Updated On : 28 Mar, 2022
यू.के.पी.एस.सी सिविल सेवा परीक्षा राज्य सरकार के कार्यालयों में कई पदों के लिए उम्मीदवारों की भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। आयोग राज्य सरकार के कार्यालयों के लिए कई अन्य परीक्षाएँ भी आयोजित करता है।
विशेष बिंदु :-
संगठन का नाम | उत्तराखंड लोक सेवा आयोग |
परीक्षा स्तर | राज्य |
आवृत्ति | प्रतिवर्ष |
आवेदन का तरीका | ऑनलाइन |
परीक्षा मोड | ऑफ़लाइन |
भाषा | अंग्रेज़ी , हिंदी |
आधिकारिक वेबसाइट |
इसके बाद अभ्यर्थी इसकी आधिकारिक सूचना को ध्यान से पढ़े।
ऑनलाइन आवेदन पर क्लिक करें।
सभी आवश्यक और महत्त्वपूर्ण विवरण को भरे।
दस्तावेज फोटो और हस्ताक्षर अपलोड करें।
आवेदन शुल्क के लिए भुगतान करें।
इसके बाद ऑनलाइन आवेदन फॉर्म जमा (सबमिट) करें।
आवेदन पूरा होने के बाद आप उसका प्रिंटआउट निकाल लें।
निर्धारित आवेदन शुल्क :-
सामान्य/ अन्य पिछड़ा वर्ग/ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग - 176.55/-
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति - 86.55/-
दिव्यांग - 26.55/-
परीक्षा शुल्क का भुगतान - डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग या ई चालान के माध्यम से करें।
शैक्षिक योग्यता :-
किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक प्राप्त कर चुके उम्मीदवार इसके लिए आवेदन कर सकते हैं या उसके समकक्ष सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई अन्य अर्हता।
राष्ट्रीयता :-
उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।
आयु सीमा :-
न्यूनतम आयु - 21 वर्ष
अधिकतम आयु - 42 वर्ष
अधिकतम आयु सीमा में छूट:-
नियमानुसार अधिकतम आयु-सीमा में छूट मिलेगी।
श्रेणी | आयु में छूट |
अन्य पिछड़ा वर्ग | 3 वर्ष |
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति | 5 वर्ष |
यू.के.पी.एस.सी शारीरिक आवश्यकताएँ:-
पुलिस अधीक्षक
अधीक्षक पदों के लिए आवश्यक विभिन्न मानदंडों को सूचीबद्ध किया गया है।
कद (हाइट):-
श्रेणी | पुरुष | महिला |
सामान्य | 167.7 सेमी | 152 सेमी |
अनुसूचित जनजाति | 160 सेमी | 147 सेमी |
पर्वतीय क्षेत्र | 162.6 सेमी | 147 सेमी |
सीने का माप (केवल पुरुष अभ्यर्थियों के लिए) :-
वर्ग | बिना फुलाये | फुलाने पर |
अनुचित जनजाति व पर्वतीय क्षेत्र के अभ्यर्थी | 76.5 सेमी | 81.5 सेमी |
सामान्य व अन्य अभ्यर्थी | 78.8 सेमी | 83.8 सेमी |
शारीरिक वजन (केवल महिला अभ्यर्थियों के लिए) :- न्यूनतम 45 किग्रा
प्रारंभिक परीक्षा का पैटर्न :-
विषय | प्रश्नों की कुल संख्या | अंक | समय अवधि |
सामान्य अध्ययन | 150 | 150 | 2 घंटे |
सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षा | 100 | 150 | 2 घंटे |
कुल | 300 | 4 घंटे |
मुख्य परीक्षा का पैटर्न :-
प्रश्न पत्र | विषय | अधिकतम अंक | समय अवधि |
प्रथम प्रश्न पत्र | भाषा | 300 | 3 घंटे |
द्वितीय प्रश्न पत्र | भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आंदोलन, समाज एवं संस्कृति | 200 | 3 घंटे |
तृतीय प्रश्न पत्र | भारतीय राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध | 200 | 3 घंटे |
चतुर्थ प्रश्न पत्र | भारत एवं विश्व का भूगोल | 200 | 3 घंटे |
पंचम प्रश्न पत्र | आर्थिक एवं सामाजिक विकास | 200 | 3 घंटे |
षष्ठ्म प्रश्न पत्र | सामान्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी | 200 | 3 घंटे |
सप्तम प्रश्न पत्र | सामान्य अभिरुचि एवं आचार शास्त्र | 200 | 3 घंटे |
कुल अंक | 1500 |
नोट - सभी प्रश्न पत्र अनिवार्य है। भाषा प्रश्न पत्र में न्यूनतम 35 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
प्रारंभिक परीक्षा
सामान्य अध्ययन
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की वर्तमान घटनाएँ|
भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन|
भारतीय और विश्व भूगोल - भारत और विश्व का भौतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल |
भारतीय राजनीति और शासन -संविधान, राजनीतिक व्यवस्था, पंचायती राज, सार्वजनिक नीति, अधिकार मुद्दे आदि |
आर्थिक और सामाजिक विकास - सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसंख्य्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल आदि|
पर्यावरण पारिस्थितिक, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन पर सामान्य मुद्दे |
सामान्य विज्ञान
सिविल सेवा अभिवृत्ति परीक्षा (सीसैट)
बोधगम्यता ,
संचार कौशल सहित अंतर-वैयक्तिक कौशल ,
तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता ,
निर्णय लेना और समस्या समाधान,
सामान्य मानसिक योग्यता,
मुख्य परीक्षा
भाषा -
सामान्य हिंदी और अंग्रेजी व्याकरण तथा निबंध।
भारतीय इतिहास, राष्ट्रीय आंदोलन, सामाजिक और संस्कृति -
प्राचीन काल से आधुनिक काल तक कला रूप, साहित्य और वास्तुकला,
स्वतंत्रता संग्राम - इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न हिस्सों से महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता/ योगदान।
आधुनिक भारतीय इतिहास अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, मुद्दे।
भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ।
भारत की विविधता महिलाओं और महिलाओं के संगठनों की भूमिका, जनसंख्या और संबंधित मुद्दे, गरीबी और विकास संबंधी मुद्दे, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके उपचार।
भारतीय समाज पर वैश्वीकरण के प्रभाव सामाजिक सशक्तिकरण, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता।
विश्व के इतिहास में 18वीं शताब्दी की घटनाएँ शामिल होंगी जैसे औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनर्निर्धारण, उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद, राजनीतिक दर्शन जैसे साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद, आदि- उनके रूप और समाज पर प्रभाव।
भारतीय प्रशासन, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध|
भारतीय संविधान-
ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
संघ और राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर तक शक्तियों व वित्त का हस्तांतरण और चुनौतियाँ।
शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पहलू, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और क्षमता; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता तथा जवाबदेही, और संस्थागत व अन्य उपाय|
लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका|
सरकार के कार्यकारी और न्यायपालिका मंत्रालयों और विभागों की संरचना, संगठन और कामकाज; दबाव समूह एवं औपचारिक/अनौपचारिक संघ एवं राजनीति में उनकी भूमिका|
विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का पृथक्करण निवारण तंत्र और संस्थानों को विवाद करता है।
विकास प्रक्रियाएँ और विकास उद्योग गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दाताओं, दान, संस्थागत तथा अन्य हितधारकों की भूमिका|
केंद्र और राज्यों द्वारा आबादी के कमज़ोर वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का प्रदर्शन; इन कमज़ोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिये गठित तंत्र, कानून, संस्थान एवं निकाय|
अन्य देशों की संसद और राज्य विधानसभाओं के साथ भारतीय संवैधानिक योजना की तुलना - संरचना, कामकाज, व्यवसाय का संचालन, शक्तियाँ और विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे|
विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे|
स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे|
गरीबी और भूख से संबंधित मुद्दे|
महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियाँ और मंच, उनकी संरचना, जनादेश|
भारत और उसके पड़ोस- संबंध द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले मुद्दे, भारतीय प्रवासी पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
भारत और विश्व का भूगोल -
महत्त्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएँ जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी गतिविधि, चक्रवात आदि।
स्वतंत्रता के बाद देश के भीतर एकीकरण और पुनर्गठन|
विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ विश्व भर में प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप सहित)।
विश्व के विभिन्न हिस्सों (भारत सहित) में प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों के स्थान के लिये उत्तरदायी कारक|
भौगोलिक विशेषताएँ और उनका स्थान- महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल निकायों और आईस कैप) और वनस्पतियों और जीवों में परिवर्तन और ऐसे परिवर्तनों के प्रभाव|
आर्थिक और सामाजिक विकास:
विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन।
देश के विभिन्न भागों में प्रमुख फसलों के फसल पैटर्न, विभिन्न प्रकार की सिंचाई और सिंचाई प्रणाली कृषि उत्पादों के भंडारण, परिवहन और विपणन और मुद्दों| और संबंधित बाधाओं; किसानों की सहायता में ई-प्रौद्योगिकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे|
भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, संवृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे।
समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
सरकारी बजट।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र और महत्त्व, स्थान, अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम आवश्यकताएँ, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन। भारत में भूमि सुधार।
अर्थव्यवस्था पर उदारीकरण के प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन और औद्योगिक विकास पर उनके प्रभाव।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे|
संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौतियाँ, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की मूल बातें; धन शोधन और इसकी रोकथाम सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन; आतंकवाद के साथ संगठित अपराध, विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियाँ तथा उनके अधिदेश|
सामान्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी:-
