“तो पर वारौं उर बसी, सुन राधीके सुजान।
तू मोहन के उर वसी,ह्वैं उर बसी सुजान।।”
उपर्युक्त दोहे में कौन सा अलंकार है?
'बलिहारी नृप कूप की गुण बिन बूंद न देहि।'
प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
“है वसुंधरा बिखेर देती मोती सबके सोने पर।
रवि बटोर लेता है उसको सदा सवेरा होने पर।”
प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
“बांधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से
मणिवाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से।।”
फूले कास सकल महि छाई।
जनु बरसा रितु प्रकट बुढ़ाई ।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
नवल सुंदर श्याम- शरीर की,
सजल नीरद- सी कल कांति थी।,
“ तेगबहादुर, हाँ, वही थे गुरु पदवी के पात्र समर्थ
तेगबहादुर, हाँ, वही थे गुरु-पदवी थी जिनके अर्थ।।”
वन शारदी चन्द्रिका-चादर ओढ़े। प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
“ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।” प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
“एक कह्यौ ‘वर देत भव, भाव चाहिए चित्त’।
सुनि कह कोउ ‘भोले भवहिं भाव चाहिए ? मित्त’ ।।”
इस काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
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