नहिं परागु नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिं काल। अली कली ही सौं बंध्यौं, आगैं कौन हवाल।।इसमें कौन-सा अलंकार है?
नहिं परागु नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिं काल। अली कली ही सौं बंध्यौं, आगैं कौन हवाल।। इसमें कौन-सा अलंकार है?
‘मोम-सा तन घुल चुका अब दीप-सा मन जल चुका है’ इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
जिन पंक्तियों में एक ही उच्चारण स्थान से उच्चरित होने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है, तो वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
पूत सपूत, तो क्यों धन संचय? पूत कपूत, तो क्यों धन संचय'—इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
'जान पड़ता नेत्र देख बड़े-बड़े
हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े।' इसमें कौन-सा अलंकार है?
'छिपा रही घुंघट में सुंदरी, क्या अपना आनन तू?
आनन-सा ही चंद्र चमकता, ऊपर फेर नयन तू।'
पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
जहाँ एक या अनेक वर्णों की एक क्रम में एक बार ही आवृत्ति हो वह कौन-सा अलंकार कहलाता है?
'के वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।' में कौन-सा अलंकार है?
'वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे' वाक्य में कौन-सा अलंकार है?
जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए वहाँ कौन-सा अलंकार होगा?
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