CTET HINDI QUIZ 64

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Question 1:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

‘रूचि’ का विलोम शब्‍द है-

निर्देश-  नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नही थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

Question 2:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

‘संस्‍कृति’ शब्‍द में ‘इक’ प्रत्‍यय लगाने पर शब्‍द बनेगा -

निर्देश-  नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नही थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

Question 3:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

स्‍वामी विवेकानंद और वीचंद गॉंधी किस महान कार्य के लिए याद किये जो हैं ?

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सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नही थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

Question 4:

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सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

स्‍वामी विवेकानंद कौन सी भाषाऍं जानते थे ?

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सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नही थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

Question 5:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

‘समवयस्‍क’ से तात्‍पर्य है-

निर्देश-  नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

सन्‍यासी स्‍वामी विवेकानंद और गृहस्‍थी वीरचंद गॉंधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताऍं दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्‍मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्‍क थे, स्‍वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गॉंधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्‍य से, दोनो ही अल्‍पजीवी हुए, स्‍वामी विवेकानंद का स्‍वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गॉंधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्‍याख्‍यानों के माध्‍यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्‍कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्‍मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में और फिर यूरोप में अपनी रूचि के विषयों पर व्‍याख्‍यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्‍मान मिला। दोनों के ही वहॉं अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्‍वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्‍ला के अतिरिक्‍त अंग्रेजी, संस्‍कृत और हिन्‍दी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गॉंधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नही थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

Question 6:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

पवित्र विचार और वाणी____________.

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

Question 7:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

गद्यांश  के अनुसार किन लोगों पर विश्वास किया जा सकता है ?

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यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

Question 8:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

गद्यांश के अनुसार दूषित विचारों का प्रभाव पड़ता है-----------

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यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

Question 9:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

विचारों की पवित्रता के लिए किस गुण भाव का होना जरूरी है ?

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

Question 10:

निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।

मन में आने वाले विचार कब दूषित होने लगते है ?

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यदि हमारे मन में राग, द्वेष, अभिमान, मोह और दीनता आदि है तब हमारा मन  मलिन होने के कारण उसमें आने वाले विचार भी थोड़े दूषित होने लगते हैं और जब विचारों के दूषित होने का क्रम चल पड़ता है तो उसका प्रभाव यह होता है कि वैसे  ही शब्‍द हम बोलने लगते है, जिससे दूसरों को दुख पहँचता है, कष्‍ट होता है। इसके विपरीत यदि हमारे मन में दूसरों के प्रति करूणा, प्रेम और दूसरों के हित की भावना होती है तो पवित्र मन होने के कारण हमारे विचार भी पवित्र होंगे और हमारी वाणी भी पवित्र और दूसरों को सुख प्रदान करने वाली होगी। कभी-कभी हम देखते हैं कि व्‍यक्ति मन में कुछ विचार करता है, वाणी से कुछ अलग बोलता है और शरीर से कर्म उसके भी विपरीत करता है। समाज और उसके अपने परिवार के सदस्‍य भी ऐसे मनुष्‍यों पर विश्‍वास नहीं करते हैं।