“राम हृदय जाके नहीं, विपति सुमंगल ताहिं।
राम हृदय जाकर, नहीं विपति सुमंगल ताहि।।”
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
“राम ह्रदय जाके नहीं, विपति सुमंगल ताहिं।
“माला फेरत जुग भया , फिरा न मन का फेर
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।”
प्रस्तुत दोहे में कौन सा अलंकार है?
“विमाता बन गई आंधी भयवह।हुआ चंचल ना फिर भी श्यामघन वह।”
प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
दिए गए विकल्पों में से कौन सा अर्थालंकार है?
“उदित उदयगिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग।।”
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
‘सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊँचा हो जिसका मन।’ इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
“तो पर वारौं उर बसी, सुन राधीके सुजान।
तू मोहन के उर वसी,ह्वैं उर बसी सुजान।।”
उपर्युक्त दोहे में कौन सा अलंकार है?
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाए वहाँ होता है-
“उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उसका लगा।
मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा।।”
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
मानो हवा किस जोर से, सोता हुआ सागर जगा।।”
“तरणि के ही संग तरल तरंग में,
तरणि डूबी थी हमारी ताल में।”
प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
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