Question 5:
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय सभ्यता के इतिहास का जीता-जागता गवाह है। इसी वर्तमान के बल पर भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिए कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरंतर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय और नृपालय इनके संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त, विद्वज्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रणकला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी संपत्ति लगती है, उतनी इन दिनों कभी-कभी एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपना सानी नहीं रखते थे। प्राचीनकाल से मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन, फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुंड-के-झुंड विद्यानुरागी लंबी यात्राएँ करके भारत आया करते थे।
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक हो सकता है?
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें।
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय सभ्यता के इतिहास का जीता-जागता गवाह है। इसी वर्तमान के बल पर भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिए कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरंतर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय और नृपालय इनके संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त, विद्वज्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रणकला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी संपत्ति लगती है, उतनी इन दिनों कभी-कभी एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपना सानी नहीं रखते थे। प्राचीनकाल से मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन, फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुंड-के-झुंड विद्यानुरागी लंबी यात्राएँ करके भारत आया करते थे।
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक हो सकता है?