1. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए मास्को गए
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भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर 7 नवंबर 2022 को रूसी राजधानी मास्को पहुंचे। वह रूस की 2 दिन (7 और 8 नवंबर) की आधिकारिक यात्रा पर हैं। अपनी यात्रा के दौरान वह अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे।
यात्रा का महत्व
भारत और रूस के बीच बहुत मजबूत राजनीतिक, सामरिक और रक्षा संबंध हैं। रूस भारत को रक्षा उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
इसके अलावा भारत और रूस रूसी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधान मंत्री के बीच एक वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक आयोजित करते हैं।
21वीं भारत-रूस शिखर बैठक नई दिल्ली दिसंबर 2021 में आयोजित की गई थी। व्लादिमीर पुतिन इस बैठक में भाग लेने के लिए भारत आए थे।
अगली 22वीं वार्षिक भारत-रूस शिखर बैठक 2022 में रूस में होगी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शिखर बैठक में भाग लेने के लिए रूस का दौरा करेंगे।
विदेश मंत्री की यात्रा को आगामी प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के लिए जमीन तैयार करने के रूप में देखा जा रहा है।
रूसी संघ
यह क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा देश है।
यह एशिया और यूरोप दोनों में स्थित है लेकिन इसे एक यूरोपीय देश माना जाता है।
इसमें 11 समय क्षेत्र हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं।
रूस में यूरोप की सबसे लंबी नदी, वोल्गा और यूरोप की सबसे बड़ी झील, लाडोगा है। रूस में दुनिया की सबसे गहरी झील बैकाल भी है।
गांधीजी के आध्यात्मिक गुरु माने जाने वाले युद्ध और शांति (War and Peace)पुस्तक के लेखक लियो टॉल्स्टॉय, एक रूसी थे।
राजधानी: मास्को। मॉस्को शहर मोस्कवा नदी के तट पर स्थित है।
मुद्रा: रूबल
राष्ट्रपति: व्लादिमीर पुतिन
2. रूस ने यूक्रेन के साथ संयुक्त राष्ट्र समर्थित काला सागर अनाज सौदा स्थगित किया
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रूस ने 29 अक्टूबर 2022 को घोषणा की कि वह संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के द्वारा मध्यस्त काला सागर अनाज सौदे को निलंबित कर रहा है । रूस के इस कदम की अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह कहते हुए निंदा की है कि इससे दुनिया में भुखमरी बढ़ेगी।
22 जुलाई 2022 को हस्ताक्षरित सौदे के तहत 90 लाख टन से अधिक मक्का, गेहूं, सूरजमुखी उत्पाद, जौ, रेपसीड और सोया का निर्यात किया जा चुका है।
रूस ने समझौते से हाथ क्यों खींचा
रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यूक्रेन ने 29 अक्टूबर 2022 की शुरुआत में 16 ड्रोन के साथ रूसी-कब्ज़े वाली क्रीमियन प्रायद्वीप पर सेवस्तोपोल के पास रूसी काला सागर बेड़े पर हमला किया, और रूसियों ने आरोप लगाया की ब्रिटिश नौसेना के "विशेषज्ञों" नेयूक्रेन के "आतंकवादी" हमले के समन्वय में मदद की थी।
रूस ने साथ ही ब्रिटिश नौसेना कर्मियों पर पिछले महीने नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों को उड़ाने का भी आरोप लगाया।
रूस ने कहा की वह अब समझौते के तहत नागरिक जहाज की सुरक्षा की गारंटी देने में सक्षम नहीं है।
काला सागर अनाज सौदा
- राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का आदेश दिया था । उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यूक्रेन का विसैन्यीकरण और उसे नाजियों से विमुक्त करना था।
- रूसी नौसेना के बेड़े ने यूक्रेन के काला सागर बंदरगाह को अवरुद्ध कर दिया जो यूक्रेन के लिए एक प्रमुख अनाज शिपमेंट बंदरगाह था।
- नाकाबंदी ने दुनिया में अनाज के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक, यूक्रेन से अनाज के शिपमेंट को रोक दिया, जहां से प्रति माह 5 मिलियन टन अनाज विश्व को भेजा जाता था।
- इससे दुनिया भर में खाद्य कीमतों में तेज वृद्धि हुई, जिससे अफ्रीका के कुछ हिस्सों में अकाल का डर पैदा हो गया।
- यूक्रेन, रूस, तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने 22 जुलाई 2022 को इस्तांबुल, तुर्की में यूक्रेन के काला सागर अनाज निर्यात को फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए ।
- जब समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, तो यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने कहा कि यूक्रेनी शिपमेंट के रुकने के कारण लगभग 47 मिलियन लोग भुखमरी के शिकार हों गए
- थे।
- 19 नवंबर 2022 को समाप्त होने वाले समझौते ने यूक्रेनी अनाज जहाजों के लिए एक सुरक्षित गलियारा स्थापित किया और रूस ने नागरिक जहाज की सुरक्षा की गारंटी दी थी।
3. भारत के साथ चीन का कुल व्यापार अधिशेष '$ 1 ट्रिलियन से अधिक'
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वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में द्विपक्षीय व्यापार में उछाल आने के बाद से चीन ने भारत के साथ अनुकूल व्यापार संतुलन का लाभ उठाया है जो अब 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।
भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार
2021 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्षिक व्यापार पहली बार 100 अरब डॉलर को पार कर 125.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का आयात 97.5 अरब डॉलर था।
महत्वपूर्ण तथ्य
2000 के दशक की शुरुआत से दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तेजी आने लगी।
यह काफी हद तक भारत द्वारा चीनी मशीनरी और अन्य उपकरणों के आयात से प्रेरित था।
यह वर्ष 2000 में 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2008 में 42 बिलियन डॉलर हो गया और वर्ष 2008 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया।
एक तिहाई मशीनरी और लगभग टू-फिफ्थ जैविक रसायन जो भारत दुनिया से खरीदता है वह चीन से आता है।
ऑटोमोटिव पार्ट्स और उर्वरक अन्य वस्तुएं हैं जहां भारत के आयात में चीन की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से अधिक है।
भारत कुछ मोबाइल फोन के पुर्ज़ों का लगभग 90 प्रतिशत चीन से प्राप्त करता है।
चीन को भारत का निर्यात
निर्यात बाजार के रूप में भी चीन भारत का एक प्रमुख भागीदार है।
भारतीय शिपमेंट के लिए चीन तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के अनुसार, चीन के कुल निर्यात में भारत का हिस्सा केवल दो प्रतिशत से थोड़ा अधिक है।
4. एस जयशंकर ने न्यूजीलैंड के वेलिंगटन में नए भारतीय उच्चायोग चांसरी का उद्घाटन किया
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 9 अक्टूबर को वेलिंगटन, न्यूजीलैंड में नए भारतीय उच्चायोग चांसरी का उद्घाटन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
उन्होंने कहा कि एक-दूसरे की क्षमताओं का समन्वय करना भारत और न्यूजीलैंड के बीच अहम संबंधों को और प्रगाढ़ करने का अधिक विवेकपूर्ण तरीका है।
विदेश मंत्री के रूप में न्यूजीलैंड की पहली यात्रा पर आए जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों को नये सिरे से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
उन्हेांने यह भी कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच कृषि-कारोबार के क्षेत्र में साझेदारी की भी असीम संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा, भारत और न्यूजीलैंड के बीच मजबूत सहयोग से साझा क्षेत्र में शांति, समृद्धि और प्रगति सुनिश्चित होगी।
उन्होंने कहा, व्यापार, डिजिटल, कृषि, शिक्षा, कौशल, पारंपरिक चिकित्सा और समुद्री सुरक्षा डोमेन में बहुत अधिक संभावनाएं हैं।
न्यूजीलैंड के बारे में
यह ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित द्वीपों का एक दूरस्थ, पहाड़ी समूह है।
प्रधान मंत्री - जैसिंडा अर्डर्न
राजधानी - वेलिंगटन
मुद्रा - न्यूजीलैंड डॉलर
न्यूजीलैंड पहला देश था जिसने 1893 में महिलाओं को वोट देने की अनुमति दी थी।
न्यूजीलैंड का वेटापुंगा दुनिया के सबसे भारी कीड़ों में से एक है।
प्रमुख नदियाँ - वाइकाटो, क्लर्था, रंगिताकी, वांगानुई, मनावातु, बुलर, राकिया, वेटाकी, वायाउ
प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं - दक्षिणी आल्प्स, कैकौरा रेंज
न्यूजीलैंड के दो मुख्य द्वीप - उत्तर और दक्षिण द्वीप, कुक जलडमरूमध्य द्वारा अलग किए गए हैं।
5. एस जयशंकर ने वाशिंगटन में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे ऑस्टिन से मुलाकात की
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विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 26 सितंबर को वाशिंगटन में अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड जे ऑस्टिन से मुलाकात की।
महत्वपूर्ण तथ्य
जयशंकर ने कहा, रक्षा और सुरक्षा सहयोग समकालीन भारत-अमेरिका साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ है।
दोनों नेताओं ने नीति विनिमय, अंतरसंचालनीयता, रक्षा व्यापार, सेवा और सैन्य-औद्योगिक सहयोग में निरंतर प्रगति का उल्लेख किया।
उन्होंने यूक्रेन संघर्ष, भारत-प्रशांत विकास, समुद्री चुनौतियों और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी अपने दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया।
जयशंकर ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो से भी मुलाकात की।
बातचीत के मुख्य विषय थे - लचीला आपूर्ति श्रृंखला, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क, उच्च प्रौद्योगिकी सहयोग, अर्धचालक और व्यापार संवर्धन।
विदेश मंत्री ने अपने वाशिंगटन डीसी कार्यक्रम की शुरुआत नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) द्वारा आयोजित गोलमेज से की।
सत्र में तकनीकी सुरक्षा, विश्वसनीय अनुसंधान और प्रतिभा विकास को शामिल किया गया।
एस जयशंकर कई अमेरिकी कैबिनेट मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय परामर्श करने के लिए 10 दिवसीय यात्रा पर अमेरिका में हैं।
6. भारत-यूएई सीईपीए से भारत-यूएई व्यापार पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव
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भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) जो 1 मई 2022 को लागू हुआ, भारत-यूएई व्यापार पर एक महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पैदा कर रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
संयुक्त अरब अमीरात को भारतीय निर्यात, पेट्रोलियम उत्पादों को छोड़कर, जून-अगस्त 2021 के दौरान 5.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर जून-अगस्त 2022 के दौरान 5.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
यह भारतीय निर्यात के 14% की वृद्धि को दर्शाता है।
इसी अवधि (जून-अगस्त 2022) के दौरान भारत का वैश्विक गैर-पेट्रोलियम निर्यात वार्षिक आधार पर 3% बढ़ा।
इसका तात्पर्य यह है कि संयुक्त अरब अमीरात को भारत के गैर-पेट्रोलियम निर्यात की वृद्धि दर दुनिया में भारत के गैर-पेट्रोलियम निर्यात की तुलना में लगभग 5 गुना है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार इसी अवधि के दौरान संयुक्त अरब अमीरात से भारतीय आयात भी 5.56 अरब डॉलर से बढ़कर 5.61 अरब डॉलर हो गया।
भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए)
भारत-यूएई वर्चुअल समिट के दौरान 18 फरवरी 2022 को इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इसे 1 मई 2022 को लागू किया गया था।
यह दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और सुधारने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है।
सीईपीए एक प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता है जो सेवाओं और निवेश में व्यापार और आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों पर बातचीत को कवर करता है।
7. एससीओ सदस्य देशों के अभियोजक जनरल की 20वीं बैठक कजाकिस्तान में हुई
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शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के अभियोजक जनरल की 20वीं बैठक 23 सितंबर, को कजाकिस्तान के अस्ताना में आयोजित की गई थी।
एससीओ सदस्य देशों के अभियोजक जनरल की अगली (21वीं) बैठक 2023 में चीन में होगी।
महत्वपूर्ण तथ्य -
भारत की ओर से भारत के विद्वान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कानूनी मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ अंजू राठी राणा ने बैठक में भाग लिया।
मेहता ने दो संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों के अनुसमर्थन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक अपराधों को संबोधित करने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई पहल पर प्रकाश डाला।
ये दो संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हैं - संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनेशनल ऑर्गनाइज्ड क्राइम (UNTOC) और इसके तीन प्रोटोकॉल और यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन (UNCAC)।
उन्होंने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराधों के खतरे को रोकने के लिए, भारत ने विशेष कानून द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने, पता लगाने और दंडित करने के लिए कई विधायी उपायों को लागू किया है।
एससीओ सदस्य देशों के अभियोजक जनरल की 20वीं बैठक के विचार-विमर्श को शामिल करने वाले एकप्रोटोकॉल पर एससीओ सदस्य राज्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए और उसे अपनाया गया।
प्रोटोकॉल की मुख्य विशेषताएं :
मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से की गई आय की वसूली के संबंध में सहयोग को मजबूत करना।
मनी लॉन्ड्रिंग, तलाशी, जब्ती और राज्यों से अपराध की आय की वसूली जैसे आर्थिक अपराधों से निपटने से संबंधित मुद्दों पर सहयोग।
आर्थिक अपराधों से निपटने के लिए व्यवस्था को मजबूत करने के तरीकों के बारे में चर्चा करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सभाओं के मंचों का उपयोग करना।
प्रत्येक जब्ती और अपराध की आय की वसूली को नियंत्रित करने वाले घरेलू कानूनों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान जारी रखना।
अभियोजकों के उन्नत प्रशिक्षण के क्षेत्र में एससीओ सदस्य राज्यों के अभियोजकों के सामान्य कार्यालयों के बीच सहयोग विकसित करना।
आर्थिक अपराधों का मुकाबला करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कार्यक्रमों का संचालन करना और उनमें भाग लेना।
8. न्यूयॉर्क में आयोजित आईबीएसए त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय आयोग की 10वीं बैठक
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10वीं भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका वार्ता मंच (आईबीएसए) त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय आयोग की बैठक 21 सितंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित की गई ।
महत्वपूर्ण तथ्य -
बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने की।
बैठक के दौरान ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रेंको फ्रांसा और दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री डॉ जो फाहला भी मौजूद थे।
मंत्रियों ने आईबीएसए सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा की।
