श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती

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महर्षि अरबिंदो की 150वीं जयंती और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय 12 से 15 अगस्त तक देश भर की 75 जेलों में आध्यात्मिक कार्यक्रम चलाकर श्री अरबिंदो के जीवन और दर्शन को याद कर रहा है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • इन कार्यक्रमों का उद्देश्य अरबिंदो के दर्शन को आत्मसात करके और योग और ध्यान अपनाकर जेल में बंद कैदियों के जीवन को बदलना है।

  • मंत्रालय ने इन कार्यक्रमों को करने के लिए उल्लेखनीय आध्यात्मिक नेताओं और संगठनों के साथ भागीदारी की है।

  • मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ जुड़ाव को ध्यान में रखते हुए संस्कृति मंत्रालय ने देश भर में 75 जेलों की पहचान की है, जहां ये कार्यक्रम आयोजित होंगे।

  • रामकृष्ण मिशन, पतंजलि, आर्ट ऑफ लिविंग, ईशा फाउंडेशन और सत्संग फाउंडेशन सहित पांच संगठनों को कार्यक्रम आयोजित करने के लिए साथ में लिया गया है।

महर्षि अरबिंदो कौन थे?

  • उनका जन्म 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में हुआ था।

  • वह एक योगी, द्रष्टा, दार्शनिक, कवि और भारतीय राष्ट्रवादी थे।

  • उन्होंने आध्यात्मिक विकास के माध्यम से पृथ्वी पर दिव्य जीवन दर्शन के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

  • उनकी शिक्षा दार्जिलिंग के एक क्रिश्चियन कॉन्वेंट स्कूल में शुरू हुई।

  • उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश किया, जहाँ वे दो शास्त्रीय और कई आधुनिक यूरोपीय भाषाओं में महारथ हासिल की।

  • उन्होंने 250 उम्मीदवारों में से 11वीं रैंक हासिल करते हुए आईसीएस की परीक्षा पास की।

  • उन्होंने शास्त्रीय संस्कृत सहित योग और भारतीय भाषाओं का भी अध्ययन किया।

भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन में भूमिका

  • उन्होंने वर्ष 1902 से 1910 तक भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने हेतु संघर्ष में भाग लिया।

  • उन्हें वर्ष 1908 में अलीपुर बम कांड में अंग्रेजों द्वारा कैद कर लिया गया था।

  • दो साल बाद वह ब्रिटिश भारत से भाग गए और पांडिचेरी के फ्रांसीसी उपनिवेश में शरण ली।

  • उन्होंने पांडिचेरी में अपने पूरे जीवन को एक पूर्ण और आध्यात्मिक रूप से परिवर्तित कर लिया और योग के विकास हेतु समर्पित कर दिया।

  • पांडिचेरी में उन्होंने आध्यात्मिक साधकों के एक समुदाय की स्थापना की, जिसने वर्ष 1926 में श्री अरबिंदो आश्रम के रूप में आकार लिया। 

उनकी साहित्यिक कृतियाँ

  • भगवद गीता और उसका संदेश

  • योग के आधार

  • मनुष्य का भविष्य विकास

  • पुनर्जन्म और कर्म

  • ईश्वर का समय 




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