Question 2:
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर उत्तर दीजिए :
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
देखा माता का ऐसा रक्तिम श्रृंगार नहीं।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के वंदन के।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के अर्चन के।
शीश-शीश में भाव उमड़ते माँ पर अर्पण के।
प्राण-प्राण में भाव उमड़ते शोणित तर्पण के।
जीवन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।
सत्य अहिंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।
विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अभिशाप नहीं।
यही सत्य है सदा असत की टिकती चाप नहीं।
सावधान हिंसक! प्रतिहिंसा की कोई माप नहीं।
कोई भी प्रस्ताव पराजय का स्वीकार नहीं।
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
‘शोणित तर्पण’ का अर्थ है :
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दीजिए :
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
देखा माता का ऐसा रक्तिम श्रृंगार नहीं।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के वंदन के।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के अर्चन के।
शीश-शीश में भाव उमड़ते माँ पर अर्पण के।
प्राण-प्राण में भाव उमड़ते शोणित तर्पण के।
जीवन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।
सत्य अहिंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।
विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अभिशाप नहीं।
यही सत्य है सदा असत की टिकती चाप नहीं।
सावधान हिंसक! प्रतिहिंसा की कोई माप नहीं।
कोई भी प्रस्ताव पराजय का स्वीकार नहीं।
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
‘शोणित तर्पण’ का अर्थ है :
Question 5:
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर उत्तर दीजिए :
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
देखा माता का ऐसा रक्तिम श्रृंगार नहीं।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के वंदन के।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के अर्चन के।
शीश-शीश में भाव उमड़ते माँ पर अर्पण के।
प्राण-प्राण में भाव उमड़ते शोणित तर्पण के।
जीवन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।
सत्य अहिंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।
विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अभिशाप नहीं।
यही सत्य है सदा असत की टिकती चाप नहीं।
सावधान हिंसक! प्रतिहिंसा की कोई माप नहीं।
कोई भी प्रस्ताव पराजय का स्वीकार नहीं।
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
उपरोक्त पद्यांश में किसके आवेश का उल्लेख हुआ है?
निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर उत्तर दीजिए :
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
देखा माता का ऐसा रक्तिम श्रृंगार नहीं।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के वंदन के।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के अर्चन के।
शीश-शीश में भाव उमड़ते माँ पर अर्पण के।
प्राण-प्राण में भाव उमड़ते शोणित तर्पण के।
जीवन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।
सत्य अहिंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।
विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अभिशाप नहीं।
यही सत्य है सदा असत की टिकती चाप नहीं।
सावधान हिंसक! प्रतिहिंसा की कोई माप नहीं।
कोई भी प्रस्ताव पराजय का स्वीकार नहीं।
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
उपरोक्त पद्यांश में किसके आवेश’ का उल्लेख हुआ है?
Question 10:
निर्देश: निम्नलिख्ति काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
साकर, दिव्य गौरव विराट!
पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल!
मेरी जननी के हिमकिरीट!
मेरे भारत के दिव्य भाल!
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
युग-युग अजेय, निर्बंध, मुक्त,
युग-युग गर्वोन्नत नित महान,
निस्सीम व्योम में तान रहे,
युग से किस महिमा का वितान?
कैसी अखंड यह चिर समाधि?
यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान?
तू महाशून्य में खोज रहा
किस जटिल समस्या का निदान?
उलझन का कैसा विषम-जाल
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
'निस्सीम' शब्द में कौन सी संधि है?
निर्देश: निम्नलिख्ति काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए- साकर, दिव्य गौरव विराट! पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल! मेरी जननी के हिमकिरीट! मेरे भारत के दिव्य भाल! मेरे नगपति! मेरे विशाल! युग-युग अजेय, निर्बंध, मुक्त, युग-युग गर्वोन्नत नित महान, निस्सीम व्योम में तान रहे, युग से किस महिमा का वितान? कैसी अखंड यह चिर समाधि? यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान? तू महाशून्य में खोज रहा किस जटिल समस्या का निदान? उलझन का कैसा विषम-जाल मेरे नगपति! मेरे विशाल!
'निस्सीम' शब्द में कौन सी संधि है?