बिनु पग चलै सुनै बिनु काना, कर बिनु कर्म करै विधि नाना। इन पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
Correct Answer: 4
दी गई पंक्तियों में विभावना अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु-
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना, कर बिनु कर्म करै विधि नाना। इस पंक्ति का अर्थ है “ईश्वर बिना पैर के चलता है, बिना कान के सुनता है तथा बिना हाथ के ना ना प्रकार के कार्य करता है।” अर्थ से स्पष्ट है कि यहाँ कारण या साधन के आभाव में कार्य का होना दर्शाया गया है इसलिए यहाँ विभावना अलंकर है।
अन्य विकल्प-
असंगति अलंकार- जहाँ कारण और कार्य में संगति का आभाव होता है वहाँ असंगति अलंकार होता है।
विशेषोक्ति अलंकार- जहाँ कारण के रहते हुए भी कार्य का न होना पाया जाता है वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।
दृष्टान्त अलंकार - जहां उपमेय और उपमान तथा उनके साधारण धर्मों में बिम्ब- प्रतिबिम्ब भाव हों, वहाँ दृष्टांत अलंकार होता है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
Question 2:
तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये। झुके कूल सौ जल परसन हित मनहुँ सुहाये। इस कविता की दूसरी पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 4
इस कविता की दूसरी पंक्ति में 'उत्प्रेक्षा ' अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
उत्प्रेक्षा अलंकार - जहाँ उपमेय में कल्पित उपमान की संभावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके वाचक शब्द हैं- मनु जनु, जानों, मानहु, मानो, निश्चय, ईव, ज्यो आदि।
अन्य विकल्प -
अनुप्रास अलंकार - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है। रूपक अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं दिखाई पड़ता है।
यमक अलंकार - जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषण’ है।
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय ) को अलंकार कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित हैं - शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार।
शब्दालंकार - जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर उभयालंकार अलंकार होता है अर्थात् जो शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं, वे उभयालंकार कहलाते हैं।
Question 3:
‘काव्य की शोभा बढ़ानेवाले धर्मों को अलंकार कहते हैं।' इस उक्ति में प्रयुक्त 'धर्म' शब्द का क्या अर्थ है?
Correct Answer: 2
'काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्मों को अलंकार कहते है।' यहाँ 'धर्म'से आशय गुण, तत्त्व, घटक या अवयवहै। इस उक्ति में प्रयुक्त 'धर्म'शब्द का अर्थ 'गुण'है।
अतिरिक्त बिंदु-
अलंकार का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषण’है।
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय ) को अलंकारकहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित हैं - शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकारहोता है।
अर्थालंकार- जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकारहोता है।
उभयालंकार- जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर उभयालंकार अलंकारहोता है अर्थात् जो शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं, वे उभयालंकारकहलाते हैं।
Question 4:
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर । इस दोहे में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 4
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर। इस दोहे में 'यमक' अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
यमक अलंकार - जहाँ एक ही शब्द एक से अधिक बार प्रयोग किया जाये, लेकिन उस शब्द का अर्थ हर बार अलग- अलग हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। उपरोक्त दोहे में मनका (माला की मोती) तथा मनका (मन का मोती हृदय) को एक ही शब्द से दर्शाया गया है परन्तु अर्थ भिन्न-भिन्न हैं।
अन्य विकल्प -
रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है। रूपक अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं दिखाई पड़ता है।
अनुप्रास अलंकार - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
उपमा अलंकार - समान धर्म, स्वभाव, शोभा, गुण आदि के आधार पर जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषण’ है।
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय ) को अलंकार कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित हैं - शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार।
