UP POLICE CONSTABLE HINDI QUIZ

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Question 1:

दिए गए वाक्य का वह भाग ज्ञात करें जिसमें कोई त्रुटि है।

कृपया मेरा आवेदन पत्र स्वीकार करने की कृपा करें ।

Question 2:

"जीवन" उपसर्ग का शब्द है?

Question 3:

भारत के संविधान के अनुसार :

Question 4:

जो वाणी द्वारा व्यत्त न किया जा सके. -

Question 5:

दिए गए ‘ओस’ शब्द के पर्यायवाची शब्द का चयन कीजिए।

Question 6:

"कल्पवृक्ष"' का पर्यायवाची है-

Question 7:

निम्नलिखित विकल्पों में से 'सेमल का फूल होना' मुहावरे का अर्थ है -

Question 8:

तन्मय' का सन्थि-विच्छेद निम्नलिखित में से कौन-सा है?

Question 9:

शासन की पहुंच प्रवृत्ति और निवृत्ति की बाहरी व्यवस्था तक ही होती है। उनके मूल या मर्म तक उनकी गति नहीं होती। भीतरी या सच्ची प्रवृत्ति- निवृत्ति को जागृत रखने वाली शक्ति कविता है जो धर्म क्षेत्र में शक्ति भावना को जगाती रहती है। भक्ति धर्म की रसात्मक अनुभूति है। अपने मंगल और लोक के मंगल का संगम उसी के भीतर दिखाई पड़ता है। इस संगम के लिए प्रकृति के क्षेत्र के बीच मनुष्य को अपने हृदय के प्रसार का अभ्यास करना चाहिए। जिस प्रकार ज्ञान नर सत्ता के प्रसार के लिए है उसी प्रकार हृदय भी। रागात्मक वृत्ति के प्रसार के बिना विश्व के साथ जीवन का प्रकृत सामंजस्य घटित नहीं हो सकता। जब मनुष्य के सुख और आनंद का मेल प्रकृति के सुख- सौंदर्य के साथ हो जाएगा। जब उसकी रक्षा का भाव तृणगुल्म, वृक्ष लता, पशु पक्षी, कीट पतंग सब की रक्षा के भाव के साथ समन्वित हो जाएगा, तब उसके अवतार का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा और वह जगत का सच्चा प्रतिनिधि हो जाएगा। यह साधना इसी भूमि पर पहुंचाने के लिए है।
उपर्युक्त गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
भक्ति किसे कहते हैं-
शासन की पहुंच प्रवृत्ति और निवृत्ति की बाहरी व्यवस्था तक ही होती है। उनके मूल या मर्म तक उनकी गति नहीं होती। भीतरी या सच्ची प्रवृत्ति- निवृत्ति को जागृत रखने वाली शक्ति कविता है जो धर्म क्षेत्र में शक्ति भावना को जगाती रहती है। भक्ति धर्म की रसात्मक अनुभूति है। अपने मंगल और लोक के मंगल का संगम उसी के भीतर दिखाई पड़ता है। इस संगम के लिए प्रकृति के क्षेत्र के बीच मनुष्य को अपने हृदय के प्रसार का अभ्यास करना चाहिए। जिस प्रकार ज्ञान नर सत्ता के प्रसार के लिए है उसी प्रकार हृदय भी। रागात्मक वृत्ति के प्रसार के बिना विश्व के साथ जीवन का प्रकृत सामंजस्य घटित नहीं हो सकता। जब मनुष्य के सुख और आनंद का मेल प्रकृति के सुख- सौंदर्य के साथ हो जाएगा। जब उसकी रक्षा का भाव तृणगुल्म, वृक्ष लता, पशु पक्षी, कीट पतंग सब की रक्षा के भाव के साथ समन्वित हो जाएगा, तब उसके अवतार का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा और वह जगत का सच्चा प्रतिनिधि हो जाएगा। यह साधना इसी भूमि पर पहुंचाने के लिए है।
उपर्युक्त गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

Question 10:

निम्नलिखित वाक्यों में से शुद्ध वाक्य पहचानिए -