Question 1:
सूरदास ने किस भाषा में सूरसागर की रचना की?
व्याख्या - सूरदास और नंददास की काव्य रचनाओं की भाषा ब्रजभाषा है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
- ब्रज भाषा का पुराना अर्थ- गौशाला, चारागाह एवं पशुओं का समूह है।
- 13 वीं शताब्दी से लेकर 20 वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी।
- ब्रजभाषा मूलतः ब्रजक्षेत्र की बोली है।
- ब्रजभाषा का विकास शौरसैनी अपभ्रंश या शौरसैनी प्राकृत के मध्यवर्ती रूप से हुआ है।
- ब्रजभाषा के अन्य नाम - मध्यदेशीय, अंतर्वेदीय, ग्वालियर, पिंगल, हिन्दुई आदि।
- ब्रजभाषा का क्षेत्र - मथुरा, अलीगढ़, आगरा, धौलपुर, मैनपुरी, एटा, बदायूँ, बरेली, पीलीभीत आदि।
अन्य विकल्प-
अवधी-
- अवधी क्षेत्र की भाषा अवधी कहलाती है, जो हिंदी की एक उपभाषा है।
- अवधी का प्राचीन साहित्य बहुत संपन्न है।
- इसमें भक्तिकाव्य और प्रेमाख्यान काव्य दोनों का विकास हुआ।
- अवधीबोली का क्षेत्र- लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, फैजाबाद, सुल्तानपुर, गोंडा,बस्ती, प्रतापगढ़, बाराबंकी आदि है।
खड़ी बोली-
- शौरसैनी अपभ्रंश से विकसित बोली .
- मूल नाम - कौरवी,1801 ई में खड़ी बोली नाम पड़ा।
- कौरवी, नामकरण दिया था - महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने।
- खड़ी बोली नाम पड़ा - साहित्यिक भाषा बनने पर।
- अन्य नाम - वर्नाक्युलर, सरहिंदी, हिंदुस्तानी, खरी बोली, डिंगल, रेख्ता, दक्खिनी हिंदी, देहलवी, हिंदुई, हिंदवी आदि।
- खड़ी बोली का आदर्श और मानक रूप - मेरठ में।
- साहित्य - जहाँ कौरवी में लोक साहित्य उपलब्ध है, वहीं खड़ी बोली में हिंदी का विपुल साहित्य है।
- आज खड़ी बोली मानक हिंदी का पर्याय मानी जाती है।
- खड़ी बोली का क्षेत्र - दिल्ली, आगरा, मेरठ, पानीपत, अम्बाला आदि।
- खड़ी बोली के प्रथम कवि - आमिर खुसरो।
- खड़ी बोली शब्द का सर्वप्रथम प्रयोगकर्ता - लल्लूलाल एवं सदल मिश्र।
- गार्सा द तासी एवं चन्द्रबली पाण्डेय ने खड़ी शब्द का अर्थ शुद्ध, प्रकृत, एवं ठेठ माना है।
- खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य - प्रिय प्रवास।
- खड़ी बोली का सर्वप्रसिद्ध महाकाव्य - कामायनी।
राजस्थानी-
- राजस्थानी भाषा का विकास शौरसैनी अपभ्रंश से हुआ।
- राजस्थानी भाषा के दो भेद किये जा सकते है - पूर्वी राजस्थानी और पश्चिमी राजस्थानी।
- राजस्थानी भाषा को मरुभाषा भी कहा जाता है।
- राजस्थानी भाषा का क्षेत्रफल लगभग डेढ़ लाख वर्ग मील में हैं।
- यह भाषा राजस्थान, मध्य भारत के पश्चिम भाग, मध्य प्रान्त, सिंध तथा पंजाब के निकटवर्ती क्षेत्रों में बोली जाती है।
अतिरिक्त ज्ञान -
- ब्रजभाषा हिंदी साहित्य के मध्यकाल की प्रमुख भाषा।
- ब्रजभाषा कृष्ण काव्य की सर्वप्रमुख भाषा।
- रीतिकाल में ब्रजभाषा भाषा की प्रधानता थी।