शब्दालंकार - जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर उभयालंकार अलंकार होता है अर्थात् जो शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं, वे उभयालंकार कहलाते हैं।
Question 5:
कूलन में केलि में कछारन में कुंजन में क्यारिन में कलित कलीन किलकत है।
इस काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 1
दिए गए पंक्ति में 'अनुप्रास' अलंकार है। इसमें 'क' वर्ण की आवृत्ति हुई है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अनुप्रास अलंकार - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
अन्य विकल्प -
रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है। रूपक अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं दिखाई पड़ता है।
यमक अलंकार - जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे।
श्लेष अलंकार - जहाँ एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो या तीन अर्थों का ज्ञान कराता हो, वहाँ ‘श्लेष अलंकार’ होता है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 6:
बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से। मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरों से।
इस काव्य पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 4
बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से। मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरों से। इस काव्य पंक्तियों में अतिशयोक्तिअलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अतिशयोक्ति अलंकार - जहाँ लोक सीमा का उल्लंघन करते हुए किसी वस्तु का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन या प्रशंसा किया जाय, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
अन्य विकल्प -
अनुप्रास अलंकार - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है। इस अलंकार में किसी वर्ण या व्यंजन की एक बार या अनेक वर्णों या व्यंजनों की अनेक बार आवृत्ति होती है।
श्लेष अलंकार - जहाँ एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो या तीन अर्थों का ज्ञान कराता हो, वहाँ ‘श्लेष अलंकार’ होता है।
यमक अलंकार - जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषण’ है।
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय ) को अलंकार कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित हैं - शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार।
शब्दालंकार - जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर उभयालंकार अलंकार होता है अर्थात् जो शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं, वे उभयालंकार कहलाते हैं।
Question 7:
चरण-कमल बंदौ हरिराई।
इस काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 2
चरण-कमल बंदौ हरिराई। इस काव्य पंक्ति में रूपक अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है। रूपक अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं दिखाई पड़ता है।
जैसे - पायो जी मैंने राम-रतन धन पायो। पंक्ति रूपक अलंकार का उदाहरण है।
अन्य विकल्प -
उपमा अलंकार - समान धर्म, स्वभाव, शोभा, गुण आदि के आधार पर जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
श्लेष अलंकार - जहाँ एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो या तीन अर्थों का ज्ञान कराता हो , वहाँ ‘श्लेष अलंकार’ होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार - जहाँ उपमेय में कल्पित उपमान की संभावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके वाचक शब्द हैं- मनु, जनु, जानो आदि।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 8:
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून।' इस दोहे में कौन-सा अलंकार है ?
Correct Answer: 1
'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून।' इस दोहे में श्लेष अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
श्लेष- जहाँ एक ही शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त होने पर दो या तीन अर्थों का ज्ञान कराता हो , वहाँ ‘श्लेष अलंकार’होता है।
अन्य विकल्प -
रूपक अलंकार -जहाँ उपमेय को उपमान का रूप मान लिया जाता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
उपमा - समान धर्म, स्वभाव, शोभा, गुण आदि के आधार पर जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकारहोता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार- जहाँ उपमेय में कल्पित उपमान की संभावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।इसके वाचक शब्द हैं- मनु, जनु, जानो, इव आदि।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 9:
'चरण कमल बंदौ हरि राई' में कौन सा अलंकार है ?
