Question 8:
निर्देश- गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा प्रश्न का उत्तर दीजिए।
आदिम आर्य घुमक्कड़ ही थे। यहाँ से वहाँ वे घूमते ही रहते थे।घूमते भटकते ही वे भारत पहुँचे थे। यदि घुमक्कड़ी का बाना उन्होंने धारण न किया होता, यदि वे एक स्थान पर ही रहते, तो आज भारत में उनके वंशज न होते। भगवान बुद्ध घुमक्कड़ थे। भगवान महावीर घुमक्कड़ थे। वर्षा-ऋतु के कुछ महीनों को छोड़कर एक स्थान में रहना बुद्ध के वश का नहीं था। 35 वर्ष की आयु में उन्होंने बुद्धत्व प्राप्त किया। 35 वर्ष से 80 वर्ष की आयु तक जब उनकी मृत्यु हुई, 45 वर्ष तक वे निरंतर घूमते ही रहे। अपने आपको समाज सेवा और धर्म प्रचार में लगाए रहे। अपने शिष्यों से उन्होंने कहा था ‘चरथ भिक्खवे चारिक’ हे भिक्षुओं! घुमक्कड़ी करो। यद्यपि बुद्ध कभी भारत से बाहर नहीं गए, किंतु उनके शिष्यों ने उनके वचनों को सिर आँखों पर लिया और पूर्व में जापान, उत्तर में मंगोलिया, पश्चिम में मकदूनिया और दक्षिण में बाली द्वीप तक धावा मारा। श्रावण महावीर ने स्वच्छंद विचरण के लिए अपने वस्त्रों तक को त्याग दिया।दिशाओं को उन्होंने अपना अंबर बना लिया, वैशाली में जन्म लिया और पावा में शरीर त्याग किया।जीवनपर्यन्त घूमते रहे।मानव के कल्याण और मानव की राह प्रदर्शन के लिए शंकराचार्य 12 वर्ष की अवस्था में कभी केरल, कभी मिथिला, कभी कश्मीर और कभी बद्रिकाश्रम घूमते रहे। कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक समस्त भारत को अपना कर्मक्षेत्र समझा।सांस्कृतिक एकता के लिए, समन्वय के लिए, श्रुति धर्म की रक्षा के लिए। शंकराचार्य के प्रयत्नों से ही वैदिक धर्म का उत्थान हो सका।
महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था ?
निर्देश- गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा प्रश्न का उत्तर दीजिए।
आदिम आर्य घुमक्कड़ ही थे। यहाँ से वहाँ वे घूमते ही रहते थे।घूमते भटकते ही वे भारत पहुँचे थे। यदि घुमक्कड़ी का बाना उन्होंने धारण न किया होता, यदि वे एक स्थान पर ही रहते, तो आज भारत में उनके वंशज न होते। भगवान बुद्ध घुमक्कड़ थे। भगवान महावीर घुमक्कड़ थे। वर्षा-ऋतु के कुछ महीनों को छोड़कर एक स्थान में रहना बुद्ध के वश का नहीं था। 35 वर्ष की आयु में उन्होंने बुद्धत्व प्राप्त किया। 35 वर्ष से 80 वर्ष की आयु तक जब उनकी मृत्यु हुई, 45 वर्ष तक वे निरंतर घूमते ही रहे। अपने आपको समाज सेवा और धर्म प्रचार में लगाए रहे। अपने शिष्यों से उन्होंने कहा था ‘चरथ भिक्खवे चारिक’ हे भिक्षुओं! घुमक्कड़ी करो। यद्यपि बुद्ध कभी भारत से बाहर नहीं गए, किंतु उनके शिष्यों ने उनके वचनों को सिर आँखों पर लिया और पूर्व में जापान, उत्तर में मंगोलिया, पश्चिम में मकदूनिया और दक्षिण में बाली द्वीप तक धावा मारा। श्रावण महावीर ने स्वच्छंद विचरण के लिए अपने वस्त्रों तक को त्याग दिया।दिशाओं को उन्होंने अपना अंबर बना लिया, वैशाली में जन्म लिया और पावा में शरीर त्याग किया।जीवनपर्यन्त घूमते रहे।मानव के कल्याण और मानव की राह प्रदर्शन के लिए शंकराचार्य 12 वर्ष की अवस्था में कभी केरल, कभी मिथिला, कभी कश्मीर और कभी बद्रिकाश्रम घूमते रहे। कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक समस्त भारत को अपना कर्मक्षेत्र समझा।सांस्कृतिक एकता के लिए, समन्वय के लिए, श्रुति धर्म की रक्षा के लिए। शंकराचार्य के प्रयत्नों से ही वैदिक धर्म का उत्थान हो सका।
महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था ?