‘रिपु-आँतन की कुंडली करि जोगिनी चबात ।
पीबहि में पागी मनो जुवति जलेबी खात ।।’
उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा स्थायी भाव है?
मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर- विकार क्या कहलाते हैं-
मनोगत भावों को व्यक्त करने वाले शरीर-विकार क्या कहलाते हैं-
मानव समाज में अरुण पड़ा, जल जन्तु बीच हो वरुण पड़ा।
इस तरह भभकता राजा था, मानो सर्पों में गरुड़ पड़ा।
उपर्युक्त पंक्ति में कौन - सा रस है?
मानव समाज में अरुण पड़ा ,जल जन्तु बीच हो वरुण पड़ा।
इस तरह भभकता राणा था , मानो सर्पों में गरुड़ पड़ा।
उपर्युक्त पंक्ति में कौन - सा रस है ?
साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धारी,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं।
प्रस्तुत वाक्य में कौन - सा रस प्रयुक्त है ?
वीर रस का स्थायी भाव है -
मन रे तन कागद का पुतला।
लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना ।।
जब मैं था तब हरि नाहिं अब हरि है मैं नाहिं।
सब अधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं।।
'अद्भुत रस' का स्थायी भाव क्या है ?
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है कि संयोग और वियोग किस रस के रूप है ?
'रौद्र' रस का स्थायी भाव क्या है?
रौद्र' रस का स्थायी भाव क्या है?
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