Correct Answer: 3
'चरण कमल बंदौ हरि राई' में रूपकअलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
रूपकअलंकार - जहाँ उपमेय को उपमान का रूप मान लिया जाता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
अन्य विकल्प -
श्लेष - जहाँ एक ही शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त होने पर दो या तीन अर्थों का ज्ञान कराता हो , वहाँ ‘श्लेष अलंकार’ होता है।
उपमा - समान धर्म, स्वभाव, शोभा, गुण आदि के आधार पर जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
अतिशयोक्ति - जहाँ लोक सीमा का उल्लंघन करते हुए किसी वस्तु का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन या प्रशंसा किया जाय, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए ) को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है। शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद: अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 10:
निर्देश - निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
हम पंछी उन्मुक्त गगन के,
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक- तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाएँगे
हम बहता जल पीने वाले
मर जाएँगे भूखे-प्यासे
कहीं भली है कटुक निबौरी
कनक-कटोरी की मैदा से।
स्वर्ण शृंखला के बंधन में
अपनी गीत, उड़ान सब भूले
'पुलकित पंख' में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 3
'पुलकित पंख' में अनुप्रास अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
प वर्ण की आवृत्ति होने के कारण 'पुलकित पंख' में अनुप्रासअलंकार है।
अतिरिक्त बिंदु -
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय ) को अलंकार कहते हैं ।
अलंकार के भेद : अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित हैं - शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार।
शब्दालंकार - जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर उभयालंकार अलंकार होता है अर्थात् जो शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं, वे उभयालंकार कहलाते हैं।
Question 11:
निर्देश - नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
‘वायु-प्रदूषण’ का सबसे अधिक प्रकोप महानगरों पर हुआ है। इसका कारण है बढ़ता हुआ औद्योगिकरण। पिछले बीस वर्षों में भारत के प्रत्येक नगर में कारखानों की जितनी तेजी से वृद्धि हुई है। उससे वायुमण्डल पर बहुत प्रभाव पड़ा है क्योंकि इन कारखानों की चिमनियों से चौबीस घंटे निकलने वाले धुऍं ने सारे वातावरण को विषाक्त बना दिया है।
इसके अलावा सड़कों पर चलने वाले वाहनों की संख्या में तेजी से होने वाली वृद्धि भी वायु-प्रदूषण के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। इन वाहनों के धुऍं से निकलने वाले ‘कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस’ के कारण आज न जाने कितनी प्रकार की साँस और फेफड़ों की बीमारियॉं आम बात हो गई हैं। इधर बढ़ती हुई जनसंख्या, लोगों का काम की तलाश में गॉंवों से शहरों की और भागना भी वायु प्रदूषण के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी है। शहरों की बढ़ती जनसंख्या के लिए आवास की सुविधाएँ अपलब्ध कराने के लिए वृक्षों और वनों को भी निरंतर काटा जा रहा है। वायु प्रदूषण से बचाने वाले कारणों की हमें खोज करनी चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए।
धुएँ ने सारे वातावरण को विषाक्त बना दिया है। रेखांकित शब्द के स्थान पर कौन-सा शब्द प्रयोग कर सकते हैं ?
Correct Answer: 1
धुएँ ने सारे वातावरण को विषाक्त बना दिया है। रेखांकित शब्द के स्थान पर विषैला शब्द प्रयोग कर सकते हैं।
कभी-कभी किसी वाक्य में किसी शब्द के स्थान पर उस शब्द के समान अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है, इससे वाक्य के अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
महत्वपूर्ण बिंदु :
प्रश्न से संबंधित गद्यांश का सुसंगत अंश -
"उससे वायुमण्डल पर बहुत प्रभाव पड़ा है क्योंकि इन कारखानों की चिमनियों से चौबीस घंटे निकलने वाले धुऍं ने सारे वातावरण को विषाक्त बना दिया है।"
पर्यायवाची शब्द -
ऐसे शब्द जिनके अर्थ समान हों, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
जैसे -
अतिथि का पर्यायवाची शब्द - मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहुना आदि।
अलंकार का पर्यायवाची शब्द - आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर आदि।
अहंकार का पर्यायवाची शब्द - दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान आदि।
विषाक्त - जिसमें विष मिला हो।
विषाक्त का समानार्थी शब्द - विषयुक्त, विषैला, विषपूर्ण, विषमय, जहरीला आदि।
Question 12:
निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
बीती विभावरी जाग री!
अम्बर पनघट में डुबो रही
तारा-घट ऊषा नागरी।
खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा,
किसलय का अंचल डोल रहा,
लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी।
अधरों में राग अमंद पिए,
अलकों में मलयज बंद किए,
तू अब तक सोई है आली?
आँखों में भरे विहाग री?
