असम में 8 आदिवासी उग्रवादी समूह राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल होंगे
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असम में शांति प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता में 8 आदिवासी उग्रवादी संगठनों ने 15 सितंबर 2022 को गुवाहाटी में असम सरकार और केंद्र सरकार के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
असम के आदिवासी उग्रवादी संगठन; ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, असम के आदिवासी कोबरा मिलिटेंट, बिरसा कमांडो फोर्स, संथाल टाइगर फोर्स ,आदिवासी पीपुल्स आर्मी, तिवा लिबरेशन आर्मी, गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन, कुकी ट्राइबल यूनियन के नेता इस समारोह में उपस्थित थे।
ये सारे गुट 2012 से असम सरकार के साथ संघर्ष विराम में हैं और निर्दिष्ट शिविरों में रह रहे हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य -
असम में सक्रिय उग्रवादी समूह :
- परेश बरुआ के नेतृत्व वाले प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम( उल्फा) के कट्टरपंथी गुट और कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन को छोड़कर, राज्य में सक्रिय अन्य सभी विद्रोही गुटोंने सरकार के साथ शांति समझौते किए हैं।
उग्रवादियों को मुख्यधारा में लाना :
- शांति समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर के साथ केंद्र सरकार और राज्य सरकार इन उग्रवादियों के पुनर्वास के लिए कदम उठाएगी ताकि उन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।
- केंद्र ने 1,000 करोड़ रुपये के विकास पैकेज की भी घोषणा की है जिसमे केंद्र और असम सरकार द्वारा 500- 500 करोड़ रुपये देंगे।
- इस पैकेज का इस्तेमाल उन गांवों और क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जायेगा जहां ये आदिवासी आबादी रहती हैं।
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