UPSSSC PET HINDI QUIZ

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Question 1:

निर्देश - नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्न के सबसे उपयुक्त वाले विकल्प चुनिए:


$\quad$$\quad$$\quad$प्राचीन भारत में शिक्षा ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था, व्यक्ति के जीवन को संतुलित और श्रेष्ठ बनाने तथा एक नई दिशा प्रदान करने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान था, सामाजिक बुराइयों को उसकी जड़ों से निर्मूल करने और त्रुटिपूर्ण जीवन में सुधार करने के लिए शिक्षा की नितांत आवश्यकता थी, यही एक ऐसी व्यवस्था थी जिसके द्वारा संपूर्ण जीवन ही परिवर्तित किया जा सकता था। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने वास्तविकता ज्ञान को प्राप्त करने और अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षा पर निर्भर होना पड़ता था। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है, विद्या का स्थान किसी भी वस्तु से बहुत ऊंचा बताया गया, प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए शिक्षा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया, शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक मानसिक और आत्मिक अर्थात सर्वागीण विकास संभव है शिक्षा ने हीं प्राचीन संस्कृति को संरक्षण दिया और इसके प्रसार में मदद की।


$\quad$$\quad$$\quad$विद्या का आरंभ उपनयन संस्कार द्वारा होता था, उपनयन संस्कार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मनुस्मृति में उल्लेख मिलता है कि, गर्भाधान संस्कार द्वारा तो व्यक्ति का शरीर उत्पन्न होता है पर उपनयन संस्कार द्वारा उसका आध्यात्मिक जन्म होता है। प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आचार्य के पास भेजा जाता था, इस अवस्था में बालक जो ज्ञानार्जन करता था उसका लाभ उसको जीवन भर मिलता था। गुरु ग्रह में निवास करते हुए विद्यार्थी समाज के निकट संपर्क में आता था, गुरु के लिए समिधा जल का लाना तथा गृह कार्य करना उसका कर्तव्य माना जाता था, गृहस्थ धर्म की शिक्षा के साथ-साथ वह श्रम और सेवा का पाठ पढ़ता था शिक्षा केवल सैद्धांतिक और पुस्तके ना होकर जीवन की वास्तविकता के निकट होती थी।

"गर्भाधान" में कौन-सी संधि है?

निर्देश - नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्न के सबसे उपयुक्त वाले विकल्प चुनिए:

$\quad$$\quad$$\quad$प्राचीन भारत में शिक्षा ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था, व्यक्ति के जीवन को संतुलित और श्रेष्ठ बनाने तथा एक नई दिशा प्रदान करने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान था, सामाजिक बुराइयों को उसकी जड़ों से निर्मूल करने और त्रुटिपूर्ण जीवन में सुधार करने के लिए शिक्षा की नितांत आवश्यकता थी, यही एक ऐसी व्यवस्था थी जिसके द्वारा संपूर्ण जीवन ही परिवर्तित किया जा सकता था। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने वास्तविकता ज्ञान को प्राप्त करने और अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षा पर निर्भर होना पड़ता था। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है, विद्या का स्थान किसी भी वस्तु से बहुत ऊंचा बताया गया, प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए शिक्षा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया, शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक मानसिक और आत्मिक अर्थात सर्वागीण विकास संभव है शिक्षा ने हीं प्राचीन संस्कृति को संरक्षण दिया और इसके प्रसार में मदद की।

$\quad$$\quad$$\quad$विद्या का आरंभ उपनयन संस्कार द्वारा होता था, उपनयन संस्कार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मनुस्मृति में उल्लेख मिलता है कि, गर्भाधान संस्कार द्वारा तो व्यक्ति का शरीर उत्पन्न होता है पर उपनयन संस्कार द्वारा उसका आध्यात्मिक जन्म होता है। प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आचार्य के पास भेजा जाता था, इस अवस्था में बालक जो ज्ञानार्जन करता था उसका लाभ उसको जीवन भर मिलता था। गुरु ग्रह में निवास करते हुए विद्यार्थी समाज के निकट संपर्क में आता था, गुरु के लिए समिधा जल का लाना तथा गृह कार्य करना उसका कर्तव्य माना जाता था, गृहस्थ धर्म की शिक्षा के साथ-साथ वह श्रम और सेवा का पाठ पढ़ता था शिक्षा केवल सैद्धांतिक और पुस्तके ना होकर जीवन की वास्तविकता के निकट होती थी।

Question 2:

निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द पुल्लिंग है ?

Question 3:

दिए गए विकल्पों के आधार पर ‘कन्नौजी बोली’ का क्षेत्र है-

Question 4:

निम्नलिखित में से कौन-सा संयुक्त स्वर नहीं है ?

Question 5:

कौन - सा विकल्प ‘शालीन’ का पर्यायवाची शब्द है ?

Question 6:

निम्नलिखित विकल्पों में से छंद के चरणान्त की अक्षर मैत्री को कहते हैं-

Question 7:

कर्मचारी शब्द के अंत में क्या जोड़ने पर शब्द बहुवचन बन जाएगा?

Question 8:

निम्नलिखित में से ‘चौमासा’ के लिए पर्यायवाची शब्द है-

Question 9:

दिए गए विकल्पों में से किस विकल्प में सभी शब्द जातिवाचक संज्ञाएँ हैं-

Question 10:

दिए गए विकल्पों में से 'मूक' का विपरीतार्थक शब्द है -