‘‘मधु-मुकुल नवल रस गागरी’’ काव्य पंक्ति में मुख्य अलंकार है-
Correct Answer: 2
‘‘मधु-मुकुल नवल रस गागरी’’ काव्य पंक्ति में मुख्य अलंकार - रूपक अलंकार है।
महत्वपूर्ण बिंदु :
अलंकार –
अलंकार का शाब्दिक अर्थ है ‘‘आभूषण’’ अर्थात काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार कहते हैं।
रूपक अलंकार –
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे, अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण - बीती विभावरी जाग री।
अंबर पनघट में डुबो रही-
तारा घर उषा नागरी।
Question 13:
निम्नलिखित प्रश्न में चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
तरनि तनुजा तट - तमाल तरूवर बहु छाये
Correct Answer: 1
उपर्युक्त पंक्ति में 'अनुप्रास' अलंकार' है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अनुप्रास अलंकार का अर्थ है, जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
अन्य विकल्प -
यमक अलंकार - जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है, परन्तु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण - कनक- कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
उहि खाये बौरात नर, इहि पाये बौराय।।
श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ है चिपका हुआ। इस अलंकार में प्रयुक्त शब्द विशेष में कई अर्थ रहते हैं। दूसरे शब्दों में-जब पंक्ति में एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं तब वहाँ श्लेश अलंकार होता है।
उदाहरण - रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै मोती, मानस, चून।।
उपमा अलंकार - समान धर्म, स्वभाव, शोभा, गुण आदि के आधार पर जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण - मुख चंद्र सा सुंदर है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 14:
निम्नलिखित में कौन-सा शब्दालंकार नहीं है ?
Correct Answer: 4
'रूपक' शब्दालंकार नहीं है। रूपक अर्थालंकार का भेद है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है। रूपक अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं दिखाई पड़ता है।
अन्य विकल्प -
अनुप्रास - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है; जैसे - मुदित महीपति मंदिर आये। सेवक सचिव सुमंत बुलाये।।
श्लेष - जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों, वहाँ तो श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण -
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।
[यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं - मोती के साथ कान्ति, मनुष्य के साथ इज्जत और चूने के साथ जल। पानी के एक से अधिक अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।]
यमक अलंकार - जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है, परन्तु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण - कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
उहि खाये बौरात नर, इहि पाये बौराय।।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए ) को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है। शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद: अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 15:
जायसी द्वारा रचित प्रसिद्ध रचना कौन सी है?
Correct Answer: 1
जायसी द्वारा रचित प्रसिद्ध रचना पद्मावत है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
पद्मावतकीरचना सन् 947 हिजरी. (संवत् 1540) में हुई थी।
जायसी कृत पद्मावत में कुल 57 खंड है और इनका प्रिय अलंकार 'उत्प्रेक्षा' है।
पद्मावत का नागमती वियोग खंड हिंदी साहित्य की अनुपम निधि है।
सूफी काव्यधारा के प्रमुख कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने अवधी भाषा में पद्मावत नाम महाकाव्य की रचना की।
अन्य विकल्प -
रस विलास के रचनाकार 'देव' है।
विज्ञानगीता के रचनाकार 'केशवदास' है।
श्रृंगार लहरी के रचनाकार 'जन्नाथ दास रत्नाकर' है।
अतिरिक्त बिंदु -
मालिक मोहम्मद जायसी -
जायसी हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि थे।
ये उच्चकोटि के सरल तथा उदार सूफ़ी महात्मा थे।
जायसी मलिक वंश के थे।
Question 16:
निम्नलिखित प्रश्न में चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
काली घटा का घमंड घटा
Correct Answer: 1
'काली घटा का घमंड घटा', पंक्ति में यमक अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
यमक अलंकार - जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है, परन्तु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण -कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय; एक खाए बौराय नर, एक पाए बौराय।।
अन्य विकल्प -
अतिश्योक्ति अलंकार - जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार - जहाँ उपमेय में कल्पित उपमान की संभावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके वाचक शब्द हैं- मनु, जनु, जानो, इव आदि।
उपमा अलंकार - जब किन्हीं दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं की तुलना की जाए, तब वहाँ 'उपमा अलंकार' होता है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए ) को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ
मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 17:
"सारंग लै सारंग चली कई सारंग की ओट, सारंग झीनो पाइके सारंग कई गई चोट।" में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 1
सारंग लै सारंग चली कई सारंग की ओट, सारंग झीनो पाइके सारंग कई गई चोट। इस पंक्ति में यमक अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
उपरोक्त पंक्ति में सारंग शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार हुआ है।
यमक अलंकार - जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है, परन्तु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण - कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय; एक खाए बौराय नर, एक पाए बौराय।।
अन्य विकल्प -
उत्प्रेक्षा - जहाँ उपमेय में कल्पित उपमान की संभावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।इसके वाचक शब्द हैं- मनु, जनु, जानो, इव आदि ।
श्लेष - श्लेष अलंकार की पहचान शब्दों के आपस में चिपके होने से की जाती है। अर्थात एक ही शब्द में दो अर्थ चिपके होते हैं , वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
रूपक - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है। रूपक अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं दिखायी पड़ता है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 18:
"अम्बर-पनघट में डुबो रही, तारा-घट उषानागरी।" में कौन-सा अलंकार है?
