच समन्वय की धारा प्रवाहित कर दोनों को ही शीतलता प्रदान की।
कबीर के अकाट्य तर्कों को काटने की क्षमता किसी में क्यों नहीं थीं?