1. नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 में भारत ने 61वां स्थान प्राप्त किया
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हाल ही में जारी नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2022 (एनआरआई 2022) में भारत ने अपनी रैंक में 6 स्थानों का सुधार कर 61वें स्थान पर पहुंच गया है। अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संस्था पोर्टुलन्स इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में भारत की तारीफ की गई है और कहा गया है कि "भारत के पास अपनी आय के स्तर को देखते हुए उम्मीद से कहीं अधिक नेटवर्क तत्परता है"।
नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स के अलग-अलग चार स्तंभ; प्रौद्योगिकी, लोग, शासन और प्रभाव में 58 वेरिएबल पर 131 देशों की रैंक की जाती है ।
भारत का प्रदर्शन
- भारत ने अपना स्कोर 2021 में 49.74 से सुधार कर 2022 में 51.19 कर लिया।
- भारत ने "एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) प्रतिभा एकाग्रता" में पहला स्थान, "देश के भीतर मोबाइल ब्रॉडबैंड इंटरनेट ट्रैफिक" व "अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट बैंडविड्थ" में दूसरा स्थान और "दूरसंचार सेवाओं में वार्षिक निवेश" व "घरेलू बाजार आकार" में तीसरा स्थान, "आईसीटी सेवा निर्यात" में चौथा स्थान और "एफटीटीएच बिल्डिंग इंटरनेट सब्सक्रिप्शन" व "एआई वैज्ञानिक प्रकाशन" में 5वां स्थान प्राप्त किया है।
- यूक्रेन (50) और इंडोनेशिया (59) के बाद भारत निम्न-मध्यम-आय वाले देशों के समूह में 36 में से तीसरे स्थान पर है
नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स पर शीर्ष तीन रैंक वाले देश
संयुक्त राज्य अमेरिका 80.3 के समग्र स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर है। इसके बाद 79.35 के स्कोर के साथ सिंगापुर दूसरे और 78.91 के स्कोर के साथ स्वीडन का स्थान रहा।
एशिया प्रशांत क्षेत्र में, सूची का नेतृत्व सिंगापुर ने किया, उसके बाद दक्षिण कोरिया दूसरे और जापान का स्थान तीसरा रहा।
फुल फॉर्म
एफटीटीएच/FTTH : फाइबर टू द होम( Fiber to the Home)
आईसीटी /ICT: इनफार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (Information Communication Technology )
एआई/ AI: आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)
2. ब्लैकस्टोन ने भारत से अपना एशियन डाटा सेंटर कारोबार शुरू किया
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अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निजी इक्विटी निवेशक ब्लैकस्टोन ने भारत से अपना एशियन डाटा सेंटर कारोबार शुरू किया है। देश में पांच स्थानों पर उपस्थिति के माध्यम से अगले दो वर्षों में इसे बढ़ाकर 600 मेगावाट करने की योजना है।
ब्लैकस्टोन ने 15 नवंबर 2022 को अपना डेटा सेंटर प्लेटफॉर्म लुमिना क्लाउड इन्फ्रा लॉन्च किया। लुमिना क्लाउड इन्फ्रा का स्वामित्व और प्रबंधन ब्लैकस्टोन के रियल एस्टेट और टैक्टिकल ऑपर्च्युनिटीज फंड द्वारा किया जाता है।
शुरुआत में डेटा सेंटर मुंबई और चेन्नई में स्थापित किया जाएगा, और बाद में इसे दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद और पुणे में स्थापित किया जाएगा।
एक अनुमान के अनुसार भारत की डाटा सेंटर बाजार 2027 तक 10 अरब डॉलर की होनी की उम्मीद है।
राष्ट्रीय डेटा केंद्र
सरकारी डेटा केंद्र की स्थापना और प्रबंधन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा किया गया है।पहला डेटा सेंटर 2008 में हैदराबाद में, उसके बाद 2010 में एनडीसी पुणे, 2011 में एनडीसी दिल्ली और 2018 में एनडीसी भुवनेश्वर में लॉन्च किया गया था।
यह सभी स्तरों पर सरकार को सेवाएं प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्यों की राजधानियों में 37 छोटे डेटा केंद्रों का संचालन करता है।
भुवनेश्वर में राष्ट्रीय डेटा केंद्र (एनडीसी) एक क्लाउड-सक्षम डेटा केंद्र है जो अपनी स्थापना के बाद से सरकारी विभागों को क्लाउड सेवाएं प्रदान कर रहा है।
राष्ट्रीय डेटा केंद्र भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न ई-शासन पहलों के लिए सेवाएं प्रदान करके भारत में ई-शासन अवसंरचना का मूल है।
डेटा सेंटर एक ऐसी सुविधा है जो डेटा और अनुप्रयोगों के भंडारण, प्रसंस्करण और प्रसार के उद्देश्यों के लिए एक संगठन के साझा आईटी संचालन और उपकरणों को केंद्रीकृत करती है। क्योंकि वे एक संगठन की सबसे महत्वपूर्ण और मालिकाना संपत्ति रखते हैं इसलिए दैनिक संचालन की निरंतरता के लिए डेटा केंद्र महत्वपूर्ण हैं।
3. आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए मध्य प्रदेश में लागू हुआ अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पंचायत विस्तार (पीईएसए) अधिनियम
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मध्य प्रदेश सरकार ने 15 नवंबर को राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पेसा) अधिनियम लागू किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर शहडोल जिले में राज्य सरकार द्वारा आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इसकी औपचारिक घोषणा की गई।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित राज्य और केंद्र के कई आदिवासी मंत्री उपस्थित थे।
इसका उद्देश्य ग्राम सभाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ जनजातीय आबादी को शोषण से बचाना है।
अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पंचायत विस्तार अधिनियम, 1996
संसद ने 1996 में अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पंचायत विस्तार अधिनियम (PESA) नामक एक विशेष कानून बनाया और 24 दिसंबर 1996 को लागू हुआ।
