Question 1:
गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिये -
"राष्ट्रभाषा से यह अभिप्राय है कि वह अंतरप्रांतीय व्यापार और सार्वजनिक व्यवहार में सभी प्रांतों में रहने वालों द्वारा बरती जाए और बदरीनाथ से रामेश्वरम तक तथा अमृतसर से कटक सभी स्थानों में परस्पर बातचीत और विचार-विनिमय में काम लाई जाए। राष्ट्रभाषा होने की अधिकाधिक योग्यता हिंदी में आनी और लानी चाहिए। आज के युग में जब वैज्ञानिक अविष्कार के कारण दुनिया से स्थान और समय की दूरी समाप्त होती जा रही है, कोई भी भाषा दूसरी भाषा के सम्पर्क से अपने को अछूता नहीं रख सकती। हिंदी का यह विशेष गुण है कि उसने हिन्दुओं की भाषा होते हुए भी अरबी,फ़ारसी,अंग्रेजी इत्यादि के शब्दों को अछूत नहीं समझा। बहिष्कार की नीति तो वह कदापि स्वीकार नहीं कर सकती और न विदेशी शब्दों को ही बाहर रखकर वह अपनी उन्नति कर सकती है। हिंदुस्तान में हिन्दू,मुसलमान,ईसाई, सिख इत्यादि सभी बसते हैं, तो भी वह हिंदुस्तान हैं। इसी प्रकार, यदि हम सभी भाषाओं से उत्तम और आवयश्यक शब्द लेंगे, तो भी हिंदी हिंदी ही रहेगी।"
हिंदी का विशेष गुण क्या है ?
गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर दीजिये -
"राष्ट्रभाषा से यह अभिप्राय है कि वह अंतरप्रांतीय व्यापार और सार्वजनिक व्यवहार में सभी प्रांतों में रहने वालों द्वारा बरती जाए और बदरीनाथ से रामेश्वरम तक तथा अमृतसर से कटक सभी स्थानों में परस्पर बातचीत और विचार-विनिमय में काम लाई जाए। राष्ट्रभाषा होने की अधिकाधिक योग्यता हिंदी में आनी और लानी चाहिए। आज के युग में जब वैज्ञानिक अविष्कार के कारण दुनिया से स्थान और समय की दूरी समाप्त होती जा रही है, कोई भी भाषा दूसरी भाषा के सम्पर्क से अपने को अछूता नहीं रख सकती। हिंदी का यह विशेष गुण है कि उसने हिन्दुओं की भाषा होते हुए भी अरबी,फ़ारसी,अंग्रेजी इत्यादि के शब्दों को अछूत नहीं समझा। बहिष्कार की नीति तो वह कदापि स्वीकार नहीं कर सकती और न विदेशी शब्दों को ही बाहर रखकर वह अपनी उन्नति कर सकती है। हिंदुस्तान में हिन्दू,मुसलमान,ईसाई, सिख इत्यादि सभी बसते हैं, तो भी वह हिंदुस्तान हैं। इसी प्रकार, यदि हम सभी भाषाओं से उत्तम और आवयश्यक शब्द लेंगे, तो भी हिंदी हिंदी ही रहेगी।"
हिंदी का विशेष गुण क्या है ?
Question 9:
निर्देश: निम्नलिख्ति काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
साकर, दिव्य गौरव विराट!
पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल!
मेरी जननी के हिमकिरीट!
मेरे भारत के दिव्य भाल!
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
युग-युग अजेय, निर्बंध, मुक्त,
युग-युग गर्वोन्नत नित महान,
निस्सीम व्योम में तान रहे,
युग से किस महिमा का वितान?
कैसी अखंड यह चिर समाधि?
यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान?
तू महाशून्य में खोज रहा
किस जटिल समस्या का निदान?
उलझन का कैसा विषम-जाल
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
'जिसे जीता न जा सके' उसके लिए एक शब्द :
निर्देश: निम्नलिख्ति काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए- साकर, दिव्य गौरव विराट! पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल! मेरी जननी के हिमकिरीट! मेरे भारत के दिव्य भाल! मेरे नगपति! मेरे विशाल! युग-युग अजेय, निर्बंध, मुक्त, युग-युग गर्वोन्नत नित महान, निस्सीम व्योम में तान रहे, युग से किस महिमा का वितान? कैसी अखंड यह चिर समाधि? यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान? तू महाशून्य में खोज रहा किस जटिल समस्या का निदान? उलझन का कैसा विषम-जाल मेरे नगपति! मेरे विशाल!
'जिसे जीता न जा सके' उसके लिए एक शब्द :