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एक ओर अजगरहिं लखि एक ओर मृगराय।
विकल बटोही बीच ही पर्यो मूरछा खाय।।
इन पंक्तियों में प्रयुक्त रस है
उपर्युक्त पंक्तियों में भयानक रस है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु-
अन्य विकल्प-
अतिरिक्त बिंदु-
अद्भुत रस का स्थायी भाव है-
अद्भुत रस का स्थायी भाव विस्मय है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
जैसे :- अम्बर में कुन्तल जाल देख। पद के नीचे पाताल देख।।
मुट्ठी में तीनों काल देख। मेरा स्वरूप विकराल देख।।
सब जन्म मुझी से पाते हैं। फिर लौट मुझी में आते हैं।।
अन्य विकल्प -
जैसे :- एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय।
विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय।।''
उदाहरण -
अतिरस बोले बचन कठोर।
बेगि दिखाउ मूढ़ नत आजू।
उलटउँ महि जहँ लग तवराजू।।
अतिरिक्त बिंदु -
रसों का राजा किस रस को माना जाता है?
रसों का राजा शृंगार रस को माना जाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु-
अन्य विकल्प -
करुण रस -
उदाहरण -
दुःख ही जीवन की कथा रही,
क्या कहूँ आज जो नहीं कही।
वीर रस -
उदाहरण-
मानव समाज में अरुण पड़ा, जल जन्तु बीच हो वरुण पड़ा।
इस तरह भभकता राणा था, मानो सर्पों में गरुड़ पड़ा।।
हास्य रस -
अतिरिक्त बिंदु -
वात्सल्य रस का सम्राट किस कवि को कहा जाता है?
व्याख्या - वात्सल्य रस का सम्राट कवि 'सूरदास' को कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
कबीर की उलटबांसियों में कौन-सा रस प्रमुख है?
कबीर की उलटबांसियों में अद्भुत रस प्रमुख है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
जैसे :- अम्बर में कुन्तल जाल देख। पद के नीचे पाताल देख।।
मुट्ठी में तीनों काल देख। मेरा स्वरूप विकराल देख।।
सब जन्म मुझी से पाते हैं। फिर लौट मुझी में आते हैं।।
अन्य विकल्प -
उदाहरण -
दुःख ही जीवन की कथा रही,
क्या कहूँ आज जो नहीं कही।
उदाहरण -
यही अभिव्यक्त हो कर शांत-रस में परिणत हो जाता है।
दूसरे शब्दों में - निर्वेद परिपक्वावस्था को शांत-रस’ ‘कहते हैं।
अतिरिक्त बिंदु-
अँखिया हरि दरसन की भूखी। कैसे रहें रूप रस राँची, ए बतियाँ सुनि रूखीं। उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
उक्त पंक्ति में वियोग शृंगार रस है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
वीर रस -
उदाहरण
मानव समाज में अरुण पड़ा, जल जन्तु बीच हो वरुण पड़ा।
इस तरह भभकता राणा था, मानो सर्पों में गरुड़ पड़ा।।
शांत रस -
संयोग शृंगार रस -
दूलह श्रीरघुनाथ बने दुलही सिय सुन्दर मन्दिर माहीं।
गावति गीत सबै मिलि सुन्दरि बेद जुवा जुरि बिप्र पढ़ाहीं॥
अतिरिक्त बिंदु -
करुण रस का स्थायी भाव क्या होगा?
व्याख्या - करुण रस का स्थायी भाव शोक है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
उदाहरण -
दुःख ही जीवन की कथा रही,
क्या कहूँ आज जो नहीं कही।
अन्य विकल्प -
अतिरस बोले बचन कठोर।
बेगि दिखाउ मूढ़ नत आजू।
उलटउँ महि जहँ लग तवराजू।।
अतिरिक्त बिंदु -
वीर रस का स्थायी भाव है-
वीर रस का स्थायी भाव "उत्साह" होता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
वीर रस का स्थायी-भाव होता है
व्याख्या - वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
शृंगार रस - शृंगार रस का स्थाई भाव 'रति' होता है। सहृदय के चित्त में रति नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से संयोग होता है, वह शृंगार रस का रूप धारण कर लेता है।
रौद्र रस - रौद्र रूप का स्थाई भाव 'क्रोध' होता है। दुष्ट के अत्याचार, अपने अपमान आदि के वजह से जाग्रत क्रोध स्थायी भाव का विभावादि मे पुष्ट होकर रौद्र रस रूप मे परिणत होता है।
'चमक उठी सन सत्तावन में वो तलवार पुरानी थी।' रस भेद बताइए।
उक्त पंक्ति में वीर रस है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
वीर रस -
अन्य विकल्प -
हास्य -
शृंगार रस -
भक्ति रस -
उदाहरण - उलट नाम जपत जग जाना।
बाल्मीकि भए ब्रह्म समाना।।
अतिरिक्त बिंदु -
साहित्य में 'रस' का क्या अर्थ है?
उत्तर - साहित्य में रस का अर्थ है - साहित्य से मिलने वाली आनंदानुभूती, अन्य विकल्प असंगत हैं।
अतिरिक्त बिंदु -
रस - रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद'। काव्य को पढने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है ,उसे रस कहा जाता है।
किस रस को रसराज कहा जाता है?
व्याख्या - शृंगार रस को रसराज कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
"निसदिन बरसत नैन हमारे" इस पंक्ति में किस रस का वर्णन है?
"निसदिन बरसत नैन हमारे" इस पंक्ति में शृंगार रस का वर्णन है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
जैसे :- एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय।
विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय।।''
जैसे :- किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत।
मणिमय कनक नन्द के आँगन बिम्ब पकरिबे धावत।
अतिरिक्त बिंदु -
किस रस को रस राज कहा जाता है?
शृंगार रस को रस राज कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त ज्ञान -
"विस्मय" स्थायी भाव किस रस में होता है?
विस्मय स्थायी भाव अद्भभुत रस में होता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
जैसे :- अम्बर में कुन्तल जाल देख। पद के नीचे पाताल देख।
मुट्ठी में तीनों काल देख। मेरा स्वरूप विकराल देख।।
सब जन्म मुझी से पाते हैं। फिर लौट मुझी में आते हैं।।
अन्य विकल्प -
उदाहरण
आधा पात बबुल का तामे तनिक पिसान।।
लाला जी करने लगे छठे-छमासे दान।।
अतिरिक्त बिंदु -
वीर रस का स्थायी भाव क्या है?
वीर रस का स्थायी भाव उत्साह है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
वर्ष 2016 का साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचनाकार को दिया गया?
वर्ष 2016 का हिन्दी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास 'पारिजात' के लिए प्रदान किया गया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
मुक्तिबोध' के लिए जैनेन्द्र कुमार को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?
'मुक्तिबोध' जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित उपन्यास है, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अतिरिक्त बिंदु -
सन् 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त 'आलोक पर्व' किसकी रचना है ?
आलोक पर्व हिन्दी के विख्यात साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिए उन्हें सन् 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अतिरिक्त बिंदु -
ज्ञानपीठ पुरस्कार' किस भाषा से सम्बन्धित है?
'ज्ञानपीठ पुरस्कार' का सम्बन्ध संविधान की आठवीं अनुसूची की सभी (22) भाषाओं से है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अतिरिक्त बिंदु -