“आधा पात बबूल का, तामे तनिक पिसान।
लाला जी करने लगे छठे छमासे दान।”
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
“अखिल भुवन चर-अचर जग, हरिमुख में लखि मातु।
चकित भयी, गदगद वचन, विकसित दृग पुलकातु।।”
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन- सा रस है?
‘रिपु-आँतन की कुंडली करि जोगिनी चबात ।
पीबहि में पागी मनो जुवति जलेबी खात ।।’
उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा स्थायी भाव है?
देखि सुदामा की दीन दसा,करुणा करिकै करुनानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोये ।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा रस है?
“हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी, तुम देखी सीता मृगनैनी।”
जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होने लगता है वह कहलाता है-
मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर- विकार क्या कहलाते हैं-
मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर-विकार क्या कहलाते हैं-
“सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।” प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा रस है?
“सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।” प्रस्तुत पंक्तियों में कौन -सा रस है?
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा रस है?
माधुर्य गुण का किस रस में प्रयोग होता है?
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