राम को रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाई' - उपर्युक्त पंक्ति में कौन - सा रस है ?
जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होने लगता है वह कहलाता है-
मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर- विकार क्या कहलाते हैं-
मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर-विकार क्या कहलाते हैं-
“सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।” प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा रस है?
“सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।” प्रस्तुत पंक्तियों में कौन -सा रस है?
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा रस है?
माधुर्य गुण का किस रस में प्रयोग होता है?
सुनत लखन के बचन कठोर। परसु सुधरि धरेउ कर घोरा
अब जनि देर दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालक बध जोगू।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा रस प्रयुक्त हुआ है?
“सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत।
खिंचत जीभहिं स्यार अतिहि आनंद उर धारत।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा रस है?
चित अलि कत भरमत रहत कहाँ नहीं बास।
विकसित कुसुमन मैं अहै काको सरस विकास।।
मानव समाज में अरुण पड़ा, जल जन्तु बीच हो वरुण पड़ा।
इस तरह भभकता राजा था, मानो सर्पों में गरुड़ पड़ा।
उपर्युक्त पंक्ति में कौन - सा रस है?
मानव समाज में अरुण पड़ा ,जल जन्तु बीच हो वरुण पड़ा।
इस तरह भभकता राणा था , मानो सर्पों में गरुड़ पड़ा।
उपर्युक्त पंक्ति में कौन - सा रस है ?
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