CTET HINDI QUIZ 16

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Question 1:

निर्देश-  दिए गए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

बीती नहीं यदपि अभी तक है निराशा की निशा- 

है किन्‍तु आशा भी कि होगी दिप्‍त फिर प्राची दिशा- 

महिमा तुम्‍हारी ही जगत में धन्‍य आशे ! धन्‍य है, 

देखा नहीं कोई कहीं अवलम्‍ब तुम सा धन्‍य है। 

आगे तुम्‍हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,

सब कुछ गया पर हाय रे ! तुमको न छोड़ेंगें कभी।

आगे तुम्‍हारे ही सहारे टिक रही हैं यह माही, 

धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। 


कवि ने आशा का ध्‍न्‍य क्‍यों कहा है ? क्‍योंकि-

निर्देश-  दिए गए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

बीती नहीं यदपि अभी तक है निराशा की निशा- 

है किन्‍तु आशा भी कि होगी दिप्‍त फिर प्राची दिशा- 

महिमा तुम्‍हारी ही जगत में धन्‍य आशे ! धन्‍य है, 

देखा नहीं कोई कहीं अवलम्‍ब तुम सा धन्‍य है। 

आगे तुम्‍हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,

सब कुछ गया पर हाय रे ! तुमको न छोड़ेंगें कभी।

आगे तुम्‍हारे ही सहारे टिक रही हैं यह माही, 

धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। 

Question 2:

निर्देश-  दिए गए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

बीती नहीं यदपि अभी तक है निराशा की निशा- 

है किन्‍तु आशा भी कि होगी दिप्‍त फिर प्राची दिशा- 

महिमा तुम्‍हारी ही जगत में धन्‍य आशे ! धन्‍य है, 

देखा नहीं कोई कहीं अवलम्‍ब तुम सा धन्‍य है। 

आगे तुम्‍हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,

सब कुछ गया पर हाय रे ! तुमको न छोड़ेंगें कभी।

आगे तुम्‍हारे ही सहारे टिक रही हैं यह माही, 

धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। 

‘निराश’ में उपसर्ग और मूल शब्‍द हैं-

निर्देश-  दिए गए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

बीती नहीं यदपि अभी तक है निराशा की निशा- 

है किन्‍तु आशा भी कि होगी दिप्‍त फिर प्राची दिशा- 

महिमा तुम्‍हारी ही जगत में धन्‍य आशे ! धन्‍य है, 

देखा नहीं कोई कहीं अवलम्‍ब तुम सा धन्‍य है। 

आगे तुम्‍हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,

सब कुछ गया पर हाय रे ! तुमको न छोड़ेंगें कभी।

आगे तुम्‍हारे ही सहारे टिक रही हैं यह माही, 

धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। 

Question 3:

निर्देश-  दिए गए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

बीती नहीं यदपि अभी तक है निराशा की निशा- 

है किन्‍तु आशा भी कि होगी दिप्‍त फिर प्राची दिशा- 

महिमा तुम्‍हारी ही जगत में धन्‍य आशे ! धन्‍य है, 

देखा नहीं कोई कहीं अवलम्‍ब तुम सा धन्‍य है। 

आगे तुम्‍हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,

सब कुछ गया पर हाय रे ! तुमको न छोड़ेंगें कभी।

आगे तुम्‍हारे ही सहारे टिक रही हैं यह माही, 

धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। 

‘प्राची’ का अर्थ है-

निर्देश-  दिए गए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:

बीती नहीं यदपि अभी तक है निराशा की निशा- 

है किन्‍तु आशा भी कि होगी दिप्‍त फिर प्राची दिशा- 

महिमा तुम्‍हारी ही जगत में धन्‍य आशे ! धन्‍य है, 

देखा नहीं कोई कहीं अवलम्‍ब तुम सा धन्‍य है। 

आगे तुम्‍हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,

सब कुछ गया पर हाय रे ! तुमको न छोड़ेंगें कभी।

आगे तुम्‍हारे ही सहारे टिक रही हैं यह माही, 

धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। 

Question 4:

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट का सबसे भयंकर परिणाम क्‍या है ?

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

Question 5:

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

उपभोक्‍तावाद किसे कहते हैं ?

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

Question 6:

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

पृथ्‍वी पर प्रदूषण का मुख्‍य कारक कौन-सा है ?

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

Question 7:

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

निम्‍नलिखित में से कौन-सा समूह से भिन्‍न है ?

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

Question 8:

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

हमें टिकाऊ विकल्‍पों की ओर क्‍यों जाना होगा ?

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

Question 9:

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

‘साइकिल रिक्‍शा‘ पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद क्‍यों है ?

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

Question 10:

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है। 

निम्‍नलिखित में से कौन सा ‘जगत’ का पर्यायवाची शब्‍द नहीं है ?

निर्देश- नीचे दिए पधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: 

कई लोगों को जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.वी., समाचार पत्रों आदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने पर मौजूद इस स्थिति को उपभोक्‍तावाद कहते हैं उपभोक्‍तावाद के विस्‍फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं क्‍योंकि इसने पृथ्‍वी पर जीवन के अस्तित्‍व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्‍तावाद, अतिउपभोग, बेहिसाब कचरा-उत्‍पदन और प्रदूषण का दानव तेल संसाधनों की नींव पर खड़ा है। तेल अपने-आप में कोई चिरस्‍थायी ऊर्जा स्‍त्रोत नहीं है। इन जीवाश्‍म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए बेहद विनाशकारी है। इसके मद्देनजर नई सदी में पश्चिमी जगत अपने भविष्‍य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्‍पों के लिए विकासशील देशों की तरफ मुड़ रहा है। क्‍योंकि इन देशों में ऐसी ऊर्जा पद्धतियॉं ही जीवन का आधार रहीं हैं। साइकिल रिक्‍शा एक ऐसा ही विकल्‍प है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है।