निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:क्या परिचय दूं मैं अपनाद्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्ण ------------ या ज्ञसेनीसभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचककभी गौर किया है तुमनेमेरा कोई नाम नहीं।द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने कोपिता को चाहिए था योद्धाऔर धृष्टघुम्न के पीछेयज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैंसबको स्तब्ध करखुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्म।सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरसअब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,लाखों लोगों की मृत्यु का कारण मैं रहीऔर भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्होंनेमहज इसलिए कि मैं कभी रोई नहींगिडगिडाई नहींन मॉ के सम्मुख जब उन्होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों मेंऔर नकुरूसभा मेंजहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------
यज्ञ की अग्नि से कौन उत्पन्न हुआ ?
निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:क्या परिचय दूं मैं अपनाद्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्ण ------------ या ज्ञसेनीसभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचककभी गौर किया है तुमनेमेरा कोई नाम नहीं।द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने कोपिता को चाहिए था योद्धाऔर धृष्टघुम्न के पीछेयज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैंसबको स्तब्ध करखुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्म।सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरसअब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,लाखों लोगों की मृत्यु का कारण मैं रहीऔर भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्होंनेमहज इसलिए कि मैं कभी रोई नहींगिड़गिड़ाईनहींन माँ के सम्मुख जब उन्होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों मेंऔर नकुरूसभा मेंजहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------
‘पिता को चाहिए कि एक योद्धा’- यहॉं किस योद्धा की बात हो रही है ?
यहॉं ‘पांचाली’ से क्या आशय है ?
‘द्रोणाचार्य’ शब्द का संधि-विच्छेद क्या है ?
‘नि:सृत’ शब्द है-
निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
विविध धर्म एक ही जगह पहुंचाने वाले अलग-अलग रास्ते हैं। एक ही जगह पहुंचने के लिए हम अलग-अलग रास्तों से चले तो इसमें दु:ख का कोई कारण नहीं हैं। सच पूछो तो जितने मनुष्य हैं उतने ही धर्म भी हैं। हमें सभी धर्मों के प्रति समभाव रखना चाहिए। इसमें अपने धर्म के प्रति उदासीनता आती हो तो ऐसी बात नहीं, बल्कि अपने धर्म पर जो प्रेम है उसकी अन्धता मिटती है इस तरह वह प्रेम ज्ञानमय और ज्यादा सात्विक तथा निर्मल बनता है। बापू इस विश्वास से सहमत नहीं थे कि पृथ्वी पर एक धर्म हो सकता है या होगा। इसलिए वे विविध धर्मों में पाया जाने वाला तत्व खोजने की और इस बात को पैदा करने कि विविध धर्मावलंबी एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता का भाव रखें, कोशिश कर रहे थे। उनकी सम्मति थी कि संसार के धर्म-ग्रंथों को सहानुभूतिपूर्वक पढ़ना प्रत्येक सभ्य पुरूष और स्त्री का कर्तव्य है अगर हमें दूसरे धर्मों का वैसा आदर करना है जैसा हम उनसे अपने धर्म का कराना चाहते हैं, तो संसार के सभी धर्मों का आदरपूर्वक अध्ययन करना हमारा एक पवित्र कर्म हो सकता है।
समूह में से भिन्न शब्द है-
सभी धर्मों के प्रति समभाव रखने से क्या होता है ?
‘’जितने मनुष्य हैं उतने ही धर्म है’’ वाक्य का क्या तात्पर्य है-
सभी धर्मों के प्रति कैसी भावना होनी चाहिए ?
विविध धर्मों में पाया जाने वाला तत्व खोजने के लिए आवश्यक है _________ ।
निर्देश - नीचे दिए गए गधांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
विविध धर्म एक ही जगह पहुंचाने वाले अलग-अलग रास्ते हैं। एक ही जगह पहुंचने के लिए हम अलग-अलग रास्तों से चले तो इसमें दु:ख का कोई कारण नहीं हैं। सच पूछो तो जितने मनुष्य हैं उतने ही धर्म भी हैं। हमें सभी धर्मों के प्रति समभाव रखना चाहिए। इसमें अपने धर्म के प्रति उदासीनता आती हो तो ऐसी बात नहीं, बल्कि अपने धर्म पर जो प्रेम है उसकी अन्धता मिटती है इस तरह वह प्रेम ज्ञानमय और ज्यादा सात्विक तथा निर्मल बनता है। बापू इस विश्वास से सहमत नहीं थे कि पृथ्वी पर एक धर्म हो सकता है या होगा। इसलिए वे विविध धर्मों में पाया जाने वाला तत्व खेजने की और इस बात को पैदा करने कि विविध धर्मावलंबी एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता का भाव रखें, कोशिश कर रहे थे। उनकी सम्मति थी कि संसार के धर्म-ग्रंथों को सहानुभूतिपूर्वक पढ़ना प्रत्येक सभ्य पुरूष और स्त्री का कर्तव्य है अगर हमें दूसरे धर्मों का वैसा आदर करना है जैसा हम उनसे अपने धर्म का कराना चाहते हैं, तो संसार के सभी धर्मों का आदरपूर्वक अध्ययन करना हमारा एक पवित्र कर्म हो सकता है।
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