CTET HINDI QUIZ 12

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Question 1:

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

‘ताते जल नहा’ किसके स्‍नान का उल्‍लेख है ?

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

Question 2:

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

धूप किस रंग के वस्‍त्र पहनकर आई है ?

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

Question 3:

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

‘बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया’ से अभिप्राय है-

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

Question 4:

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

कवि ने सूरज के लिए किस उपमान का प्रयोग किया है ?

निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

ताते जल नहा पहन श्‍वेत वसन आई,

खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,

सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया। 

बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,

पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,

वृक्ष खुली पुस्‍तक हर पृष्‍ठ फड़फड़ाता ।

बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया। 

 

पैरों में मखमल की जूती सी क्‍यारी, 

मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी, 

डोलती सलाई हिलता जल लहराया। 

बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया। 

 

Question 5:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिडगिडाई नहीं
न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

कुरूसभा में उपस्थित द्रौपदी के पतियों को क्‍या कहा जाता है ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिडगिडाई नहीं न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 6:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिडगिडाई नहीं
न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

यज्ञ की अग्नि से कौन उत्‍पन्‍न हुआ ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिडगिडाई नहीं न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 7:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिड़गिड़ाईनहीं
न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

‘पिता को चाहिए कि एक योद्धा’- यहॉं किस योद्धा की बात हो रही है ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिड़गिड़ाईनहीं न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 8:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिड़गिड़ाईनहीं
न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

यहॉं ‘पांचाली’ से क्‍या आशय है ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिड़गिड़ाईनहीं न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 9:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिड़गिड़ाईनहीं
न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

‘द्रोणाचार्य’ शब्‍द का संधि-विच्‍छेद क्‍या है ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिड़गिड़ाईनहीं न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 10:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिड़गिड़ाईनहीं
न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

‘नि:सृत’ शब्‍द है-

निर्देश- नीचे दिए गए पंधाश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिड़गिड़ाईनहीं न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------