प्रौद्योगिकी मिशन; पशुपालन का अर्थशास्त्र।
बुनियादी ढाँचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे, आदि निवेश मॉडल। विज्ञान और प्रौद्योगिकी- विकास और उनके अनुप्रयोग और दैनिक जीवन में प्रभाव|
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई तकनीक का विकास|
संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण, और गिरावट, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन|
आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।
आपदा और आपदा प्रबंधन।
सामान्य रुचि और आचरण विज्ञान -
नैतिकता और मानव इंटरफेस: सार, निर्धारक और मानव कार्यों में नैतिकता के परिणाम; नैतिकता के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नैतिकता।
मानवीय मूल्य - महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन और शिक्षाओं से सबक; मूल्यों को विकसित करने में परिवार, समाज तथा शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका।
अभिवृत्ति: सामग्री, संरचना, कार्य; विचार और व्यवहार के साथ इसका प्रभाव तथा संबंध; नैतिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण; सामाजिक प्रभाव व अनुनय।
शासन में सत्यनिष्ठा: लोक सेवा की अवधारणा; शासन और ईमानदारी का दार्शनिक आधार; सरकार में सूचना साझा करना एवं पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, आचार संहिता, नागरिक चार्टर, कार्य संस्कृति, सेवा वितरण की गुणवत्ता, सार्वजनिक धन का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ उपरोक्त मुद्दों पर केस स्टडीज।
भारत और विश्व के नैतिक विचारकों और दार्शनिकों का योगदान।
लोक प्रशासन में लोक/सिविल सेवा मूल्य और नैतिकता: स्थिति और समस्याएँ; सरकारी और निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएँ और दुविधाएँ; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में कानून, नियम, विनियम और विवेक; जवाबदेही तथा नैतिक शासन; शासन में नैतिक एवं नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और वित्त पोषण में नैतिक मुद्दे; निगम से संबंधित शासन प्रणाली।
सिविल सेवा के लिये योग्यता और मूलभूत मूल्य, अखंडता, निष्पक्षता तथा गैर-पक्षपात, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण, कमज़ोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता और करुणा।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता-अवधारणाएँ और प्रशासन और शासन में उनकी उपयोगिता और अनुप्रयोग।
प्रीलिम्स परीक्षा - उत्तराखंड में पीएससी परीक्षा का पहला चरण प्रीलिम्स परीक्षा है, जहां अभ्यर्थी को सामान्य अध्ययन के दो पेपर और एक एप्टीट्यूड टेस्ट देना होता है। यदि उम्मीदवार परीक्षा उत्तीर्ण करता है तो उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए पात्र होता है।
मुख्य परीक्षा -उत्तराखंड में पीएससी परीक्षा का दूसरा चरण मुख्य परीक्षा है जहां अभ्यर्थी को 7 पेपर देने होते हैं। अभ्यर्थी का चयन बोर्ड द्वारा जारी कटऑफ के आधार पर किया जाएगा। सूची के शीर्ष उम्मीदवार का साक्षात्कार चरण के लिए चयन किया जाता है।
साक्षात्कार -अंतिम दो चरणों में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थी बोर्ड द्वारा आयोजित साक्षात्कार देने के पात्र हैं। साक्षात्कार भी कुल 200 अंकों का होता है। अभ्यर्थी का चयन मेरिट के आधार पर किया जाएगा। यदि उम्मीदवार एक साक्षात्कार में पास हो जाता है तो उम्मीदवार पूर्ण अवधि में काम करने से पहले कुछ महीनों के प्रशिक्षण के तहत जाएगा।
आयोग द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: तीन स्तर शामिल हैं :-
प्रारंभिक परीक्षा (वस्तुनिष्ठ)
मुख्य परीक्षा - वर्णनात्मक प्रकृति
साक्षात्कार - मौखिक
प्रारंभिक परीक्षा :-
सर्वप्रथम आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से संबंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है उसके पश्चात ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है।
फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यत: 2 से 3 महीने के अंदर प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की जाती है।
प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर सम्पन्न होती है।
प्रारंभिक परीक्षा वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकृति की होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिए दिये गए चार संभावित विकल्पों (a,b,c,d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।
प्रश्न से सम्बंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओ.एम.आर शीट में उसके सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर काले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।
यू.के.पी.सी.एस द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये नकारात्मक अंकन का प्रावधान किया गया है, जिसमें प्रत्येक गलत उत्तर के लिये एक चौथाई (1/4) अंक काटे जायेंगे।
अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा।
