निर्देश - नीचे दिये गये गद्यांस को पढ़कर पूछे गये प्रश्न के सबसे उपयुक्त वाले विकल्प चुनिए:
$\quad$$\quad$$\quad$राष्ट्रीय पर्वों और सांस्कृतिक समारोहों के दौरान गीत गाए जाएं, कविताएं सुनी और सुनायी जाएं, इसे लेकर माता-पिताओं, स्कूल और समाज में व्याप्त सहमति है लेकिन गीत-कविताएं बच्चों के जीवन में रच-बस जाएं, वे उनका भरपूर आनंद लेने लगें, खुद तुकबंदियॉं करने लगें, रचने लगें, यह माता-पिता का मंजूर नहीं। माता को लगता है कि ऐसा करते हुए तो वे उस राह से भटक जाएंगे जिस राह पर वे उन्हें अपनी सोची हुई मंजिल पर पहॅंचना चाहते हैं। उनकी इस इच्छा में यह निहित है कि बच्चे वैसा कुछ भी नहीं करें जो वे करना चाहते हैं। उनके भीतर बच्चे के स्वतंत्रतापूर्वक सीखने की प्रक्रिया के प्रति सतत संदेह और गहरा डर बना रहता है। यही हाल स्कूल का भी है। गीत-कविता स्कूल और कक्षाओं की रोजमर्रा की गतिविधि का हिस्सा बन जाए यह स्कूल को मंजूर नहीं। स्कूल को लगता है कि इस सबके लिए समय कहॉं है। यह पाठ्य पुस्तक से बाहर की गतिविधि है। शिक्षक और शिक्षा अधिकारी चाहते हैं शिक्षक पहले परीक्षा परिणाम बेहतर लाने के लिए काम करें।
$\quad$$\quad$$\quad$दूसरी ओर हमारी संस्कृति और समाज में गीत-कविता की जो जगहें थीं वे जगहें लगातार सीमित हुई हैं। गीत गाने, सुनने-सुनाने के अवसर हुआ करते थे, वे अवसर ही गीत-कविताओं को गुनगुनाते रह सकने के लिए याद करने को प्रेरित करते थे। सहेजने और रचने के लिए प्रेरित करते थे। उनमें कुछ जांड़ने के लिए प्रेरित करते थे। इस सबके लिए अतिरिक्त प्रयासों की जरूरत नहीं पड़ती थी, वह जीवन-शैली का स्वाभाविक हिस्सा था। बच्चों के लिए पढ़ाई से अधिक खेलने-कूदने के लिए समय और जगहें थीं। खेलने-कूदने की मस्ती के दौरान ही उनके बीच से स्वतः ही नये खेलों, तुकबंदियों, खेलगीतों और बालगीतों का सृजन भी हो जाया करता था। उनकी ये रचनाएं चलन में आ जाया करती थीं, जबान पर चढ़ जाती थीं और सालों-साल उनकी टोलियों के बीच बनी रहती थीं। समय के साथ उनमें कुछ कमी पाए जाने पर संशोधित होती रहती थीं।
शिक्षा व्यवस्था गीत-कविता को किस दृष्टि से देखती है :
अनुच्छेद के आधार पर हमारी संस्कृति और समाज में गीत-कविता की जो जगहें-
गीत-कविता के बारे में कौन-सा कथन सही है?
गीत-कविता बच्चों के जीवन में रच-बस जाएं यह माता-पिता को पसंद नहीं है, क्योंकि इससे बच्चे-
गीत-कविता स्कूलों को पसंद नहीं है, क्योंकि उन्हें लगता है कि -
निर्देश : अधोलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा प्रश्न के उत्तर गद्यांश के आधार पर दीजिए।
$\ \ \ \ \ \ \ \ \ \ \ $मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के दो नजरिए हैं. एक आशावादी दूसरा निराशावादी। इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं। जो आशाबादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दुःख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं। वे मूल जाते हैं कि तर्क और कुतर्क से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है। आशावादी कभी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आंतरिक आनंद की प्रतीति करता है। वह मानता है कि आत्मिक आनंद कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है। किसी परंपरा का विरोध करने से ही प्रतिभा ऊपर नहीं उठती। विरोध से नाश होता है। इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है। निराशावाद या नकारात्मकता की नींव पर कभी किसी जीवन-प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ।
'आत्मिक आनंद' से आशय है :
मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के दो नजरिए हैं. एक आशावादी दूसरा निराशावादी। इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं। जो आशाबादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दुःख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं। वे मूल जाते हैं कि तर्क और कुतर्क से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है। आशावादी कभी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आंतरिक आनंद की प्रतीति करता है। वह मानता है कि आत्मिक आनंद कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है। किसी परंपरा का विरोध करने से ही प्रतिभा ऊपर नहीं उठती। विरोध से नाश होता है। इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है। निराशावाद या नकारात्मकता की नींव पर कभी किसी जीवन-प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ।
निराशावादी दुःख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं, के लिए कहा जा सकता है :
नकारात्मकता का आशय है :
परंपरा का विरोध करने से प्रतिभा ऊपर नहीं उठती का आशय है
इस अवतरण का सर्वथा उपयुक्त शीर्षक हो सकता है :
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