CTET HINDI QUIZ 49

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Question 1:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिडगिडाई नहीं
न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

कुरूसभा में उपस्थित द्रौपदी के पतियों को क्‍या कहा जाता है ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिडगिडाई नहीं न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 2:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिडगिडाई नहीं
न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

यज्ञ की अग्नि से कौन उत्‍पन्‍न हुआ ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिडगिडाई नहीं न मॉ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 3:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिड़गिड़ाईनहीं
न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

‘पिता को चाहिए कि एक योद्धा’- यहॉं किस योद्धा की बात हो रही है ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिड़गिड़ाईनहीं न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 4:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिड़गिड़ाईनहीं
न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

यहॉं ‘पांचाली’ से क्‍या आशय है ?

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिड़गिड़ाईनहीं न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 5:

निर्देश- नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए:
क्‍या परिचय दूं मैं अपना
द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी
सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक
कभी गौर किया है तुमने
मेरा कोई नाम नहीं।
द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को
पिता को चाहिए था योद्धा
और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे
यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं
सबको स्‍तब्‍ध कर
खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म।
सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस
अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि,
लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही
और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने
महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं
गिड़गिड़ाईनहीं
न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में
और न
कुरूसभा में
जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

‘नि:सृत’ शब्‍द है-

निर्देश- नीचे दिए गए पंधाश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प को चुनिए: क्‍या परिचय दूं मैं अपना द्रौपदी ----- पांचाली--------- कृष्‍ण ------------ या ज्ञसेनी सभी संज्ञाए विशेषण हैं या संबंध सूचक कभी गौर किया है तुमने मेरा कोई नाम नहीं। द्रोणाचार्य के अपमान का बदला चुकाने को पिता को चाहिए था योद्धा और धृष्‍टघुम्‍न के पीछे यज्ञ की अग्नि से औचक ही नि:सृत मैं सबको स्‍तब्‍ध कर खुद ही प्रयोजन बनती रही आजन्‍म। सुई की नोक के बराबर भूमि न पाने वालों के औरस अब तक मुझ पर उंगली उठाते थकते नहीं कि, लाखों लोगों की मृत्‍यु का कारण मैं रही और भी कई कहानियां बुल ली हैं उन्‍होंने महज इसलिए कि मैं कभी रोई नहीं गिड़गिड़ाईनहीं न माँ के सम्‍मुख जब उन्‍होंने बॉंट दिया पॉंच बेटों में और न कुरूसभा में जहॉं पॉंच-पॉंच पतियों के बावजूद मैं अकेली पड गई-----------

Question 6:

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वाले विकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमन से कश्‍मीर भले ही दूर दिखई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से' कथन में 'तूफान' का भाव है-

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमन से कश्‍मीर भले ही दूर दिखई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

Question 7:

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

'अंडमान से कश्‍मीर' हैं भारत में -

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

Question 8:

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

हम भारतीय जिधर भी अपने कदम बढ़ाते हैं वहाँ-

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

Question 9:

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

पैर शब्‍द का समानार्थी नहीं है?

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

Question 10:

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।

कविता के अनुसार विविधताओं के बीच भी हम एक हैं, क्‍योंकि सबसे पहले हम -

निम्‍नलिखित काव्‍यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के सबसे उपयुक्‍त उत्‍तर वालेविकल्‍प चुनिए:

विविध प्रांत हैं अपनी-अपनी भाषा के अभिमानी हम,

पर इन सबसे पहले दुनियावालो हिन्‍दुस्‍तानी हम।

रहन-सहन में, खान-पानमें, भिन्‍न भले ही हों कितने,

इस मिट्टी को देते आए, मिल-जुलकर कुरबानी हम।

सदियों से कुचले लाखों तूफान हमने पद तल से, 

आज झुके कुछ टकराकर तो कल लगते फिर जागे से। 

अंडमान से कश्‍मीर भले ही दूर दिखाई दे कितना, 

पर हर प्रांत जुडा है अपना अगणित कोमल धागों से। 

जिस ओर बढ़ाए पग हमने, हो गई उधर भू नव मंगल।

आजाद वतन के बाशिंदे,  हर चरण हमारा है बादल।।