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तेरी बरछी ने बर छीने हैं, खलन के। पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?
तेरी बरछी ने बर छीने हैं, खलन के। पंक्ति में यमक अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए )को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
निर्देश - नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया।
ताते जल नहा पहन श्वेत वसन आई,
खुले लॉन में बैठ गई दमकती लुनाई,
सूरज खरगोश धवल गोद उछल आया।
बहुत दिनों बाद मुझे धूप ने बुलाया।
नभ के उद्यान-छत्र तले भेज टीला,
पड़ा हरा फूल कढ़ा मेजपोश पीला,
वृक्ष खुली पुस्तक हर पृष्ठ फड़फड़ाता ।
बहुत दिनों बाद मुझे धुप ने बुलाया।
पैरों में मखमल की जूती सी क्यारी,
मेघ उन का गोला बुनती सुकुमारी,
डोलती सलाई हिलता जल लहराया।
बहुत दिनो बाद मुझे धूप ने बुलाया।
‘मझे धूप ने बुलाया’ में अलंकार है-
‘मुझे धूप ने बुलाया’ में मानवीकरण अलंकार है।
मानवीकरण अलंकार –
जब प्राकृतिक वस्तुओं जैसे पेड-पौधे, बादल, धूप, झरना, नदी, आकाश आदि में मानवीय भावनाओं का वर्णन हो यानी निर्जीव चीजों में सजीव होना दर्शाया जाए तब वहॉं मानवीकरण अलकांर होता है।
जैसे-
मेघ आये बडे बन-ठन के संवर के।
कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जीअपनी कविता ‘‘जाड़े की धूप’’ की पंक्ति ‘मुझे धूप ने बुलाया’ में धूप को मानव का रूप दिया है। इस कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
महत्वपूर्ण बिंदु :
उपमा अलंकार –
जब किसी कथन या वाक्य में एक वस्तु की दूसरी वस्तु से रूप, गुण आदि के आधार पर क्षमता या तुलना की जाती है, वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
उदाहरण-
'उपमा' के चार अंग होते हैं :-
रूपक अलंकार –
जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वहॉं ‘रूपक’ अलंकार होता है।
जैसे – चरण-कमल बंदौ हरिराई।
अनुप्रास अलंकार-
किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति को ‘अनुप्रास’ अलकांर कहते हैं। आवृत्ति का अर्थ है ‘दुहराना’।
जैसे - ‘तरनि तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाये।‘
इस उदाहरण में ‘त’ वर्ण की लगातार आवृत्ति है, इस कारण से इसमें ‘अनुप्रास’ अलंकार है।
अतिरिक्त बिंदु :
उपमेय –
उपमेय शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है- "जिसके लिए उपमा दी जाए"। जिस व्यक्ति या वस्तु की किसी अन्य से समता या तुलना की जाती है उसे 'उपमेय' कहा जाता है।
उदाहरण - हरिपद कोमल कमल से।
उक्त वाक्य में 'हरिपद' उपमेय है। यहाँ हरिपद को कमल के समान कोमल बताते हुए समानता बताई गई है।
उपमान –
उपमान का शाब्दिक अर्थ होता है- "जिससे तुलना या समता हो।" जिस प्रसिद्ध व्यक्ति या वस्तु से समानता बताई जाती है या तुलना की जाती है, उसे ‘उपमेय’ कहा जाता है।
उदाहरण- 'उसका मुख कमल के समान है'
उक्त वाक्य में 'कमल' उपमान है ।
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
भिखारिन को देखकर पट देत बार - बार
'भिखारिन को देखकर पट देत बार-बार' इस पंक्ति में 'श्लेष अलंकार' है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
निम्नलिखित प्रश्न में चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
'तरनि तनुजा तट - तमाल तरूवर बहु छाये'
उपरोक्त पंक्तियों में 'अनुप्रास अलंकार' है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
उदाहरण - कनक- कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
उहि खाये बौरात नर, इहि पाये बौराय।।
उदाहरण - रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै मोती, मानस, चून।।
अतिरिक्त बिंदु -
अलंकार के भेद - अलंकार मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है- शब्दालंकार,अर्थालंकार तथा उभयालंकार।
"अम्बर-पनघट में डुबो रही, तारा-घट उषा-नगरी।" में कौन-सा अलंकार है?
'अम्बर-पनघट में डूबी रही, तारा-घट उषा-नगरी' में रूपक अलंकार है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
उदाहरण -
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।
[यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं - मोती के साथ कान्ति, मनुष्य के साथ इज्जत और चूने के साथ जल। पानी के एक से अधिक अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।]
अतिरिक्त बिंदु -