1. राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस
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भारत में हर साल 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है और इस दिन का आयोजन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा किया जाता है जो ऊर्जा मंत्रालय के तहत काम करता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लागत प्रभावी ऊर्जा उत्पादन और संसाधन संरक्षण के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को प्रस्तुत करना है।
यह दिन लोगों को जलवायु परिवर्तन के शमन की दिशा में समग्र विकास को लक्षित करते हुए, भविष्य के लिए आगे की योजना बनाने के लिए ऊर्जा संरक्षण के महत्व की याद दिलाता है।
भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का लक्ष्य लोगों में ऊर्जा के महत्त्व के साथ ही साथ बचत और ऊर्जा की बचत के माध्यम से संरक्षण बारे में जागरुक करना है।
ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए ऊर्जा मंत्रालय नई दिल्ली में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मना रहा है।
1991 से 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है।
ऊर्जा संरक्षण क्या है?
ऊर्जा संरक्षण का अर्थ है- ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को कम करके कम ऊर्जा का उपयोग कर ऊर्जा की बचत करना।
ऊर्जा संरक्षण एक सचेत, व्यक्तिगत प्रयास है, और वृहद स्तर पर, यह ऊर्जा दक्षता की ओर ले जाता है।
ऊर्जा संरक्षण का अंतिम लक्ष्य स्थायी ऊर्जा की ओर पहुंचना है।
ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 को भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करने के लक्ष्य के साथ अधिनियमित किया गया था।
2. ऊर्जा मंत्रालय "ऊर्जा संरक्षण दिवस 2022" मनाएगा
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विद्युत मंत्रालय 14 दिसंबर 2022 को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर "ऊर्जा संरक्षण दिवस 2022" मनाएगा। इसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि होंगी। केंद्रीय ऊर्जा, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
भारत की माननीय राष्ट्रपति इस अवसर पर राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार, राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार, राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता पुरस्कार के विजेताओं को सम्मानित करेंगे और ईवी यात्रा पोर्टल भी लॉन्च करेंगी।
आयोजन के प्रमुख आकर्षण
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार (एनईसीए) 2022
नेशनल एनर्जी एफिशिएंसी इनोवेशन अवार्ड्स (NEEIA) 2022
स्कूली बच्चों के लिए राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता 2022
'ईवी-यात्रा पोर्टल' और मोबाइल ऐप लॉन्च
ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में उभरती नई प्रौद्योगिकियों पर सत्र
ईवी-यात्रा पोर्टल और मोबाइल ऐप
"ईवी यात्रा" नामक मोबाइल एप्लिकेशन को निकटतम सार्वजनिक ईवी चार्जर में इन-व्हीकल नेविगेशन की सुविधा के लिए डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
इस मोबाइल एप्लिकेशन को गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर से एंड्राइड और आईफ़ोन स्मार्टफ़ोन पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी ने इन-व्हीकल नेविगेशन की सुविधा के लिए इस मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया है।
3. आईआईटी दिल्ली ने उद्योग दिवस के चौथे संस्करण का आयोजन किया
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आईआईटी दिल्ली का प्रमुख उद्योग-अकादमिक साझेदारी कार्यक्रम, उद्योग दिवस 2022, 10 दिसंबर, 2022 को आयोजित किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
के अनंत कृष्णन, कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, जो आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र हैं, इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे।
दिन भर चलने वाले इस आयोजन के चौथे संस्करण ने उद्योग जगत को यह देखने का अवसर दिया कि कैसे आईआईटी दिल्ली ऐसी तकनीकों को विकसित करने के लिए काम कर रहा है जिससे उद्योग और समाज दोनों को लाभ होगा।
इस कार्यक्रम में 15 से अधिक बड़े कॉर्पोरेट और व्यावसायिक घरानों के शीर्ष नेतृत्व उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम में उद्योग के नेताओं, वैज्ञानिकों, आईआईटी दिल्ली के संकाय, शोध विद्वानों और छात्रों ने भाग लिया।
आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित 70 से अधिक अत्याधुनिक तकनीकों को उद्योग दिवस पर उत्पाद प्रदर्शनों के रूप में प्रदर्शित किया गया।
उद्योग दिवस 2022 की थीम
उद्योग दिवस 2022 चार विषयों पर केंद्रित था जो भारत के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता में बनाए गए हैं।
ये विषय हैं - हेल्थकेयर, इलेक्ट्रिक वाहन, संचार प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा तथा पर्यावरण।
4. मानवाधिकार दिवस
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विश्व भर में प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इसका उद्देश्य समानता, शांति, न्याय, स्वतंत्रता और मानव गरिमा की सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
प्रत्येक व्यक्ति जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा या सामाजिक स्थिति के आधार पर भिन्न होने के बावजूद मानवाधिकारों का हकदार है।
यह दिन व्यापक रूप से लोगों के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
2022 का विषय - गरिमा, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय।
दिन की पृष्ठभूमि
1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) की स्मृति में 1950 से हर साल यह दिवस मनाया जाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध और इसके गंभीर परिणामों ने स्पष्ट रूप से मानवाधिकारों के विषय पर जोर देने की आवश्यकता को महसूस किया क्योंकि नाजी जर्मनी द्वारा यहूदियों, विकलांग लोगों, समलैंगिकों और अन्य लोगों के बड़े पैमाने पर विनाश ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था।
मानव इतिहास के इन सबसे काले अध्यायों ने सरकारों और शासकों के अमानवीय दुर्व्यवहारों के खिलाफ मानव अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता को बल प्रदान किया।
आखिरकार, विभिन्न देशों की सरकारों ने लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय निकाय (संयुक्त राष्ट्र) के गठन का संकल्प लिया।
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों ने 16 फरवरी, 1946 को मानवाधिकारों पर एक आयोग की स्थापना की।
अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला अन्ना एलेनोर रूजवेल्ट के नेतृत्व में आयोग ने यूडीएचआर का मसौदा तैयार किया, जिसे 56 सदस्य देशों ने 10 दिसंबर, 1956 को अपनाया था।
यूडीएचआर क्या है?