प्रश्न-पत्र दो भाषाओं (हिन्दी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं, अभ्यर्थी इन दोनों भाषाओं में किसी भी भाषा में अपनी सहजता के अनुसार प्रश्नों को पढ़कर उत्तर दे सकते हैं।
आयोग द्वारा वर्ष 2014 में प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति में बदलाव किया गया है, जिसके अनुसार द्वितीय प्रश्न-पत्र में पूछे जाने वाले वैकल्पिक विषय (वस्तुनिष्ठ) के स्थान पर सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण (जनरल एप्टीटुड टेस्ट) के प्रश्न-पत्र को अपनाया गया।
वर्तमान में प्रारंभिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्न-पत्र (सामान्य अध्ययन एवं सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण) पूछे जाते हैं, जिसकी परीक्षा एक ही दिन दो विभिन्न पालियों में दो-दो घंटे की समयावधि में संम्पन्न होती है। सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण के प्रश्न-पत्र को सीसैट (सिविल सर्विस एप्टीटुड टेस्ट) के नाम से भी जाना जाता है।
प्रारंभिक परीक्षा कुल 300 अंकों की होती है।
प्रथम प्रश्न-पत्र सामान्य अध्ययन का है, जिसमें प्रश्नों i कुल संख्या 150 एवं अधिकतम अंक 150 निर्धारित है (प्रत्येक प्रश्न 1.5 अंकों का होता है)।
प्रारंभिक परीक्षा में द्वितीय प्रश्न-पत्र (सामान्य बुद्धिमत्ता परीक्षण) प्रकृति का होगा, जिसमें समस्त श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक प्राप्त होगा। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम प्रथम प्रश्न-पत्र सामान्य अध्ययन में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट के अनुसार तैयार किया जाएगा।
इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने लिये सामान्यत: 65-70% अंक प्राप्त करने की आवयश्कता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत अधिक या कम हो सकता है।
प्रारंभिक परीक्षा क्वालीफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।
मुख्य परीक्षा :-
प्रारंभिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिए मुख्य परीक्षा का आयोजन मुख्यत: राज्य के दो जिलों हल्द्वानी और हरिद्वार में आयोग द्वारा निर्धारित विभिन्न केन्द्रों पर किया जाता है।
वर्ष 2014 में इस मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है। इससे पूर्व इस मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के साथ-साथ दो वैकल्पिक विषयों के प्रश्न-पत्र भी पूछे जाते थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है।d
मुख्य परीक्षा में सात अनिवार्य प्रश्न-पत्र पूछे जाते हैं। इसकी विस्तृत जानकारी पाठ्यक्रम शीर्षक में दी गयी है।
मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होती है। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में निर्धारित स्थान पर निर्धारित शब्दों में अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में लिखना होता है।
मुख्य परीक्षा कुल 1500 अंकों की होती है।
प्रथम प्रश्न-पत्र भाषा से संबंधित है। इसमें सामान्य हिन्दी, सामान्य अंग्रेजी एवं निबंध लेखन से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके लिए कुल 300 अंक निर्धारित किया गया है।
प्रथम प्रश्न-पत्र भाषा को छोड़कर अन्य सभी प्रश्न-पत्रों का उत्तर अभ्यर्थी अपनी इच्छानुसार केवल हिन्दी या अंग्रेजी में दे सकेंगे, किन्तु किसी भी प्रश्न-पत्र में उत्तर अंग्रेजी और हिन्दी में नहीं दिया जा सकेगा।
द्वितीय प्रश्न-पत्र भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आंदोलन, समाज एवं संस्कृति से संबंधित है। इसके लिए कुल 200 अंक निर्धारित किए गए हैं।
तृतीय प्रश्न-पत्र भारतीय राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ से संबंधित है। इसके लिए कुल 200 अंक निर्धारित किए गए हैं।
चतुर्थ प्रश्न-पत्र भारत एवं विश्व का भूगोल से संबंधित है। इसके लिए कुल 200 अंक निर्धारित किए गए हैं।
पंचम प्रश्न-पत्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास से संबंधित है। इसके लिए कुल 200 अंक निर्धारित किए गए हैं।
षष्ठम प्रश्न-पत्र सामान्य विज्ञान एवं प्रौधोगिकी से संबंधित है। इसके लिए कुल 200 अंक निर्धारित किए गए हैं।
सप्तम प्रश्न-पत्र सामान्य अभिरुचि एवं आचार शास्त्र से संबंधित है। इसके लिए कुल 200 अंक निर्धारित किए गए हैं।
परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिए 55-60% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के करण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।
साक्षात्कार :-
मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक महीने पश्चात आयोग के पास साक्षात्कार के लिए उपस्थित होना होता है।
साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती है।
यू.के.पी.एस.सी की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिए कुल 200 अंक निर्धारित किए गए हैं।
मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।
सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के एक सप्ताह पश्चात अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।
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