Question 6:
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमन से कश्मीर भले ही दूर दिखई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से' कथन में 'तूफान' का भाव है-
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमन से कश्मीर भले ही दूर दिखई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से' कथन में 'तूफान' का भाव है-
Question 7:
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
'अंडमान से कश्मीर' हैं भारत में -
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
'अंडमान से कश्मीर' हैं भारत में -
Question 8:
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
हम भारतीय जिधर भी अपने कदम बढ़ाते हैं वहाँ-
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
हम भारतीय जिधर भी अपने कदम बढ़ाते हैं वहाँ -
Question 9:
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
पैर शब्द का समानार्थी नहीं है?
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
पैर शब्द का समानार्थी नहीं है?
Question 10:
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
कविता के अनुसार विविधताओं के बीच भी हम एक हैं, क्योंकि सबसे पहले हम -
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वालेविकल्प चुनिए:
विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,
पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्दुस्तानी हम।
रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्न भले ही हों कितने,
इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।
सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से,
आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से।
अंडमान से कश्मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना,
पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से।
जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।
आजाद वतन के बाशिंदे, हर चरण हमारा है बादल।।
कविता के अनुसार, विविधताओं के बीच भी हम एक हैं, क्योंकि सबसे पहले हम -