UDHR के तहत मानवीय दृष्टिकोण और राज्य तथा व्यक्ति के बीच संबंध को लेकर कुछ सामान्य बुनियादी मूल्यों का एक सेट स्थापित किया है।
इसमें 30 अनुच्छेद शामिल हैं जो मौलिक मानवाधिकारों और स्वतंत्रता की एक विस्तृत श्रृंखला को रेखांकित करते हैं, जिसके लिए दुनिया भर के सभी लोग हकदार हैं।
5. नरसंहार के अपराध के पीड़ितों के स्मरण और सम्मान का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
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प्रति वर्ष 9 दिसंबर को नरसंहार के अपराध के पीड़ितों और इस अपराध की रोकथाम के लिए और इस अपराध के शिकार लोगों के सम्मान तथा स्मरण के लिए इस दिवस को मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
दुर्भाग्य से, हमारा इतिहास उन लोगों या संगठनों द्वारा कलंकित है जिन्होंने लोगों के बड़े समूहों का सफाया करने का प्रयास किया है। इसे नरसंहार के रूप में जाना जाता है।
नरसंहार की सबसे कुख्यात घटनाओं में से एक तब हुई जब नाज़ी जर्मनी ने 6 मिलियन यहूदियों को मार डाला।
यहूदियों के साथ-साथ नाजियों ने लोगों के अन्य समूहों का भी सफाया करने का प्रयास किया। इनमें विकलांग लोग, समलैंगिक, और यहोवा के साक्षी शामिल थे। कुल मिलाकर 11 मिलियन लोग मारे गए।
प्रत्येक वर्ष इस दिन, संयुक्त राष्ट्र एक विशेष स्मरणोत्सव कार्यक्रम आयोजित करता है।
इस दिन उन लोगों को विशेष मान्यता दी जाती है जिन्होंने नरसंहार और संबंधित अपराधों की रोकथाम में योगदान देने वाली पहल की है।
दिन की पृष्ठभूमि
सितंबर 2015 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन की स्थापना की।
9 दिसंबर नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सजा पर कन्वेंशन की वर्षगांठ को मान्यता देता है।
2015 में, आर्मेनिया ने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संबंधित प्रस्ताव को अपनाने की पहल की।
9 दिसंबर, 1948 को, संयुक्त राष्ट्र ने पहली मानवाधिकार संधि को अपनाया जो नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सजा पर कन्वेंशन है जिसे "नरसंहार कन्वेंशन" के रूप में जाना जाता है।
इतिहास में सबसे हालिया नरसंहार
2017 - बर्मी सेना ने म्यांमार (जिसे बर्मा भी कहा जाता है) में 43,000 रोहिंग्या लोगों को मार डाला।
2014 - इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ने उत्तरी इराक और सीरिया में 10,000 यजीदियों को मार डाला।
2003 - दारफुर में तीन सूडानी जनजातियों ने 500,000 लोगों की हत्या की।
1994 - रवांडा में दस लाख से अधिक तुत्सी लोगों का सामूहिक वध हुआ।
6. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस
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हर साल 7 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन नागरिक उड्डयन के महत्व और दुनिया में इसके योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन नागरिक उड्डयन कर्मचारियों, हवाई यातायात नियंत्रकों और उन सभी को सम्मानित करता है जो उड़ानों को सुरक्षित रखने और यात्रियों के लिए उड़ान भरने की दिशा में काम करते हैं।
दिन की पृष्ठभूमि
पहला नागरिक उड्डयन दिवस 7 दिसंबर 1994 को शिकागो सम्मेलन की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए मनाया गया था।
7 दिसंबर 1944 को के शिकागो सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) की स्थापना का निर्णय लिया गया था । आईसीएओ एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है जिसे औपचारिक रूप से 4 अप्रैल 1947 को स्थापित किया गया था।
बाद में 1996 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया। तब से, यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा।
अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस की थीम
2019 में आईसीएओ ने फैसला किया कि 2023 तक अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस का विषय "वैश्विक विमानन विकास के लिए नवाचार को आगे बढ़ाना" होगा।
7. भारत में सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया गया
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सशस्त्र सेना झंडा दिवस हर साल 7 दिसंबर को शहीदों और मातृभूमि की रक्षा करने वाले सशस्त्र बलों के जवानों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह दिन सशस्त्र बलों के कर्मियों के कल्याण के लिए लोगों से धन संग्रह करने के लिए समर्पित है।
इस दिन एकत्रित धन का उपयोग सेवारत कर्मियों और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए भी किया जाता है।
यह दिन उन हजारों पुरुषों को भी श्रद्धांजलि देता है जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए हैं।
यह दिन भारतीय सैनिकों, नाविकों और पायलटों के सम्मान में मनाया जाता है।
यह दिन नागरिकों को उन जीवित नायकों की देखभाल करने की भी याद दिलाता है जो या तो कार्रवाई में घायल हो गए थे या काफी कम उम्र में सेवा से सेवानिवृत्त हो गए थे।
