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जब दो क्रमागत वर्गों की उच्च और निम्न-सीमाओं के बीच रिक्त स्थान होता है। तब इस स्थिति में, हमें अन्तरालों को विभक्त करना होता है।
वर्ग 31-35 की उच्च-सीमा $=35$
वर्ग 36-40 की निम्न-सीमा $=36$
अन्तर $=36-35=1$
$\therefore$ अन्तर का आधा $=\frac{1}{2}=0.5$
अत: वर्ग 31-35 से बना नया वर्ग-अन्तराल
$=(31-0.5)-(35+0.5) $
$=(30.5-35.5)$
इसी प्रकार, $36-40$ से बना नया वर्ग-अन्तराल
$=(36-0.5)-(40+0.5) $
$=(35.5-40.5)$
इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर निम्न सतत् वर्ग-अन्तराल प्राप्त होते हैं
$(30.5-35.5), \quad(35.5-40.5), \quad(40.5-45.5), \quad(45.5-50.5)$, $(50.5-55.5),(55.5-60.5),(60.5-65.5),(65.5-70.5),(70.5-75.5)$
अब हम इन वर्गों में नए भार वाले विद्यार्थियों को सम्मिलित कर सकते हैं। अतः नए भार $35.5$ और $40.5$ किग्रा को क्रमशः $35.5-40.5$ और 40.5-45.5 वर्ग-अन्तराल में रखा जाएगा।
अब इन आँकड़ों को लेकर एक नई बारम्बारता बंटन सारणी प्राप्त होती है जो निम्न प्रकार हैं
हम दिए गए आँकड़ों को वर्ग समूह जैसे- (150-155), (155-160), $\ldots$, इत्यादि में रखते हैं।
अब दिए गए आँकड़ों को निम्न प्रकार लिया जाता है।
उपरोक्त सारणी की सहायता से हमारा निष्कर्ष यह है कि $50 \%$ से अधिक छात्र (अर्थात् $12+9+14=35$ ) 165 सेमी से कम ऊँचाई के हैं।
हम दिए आँकड़ों को वर्ग समूह जैसे- $0.00-0.04,0.04-0.08$, $0.20-0.24$ में रखते हैं।
$(\because$ यहाँ आँकड़े $0.01$ से $0.22$ तक है) यहाँ पर वर्ग की चौड़ाई $0.04$ है। अब दिए गए आँकड़ों को निम्न सारणी के अनुसार लिया जाता है।
निम्नतम पद $=23$, उच्चतम पद $=98$, परिसर $=98-23=75$ वर्ग $(20-30),(30-40),(40-50),(50-60),(60-70),(70-80)$, (80-90), (90-100); अत: कुल 8 वर्ग बनेंगे तब वर्गीकृत बारम्बारता बंटन सारणी निम्न प्रकार है-
दिए आँकड़ों के बड़े समूह को आसानी से समझने के लिए हम इनको समूह जैसे $0-5,5-10, \ldots, 30-35$ में एकत्रित करते हैं (चूँकि हमारे आँकड़े 5 से 32 तक हैं) इस प्रकार के समूह वर्ग या वर्ग अन्तराल कहलाते हैं और इनकी माप वर्ग-आमाप या वर्ग-चौड़ाई कहलाती है, जो प्रत्येक स्थिति में 5 है। इनमें प्रत्येक वर्ग में, छोटी संख्या निम्न-वर्ग सीमा और बड़ी संख्या उच्च वर्ग-सीमा कहलाती है।
उदाहरणार्थ $0-5$ में 0 निम्न वर्ग-सीमा और 5 उच्च वर्ग-सीमा है।
इस प्रकार प्रदर्शित आँकड़े सरलतम रूप में हैं और हमें मुख्य लक्षण तुरन्त देखने को मिलते है। यह वर्गीकृत बारम्बारता बंटन सारणी कहलाती है। हम देखते हैं कि सारणी में वर्ग गैर-व्यापन हैं।
निम्नतम पद $=10$ तथा अधिकतम पद $=34$
$\therefore$ परिसर $=34-10=24$
वर्ग-अन्तराल $=5$
$\therefore$ वर्ग $=(10-15),(15-20),(20-25),(25-30),(30-35)$
अत: कुल 5 वर्ग बनेंगे।
अतः वर्ग $(25-30)$ की बारम्बारता 5 है।
यहाँ निम्नतम पद $=9$,
उच्चतम पद $=99$,
परिसर $=99-9=90$
वर्ग = (0-10),(10-20),(20-30),(30-40),(40-50),(50-60),(60-70),(70-80),(80-90),(90-100)
अत: कुल 10 वर्ग बनेंगे।
अतः वर्ग $(70-80)$ की बारम्बारता 3 है।
दिए गए आँकड़ों को आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर,
10,20,36,36,36,40,40,40,40,50,50,5056,56,60,60,60,60,70,70,70,70,72,80,88,88,92,92,92,95
इन आँकड़ों की अवर्गीकृत बारम्बारता सारणी निम्न प्रकार है
सारणी से स्पष्ट है कि 70 अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 4 है।