CTET HINDI QUIZ 60

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Question 1:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़ने के लिए आवश्यक है -

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Question 2:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है -

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Question 3:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

समस्त ग्रंथों और अनुभवों का निष्कर्ष है -

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Question 4:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

प्रत्येक समस्या अपने साथ लेकर आती है -

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Question 5:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए, दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

मनुष्य को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं-

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक ने छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए, दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

Question 6:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

'आवश्यकता' के स्थान पर उचित शब्द लिखिए।

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

Question 7:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

साधु अपना निर्वाह ____________ करके करता था। रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

Question 8:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

महत्वकांक्षा का रेखांकित शब्द का उचित अर्थ लिखिए।

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

Question 9:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

परमार्थ- रेखांकित शब्द का विलोम बताइए

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

Question 10:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए साधु ने क्या किया?

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।