मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर- विकार क्या कहलाते हैं-
मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर-विकार क्या कहलाते हैं-
जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होने लगता है वह कहलाता है-
राम को रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाई' - उपर्युक्त पंक्ति में कौन - सा रस है ?
देखि सुदामा की दीन दसा,करुणा करिकै करुनानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोये ।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा रस है?
‘रिपु-आँतन की कुंडली करि जोगिनी चबात ।
पीबहि में पागी मनो जुवति जलेबी खात ।।’
उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा स्थायी भाव है?
जो व्यक्ति, पदार्थ अथवा बाह्य विकार अन्य व्यक्ति के हृदय में भावोद्रेक करता है, उन कारकों को कहा जाता है-
“अखिल भुवन चर-अचर जग, हरिमुख में लखि मातु।
चकित भयी, गदगद वचन, विकसित दृग पुलकातु।।”
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन- सा रस है?
निम्नलिखित में से किस रस का संचारी भाव उग्रता, गर्व, हर्ष आदि होते हैं?
“आधा पात बबूल का, तामे तनिक पिसान।
लाला जी करने लगे छठे छमासे दान।”
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
निम्नलिखित में से करुण रस का स्थाई भाव क्या है?
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