हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आगि,
लंका सिगरी जल गई ,गए निशाचर भागी।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
“है वसुंधरा बिखेर देती मोती सबके सोने पर।
रवि बटोर लेता है उसको सदा सवेरा होने पर।”
प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है-
“पूत सपूत तो क्यों धन संचय, पूत कपूत तो क्यों धन संचय।” इस काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
“चमचमात चंचल नयन बिच घूँघट पट झीन।
मानहु सुरसरिता विमल जल उछरत युग मीन।।”
'बलिहारी नृप कूप की गुण बिन बूंद न देहि।'
प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
निम्नलिखित विकल्पों में 'यमक अलंकार' है -
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है-
“अस कहि कुटिल भई उठि ठाढ़ी।
मानहुँ रोष-तरंगिनी बाढ़ी”
पंकज तो पंकज , मृगांक भी है मृगांक री प्यारी
मिली न तेरे मुख की उपमा , देखि तेरी वसुधा सारी ।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार प्रयुक्त है ?
जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हुआ हो किंतु प्रसंग भेद में उसके अर्थ अलग-अलग हों, वहाँ निम्नलिखित में से कौन-सा अलंकार होता है-
कबीरा सोई पीर है,जे जाने पर पीर।
जे पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर।।
प्रस्तुत दोहे में कौन-सा अलंकार है?
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