मंत्रियों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी उपस्थिति रखने के लिए अफ्रीकी देशों की आकांक्षा का समर्थन किया गया।
उन्होंने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के भारत और ब्राजील के प्रयासों का भी समर्थन किया।
भारत इस साल नवंबर में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर छठे आईबीएसए शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
बैठक का एजेंडा :
बैठक का एजेंडा बहुपक्षीय संगठनों में सहयोग, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, यूएनएससी सुधार, 2030 एजेंडा, सतत विकास लक्ष्य, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद का मुकाबला करने और विकास गतिविधियों के लिए वित्तपोषण सहित आपसी हितों पर था।
उन्होंने अफ्रीकी संघ, मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया और यूक्रेन की स्थिति जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।
आईबीएसए त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय आयोग के बारे में :
यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग और विनिमय को बढ़ावा देने के लिए भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक त्रिपक्षीय, विकासात्मक पहल है।
इस समूह को औपचारिक रूप और आईबीएसए संवाद मंच का नाम तब दिया गया जब तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 6 जून 2003 को ब्रासीलिया (ब्राजील) में मुलाकात की और ब्रासीलिया घोषणा जारी की।
9. राजनाथ सिंह ने रक्षा सहयोग पर मिस्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जो मिस्र की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं, ने 20 सितंबर को काहिरा में मिश्र के रक्षा मंत्री, जनरल मोहम्मद जकी से मुलाकात की, और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और विस्तारित करने के लिए रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
महत्वपूर्ण तथ्य -
बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने रक्षा संबंधों को मजबूत करने के कदमों पर चर्चा की और संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण के लिए आम सहमति बनाई गई, विशेष रूप से आतंकवाद के क्षेत्र में।
इसके अलावा, उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया और दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए भारत और मिस्र के योगदान को स्वीकार किया।
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी ने द्विपक्षीय सहयोग तथा सुरक्षा पहलुओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने पर सहमति व्यक्त की।
सिंह ने अपने मिस्र के समकक्ष को भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता और आईओआर रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भी आमंत्रित किया है, जो इस साल 18-22 अक्टूबर के बीच गुजरात में 12वें डेफएक्सपो के हिस्से के रूप में आयोजित होने वाला है।
3.15 बिलियन अमरीकी डालर के मौजूदा भारतीय निवेश के साथ मिस्र इस क्षेत्र में भारत के लिए सबसे बड़े निवेश स्थलों में से एक है।
भारत-मिस्र रक्षा सहयोग :
दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय वायु सेना की एक टीम मिस्र की वायु सेना के साथ द्विपक्षीय 'सामरिक नेतृत्व कार्यक्रम' में भाग लेने के लिए 22 जून को मिस्र पहुंची।
वर्ष 2022 का विशेष महत्व है क्योंकि यह भारत और मिस्र के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का प्रतीक है।
1960 के दशक में संयुक्त रूप से एक लड़ाकू विमान विकसित करने के प्रयासों के साथ, दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग था।
भारतीय वायु सेना के पायलटों ने 1960 से 1984 तक मिस्र के पायलटों को भी प्रशिक्षित किया था।
10. भारत चीन को पछाड़कर श्रीलंका का सबसे बड़ा ऋणदाता बना
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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2022 के चार महीनों में कुल 968 मिलियन अमरीकी डालर के ऋण के साथ, भारत इस प्रक्रिया में चीन को पछाड़कर श्रीलंका का सबसे बड़ा द्विपक्षीय ऋणदाता बनकर उभरा है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
2017-2021 से पिछले पांच वर्षों में, चीन श्रीलंका का सबसे बड़ा द्विपक्षीय ऋणदाता रहा है।
एशियाई विकास बैंक (ADB) पिछले पांच वर्षों में सबसे बड़ा बहुपक्षीय ऋणदाता रहा है और 2021 में 610 मिलियन डॉलर की राशि का वितरण किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा था कि, भारत ने श्रीलंका को करीब 4 अरब डॉलर की खाद्य और वित्तीय सहायता मुहैया कराई है।
22 अगस्त को भारत ने संकटग्रस्त श्रीलंका को 21,000 टन उर्वरक उपलब्ध कराई थी।
भारत श्रीलंका को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार आर्थिक सहायता प्रदान करने में सबसे आगे रहा है और उन देशों में से एक है जिसने आवश्यकता के समय में अधिकतम सहायता प्रदान की है।
2022 की शुरुआत के बाद से, श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है।