सागर-सा गंभीर हृदय हो,गिरि-सा ऊँचा हो जिसका मन।
उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार निहित है ?
‘पापी मनुज भी आज मुख से, राम नाम निकालते’ - इस काव्य पंक्ति में अलंकार है -
बाँधा था विधु को किसने इन काली जंजीरों से
मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
जान पड़ता है नेत्र देख बड़े-बड़े
हीरको में गोल नीलम हैं जड़े। उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
रको में गोल नीलम हैं जड़े। उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
'राम कृपा भव-निसा सिरानी।' उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
राम कृपा भव-निसा सिरानी। उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
खिली हुई हवा आई, फिरकी-सी आई, चली गई’ - पंक्ति में अलंकार है -
निम्नलिखित चार विकल्पों में से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
'एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास' में कौन-सा अलंकार है?
बरसत बारिद बून्द गहि में कौन-सा अलंकार है ?
जा तन की झाई परै, श्यामु हरित, दुतिहोय।
. निम्नलिखित चार विकल्पों में से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
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