Correct Answer: 3
अम्बर-पनघट में डूबी रही, तारा-घट उषा-नगरी में रूपक अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
रूपक अलंकार - जहाँ उपमेय को उपमान के रूप में दिखाया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
अन्य विकल्प -
अनुप्रास - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है; जैसे - मुदित महीपति मंदिर आये। सेवक सचिव सुमंत बुलाये।।
श्लेष - किसी प्रसंग में जब कोई शब्द एक बार प्रयुक्त हो परन्तु उसके अर्थ अलग-अलग हों तो वहाँश्लेष अलंकारहोता है।
उदाहरण -
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।
[यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं - मोती के साथ कान्ति, मनुष्य के साथ इज्जत और चूने के साथ जल। पानी के एक से अधिक अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।
उपमा- समान धर्म, स्वभाव, शोभा, गुण आदि के आधार पर जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है। उपमा के चार अंग होते हैं - उपमेय, उपमान, वाचक और समान गुण धर्म।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए ) को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 19:
जहाँ एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती है वहाँ अलंकार होगा।
Correct Answer: 2
जहाँ एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती है वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
अन्य विकल्प -
यमक अलंकार - जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है, परन्तु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण -
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
उहि खाये बौरात नर, इहि पाये बौराय।।
श्लेष - जहाँ एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो या तीन अर्थों का ज्ञान कराता हो , वहाँ ‘श्लेष अलंकार’ होता है।
उदाहरण -
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
[यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं - मोती के साथ कान्ति, मनुष्य के साथ इज्जत और चूने के साथ जल। पानी के एक से अधिक अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।]
उपमा अलंकार - समान धर्म, स्वभाव, शोभा, गुण आदि के आधार पर जहाँ एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए)को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित हैं - शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।
Question 20:
निम्नलिखित में कौन-सा शब्दालंकार है?
Correct Answer: 4
उपरोक्त विकल्पों में से 'यमक अलंकार' शब्दालंकार है। अन्य विकल्प अर्थालंकार हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
यमक अलंकार - जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है, परन्तु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है।
अन्य विकल्प -
उपमा अलंकार- जब किन्हीं दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं की तुलना की जाए, तब वहाँ 'उपमा अलंकार' होता है।
रूपक अलंकार - जहाँ उपमेय को उपमान के रूप में दिखाया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार- जहाँ उपमेय में कल्पित उपमान की संभावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके वाचक शब्द हैं- मनु, जनु, जानो, इव आदि।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
शब्दालंकार- जहाँ केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘शब्दालंकार’ होता है । शब्दालंकार के भेद: अनुप्रास, यमक, श्लेष।
अर्थालंकार - जहाँ अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता है। अर्थालंकार के भेद : अर्थालंकार के 100 से अधिक भेद होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख, भ्रांतिमान, संदेह, व्यतिरेक, अतिशयोक्ति, दृष्टांत, विरोधाभास, विभावना आदि।
उभयालंकार - जहाँ पर दो या अधिक अलंकारों का सम्मिलन होता है, वहाँ पर ‘उभयालंकार’ अलंकार होता है। इसके दो भेद हैं - संकर अलंकार, संसृष्टि अलंकार।