वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट 2022 के अनुसार 41.5 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले

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 Global Multidimensional Poverty Index report 2022

चौथे वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2005-06 और 2019-20 के बीच 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी से सफलतापूर्वक बाहर निकाला है।रिपोर्ट संयुक्त रूप से यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा जारी की जाती है। पहली रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी और इसे सालाना जारी किया जाता है।

रिपोर्ट अपने बहुआयामी गरीबी सूचकांक में दुनिया के 111 विकासशील देशों को रैंक करती है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

दुनिया में गरीबी

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 1.2 अरब लोग बहुआयामी गरीब हैं।

गरीब लोगों की संख्या सबसे अधिक उप सहारा अफ्रीका (579 मिलियन) में है, इसके बाद दक्षिण एशिया (385 मिलियन) का स्थान है। दोनों क्षेत्रों में कुल मिलाकर 83% गरीब लोग रहते हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब भारत में

  • भारत के 2020 के जनसंख्या आंकड़ों को आधार मान कर ,  रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा गरीब भारत (228.9 मिलियन) में हैं और इसके बाद नाइजीरिया (2020 में अनुमानित 96.7 मिलियन) हैं।
  • भारत में "लगभग 4.2 प्रतिशत आबादी गंभीर गरीबी में रहती है (मतलब उनका अभाव स्कोर 50 प्रतिशत या उससे अधिक है)।

आयु वर्ग में सबसे गरीब, बच्चे

  • आयु वर्ग में अभी भी  वयस्कों की तुलना में ज्यादा गरीबी बच्चों में पाया जाता है ।
  • पांच में से एक (21.8 प्रतिशत) बच्चे गरीब हैं, जबकि सात वयस्कों में से एक (13.9 प्रतिशत) व्यस्क  गरीब हैं ।
  • भारत में करीब 9.7 करोड़ गरीब बच्चे हैं।

ग्रामीण इलाकों में ज्यादा गरीब

  • शहरी क्षेत्रों में 5.5 प्रतिशत की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों का प्रतिशत 21.2 है।
  • देश में  कुल गरीबो में से में लगभग 90 प्रतिशत गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
  • संख्या के हिसाब से भारत में पायेजाने वाले लगभग 229 मिलियन गरीब लोगों में से 205 मिलियन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।

महिला प्रधान परिवारों में गरीबी अधिक

  • महिला प्रधान परिवारों में रहने वाले लगभग 19.7 प्रतिशत लोग गरीबी में रहते हैं जबकि पुरुष प्रधान परिवारों में 15.9 प्रतिशत लोग गरीबी में रहते हैं।

राज्यों का प्रदर्शन

  • इस बार , 2015/16 की 10 सबसे गरीब राज्यों की सूची से केवल पश्चिम बंगाल बाहर ही बाहर निकल पाया ।
  • इस सूची में भारत के अन्य 9 सबसे गरीब राज्य बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं।
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे तेजी से गरीबी में  कमी गोवा में हुई, इसके बाद जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का स्थान रहा।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है

  • बहुआयामी गरीबी मूल्यांकन का उद्देश्य गरीबी के गैर-आय आधारित आयामों को मापना, गरीबी और अभाव की सीमा का अधिक व्यापक मूल्यांकन प्रदान करना है।
  • सूचकांक तीन आयामों और 10 संकेतकों के सहारे  एक व्यक्ति के अभाव को मापता है: स्वास्थ्य (बाल मृत्यु दर, पोषण), शिक्षा (स्कूली शिक्षा के वर्ष, नामांकन), और जीवन स्तर (पानी, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने का ईंधन और  संपत्ति)।
  • यह पहले यह पहचान करता है कि इन 10 में से प्रत्येक परिवार को कौन-सी वंचितता का अनुभव होता है, फिर उन परिवारों की पहचान गरीब के रूप में की जाती है यदि वे एक-तिहाई या अधिक भारित संकेतकों से वंचित हैं।

सूचकांक निम्नलिखित संकेतकों पर अभाव को दर्शाता है:

  1. वयस्क (70 वर्ष से कम) या बच्चे का कुपोषित होना
  2. पिछले 5 वर्षों में परिवार के भीतर किसी भी बच्चे की मृत्यु (18 वर्ष से कम आयु)
  3. 6 वर्ष से अधिक आयु के परिवार के किसी भी सदस्य ने स्कूली शिक्षा के कम से कम छह वर्ष पूरे नहीं किए हैं
  4. बाधित या कम समय के लिए की गई स्कूली शिक्षा (न्यूनतम वर्ष 1-8)
  5. परिवार का कोई भी बच्चा जो उस उम्र तक स्कूल नहीं जा रहा है जिस उम्र में उसने कक्षा आठ की पढ़ाई पूरी कर ली होगी
  6. सुरक्षित पेयजल तक पहुंच का अभाव
  7. बुनियादी स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच का अभाव
  8. स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच का अभाव
  9. विश्वसनीय बिजली तक पहुंच का अभाव
  10. बुनियादी आधुनिक संपत्तियों (रेडियो, टीवी, टेलीफोन, कंप्यूटर, बाइक, मोटरबाइक, आदि) का अभाव।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी)

इसकी स्थापना 22 नवंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।

यह देशों को इन मुद्दों पर अपने स्वयं के समाधान विकसित करने में मदद करता है;

  • सतत विकास
  • लोकतांत्रिक शासन और शांति निर्माण, और
  • जलवायु और आपदा लचीलापन।

मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका

रिपोर्ट

  • यह हर साल मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
  • यह ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव के साथ बहुआयामी गरीबी सूचकांक भी प्रकाशित करता है।

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