दिन की पृष्ठभूमि
28 अगस्त 1949 को रक्षा मंत्री की समिति ने सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष बनाया।
इसलिए, 28 अगस्त, 1949 को एक समिति का गठन किया गया जिसने तय किया कि 7 दिसंबर को प्रतिवर्ष झंडा दिवस मनाया जाएगा।
इसे झंडा दिवस कहने का कारण यह था कि देश भर में सामान्य आबादी के बीच छोटे झंडे वितरित किए गए थे, जो दो उद्देश्यों की पूर्ति करते थे - कल्याण निधि का संग्रह और सेना और नागरिकों के बीच सौहार्द और सद्भाव की भावना पैदा करना।
8. भारत द्वारा बांग्लादेश को मान्यता देने वाला 51वां मैत्री दिवस ढाका में मनाया गया '
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1971 में भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश की मान्यता को चिह्नित करने वाले 'मैत्री दिवस' की 51वीं वर्षगांठ 6 दिसंबर 2022 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मनाई गई । इस कार्यक्रम का आयोजन बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग द्वारा किया गया था।मुक्ति संग्राम मामलों के बांग्लादेशी मंत्री ए.के.एम मोजम्मल हक इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे।
भारतीय उच्चायुक्त प्रन्या वर्मा ने कहा कि 6 दिसंबर को 'मैत्री दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधान मंत्री शेख हसीना द्वारा मार्च 2021 में प्रधान मंत्री मोदी की बांग्लादेश की राजकीय यात्रा के दौरान लिया गया था।
हालाँकि, बांग्लादेश जिसे पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था, 16 दिसंबर को आज़ाद हुआ था जब लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और मुक्ति बहिनी (बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानी) की एक संयुक्त सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। 16-17 दिसंबर को बांग्लादेश में 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डाले थे । द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी भी युद्ध में यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
9. अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस
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हर साल 4 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के रूप में मनाया जाता है। चीता को विलुप्त होने से बचाने के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के सहयोग से राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली (दिल्ली चिड़ियाघर) द्वारा मनाया गया।
दिन की पृष्ठभूमि
अमेरिकी प्राणी विज्ञानी डॉ लॉरी मार्कर को अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस बनाने का श्रेय दिया जाता है। डॉ मार्कर ने 1991 में चीता संरक्षण कोष की स्थापना की और उन्होंने 2010 में 4 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के रूप में नामित किया। उस वर्ष से, दुनिया इस दिन को मना रही है।
चीता दुनिया का सबसे तेज़ जानवर है और वर्तमान में अधिकांश जानवर नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं। इसे भारत सरकार द्वारा 1954 में विलुप्त प्राणी घोषित किया गया था।
भारत सरकार ने नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाये जा रहे ताकि उनको भारत में फिर से आबाद किया जा सके ।
10. विश्व मृदा दिवस
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प्रति वर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है ताकि मृदा प्रबंधन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करके स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।
महत्वपूर्ण तथ्य
इस दिन का उद्देश्य स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
विश्व मृदा दिवस, 2022 का विषय 'मृदा: जहां भोजन शुरू होता है' (Soils: Where food begins) है।
दिन की पृष्ठभूमि
2002 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉइल साइंसेज द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मृदा दिवस मानाने की सिफारिश की गई थी।
खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) सम्मेलन ने जून 2013 में सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और 68वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे आधिकारिक रूप से अपनाने का अनुरोध किया।
दिसंबर 2013 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर 2014 को पहले आधिकारिक विश्व मृदा दिवस के रूप में नामित किया।
5 दिसंबर का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि यह थाईलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज का आधिकारिक जन्मदिवस है, जिन्होंने आधिकारिक तौर पर इस आयोजन को मंजूरी दी थी।
इस अवसर पर FAO द्वारा राजा भूमिबोल विश्व मृदा दिवस पुरस्कार और ग्लिंका विश्व मृदा पुरस्कार प्रदान किया जाता है।