यह अधिनियम वर्तमान में संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल क्षेत्रों में लागू है, जो आदिवासी समुदायों के प्रभुत्व वाले जिलों के प्रशासन से संबंधित है, और देश के 10 राज्यों में लागू है।
ये 10 राज्य झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और तेलंगाना हैं।
अधिनियम का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना है।
4. डीएवाई-एनआरएलएम के तहत प्रभावी शासन प्रणाली स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन
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ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) ने 10 नवंबर, 2022 को दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत प्रभावी शासन प्रणाली की स्थापना का समर्थन करने के लिए गुरुग्राम स्थित वेदीस फाउंडेशन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
MoRD और वेदिस फाउंडेशन के साथ साझेदारी तीन साल के लिए है और यह गैर-वित्तीय साझेदारी है।
ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में ग्रामीण आजीविका मंत्रालय की संयुक्त सचिव नीता केजरीवाल और वेदीस फाउंडेशन के सीईओ मुरुगन वासुदेवन ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन के अनुसार, वेदीस फाउंडेशन अगले पांच वर्षों के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण आजीविका (आरएल) प्रभाग में एक पीएमयू स्थापित करेगा।
समझौता ज्ञापन राज्य की क्षमताओं को भी मजबूत करेगा, अभिनव मॉडल स्थापित करेगा और पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) और एसएचजी अभिसरण के लिए राष्ट्रीय रणनीति को लागू करेगा।
समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में प्रारंभिक फोकस में से एक एसआरएलएम की स्थिति पर एक वार्षिक रिपोर्ट है जिसमें विभिन्न एसआरएलएम का मूल्यांकन 'गवर्नेंस इंडेक्स' के आधार पर किए जाने की उम्मीद है।
वेदीस फाउंडेशन के बारे में
वेदिस फाउंडेशन ने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और मणिपुर के राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों (एसआरएलएम) में परियोजना प्रबंधन इकाइयों-पीएमयू की स्थापना की है।
यह भविष्य में राजस्थान में सरकार की शीर्ष स्तरीय प्राथमिकताओं का प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक 360-डिग्री दृष्टिकोण पर काम करेगा।
दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम)
इसे जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
इसका उद्देश्य देश में ग्रामीण गरीब परिवारों हेतु कौशल विकास और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर ग्रामीण गरीबी को कम करना है।
13,000 करोड़ रुपए से अधिक के वार्षिक बजट परिव्यय के साथ, इस कार्यक्रम में 723 जिलों के 7.15 लाख गांवों को शामिल किया गया है, और 8.6 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को इसके दायरे में लाया गया है।
5. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने केंद्रीय सूचना आयोग के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 9 नवंबर, 2022 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में केंद्रीय सूचना आयोग के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
केंद्रीय सूचना आयोग हर साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान एक वार्षिक सम्मेलन आयोजित करता है।
सम्मेलन का शीर्षक आजादी का अमृत महोत्सव : आरटीआई के माध्यम से नागरिक केंद्रित शासन है।
यह सम्मेलन आरटीआई शासन को व्यापक और गहन बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
सूचना के अधिकार का अर्थ है शासन और प्रशासन की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी जो अपरिहार्य हो जाती है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
यह अधिनियम सरकारी सूचना के लिए नागरिकों के प्रश्नों का समय पर जवाब देना अनिवार्य बनाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को रोकना तथा लोकतंत्र में लोगों के लिए कार्य करना है।
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC)
इसकी स्थापना सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2005 में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। यह संवैधानिक निकाय नहीं है।
इसमें एक मुख्य सूचना आयुक्त होता है और अधिकतम दस सूचना आयुक्त होते हैं।
आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर किया जाता है जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।
आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत किसी विषय पर प्राप्त शिकायतों के मामले में संबंधित व्यक्ति से पूछताछ करता है।
6. संजीव चोपड़ा ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया
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संजीव चोपड़ा ने 31 अक्टूबर 2022 से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया है। वह ओडिशा कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
संजीव चोपड़ा ने एफएमएस, दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम ऑनर्स और एमबीए पूरा किया। बाद में, उन्होंने उत्कल विश्वविद्यालय भुवनेश्वर से एलएलबी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से एमएससी पूरा किया।
उन्होंने बारीपदा (ओडिशा) में उप कलेक्टर के रूप में अपना करियर शुरू किया।
उन्होंने 1995 से 1997 तक ओडिशा के कोरापुट में जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया।
उन्होंने 1999-2000 के दौरान तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग में निदेशक/उप सचिव के रूप में कार्य किया।
उन्होंने 2000-2004 के दौरान राज्य सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया।
उन्होंने उद्योग, सामान्य प्रशासन, कृषि और गृह जैसे विभागों में सचिव के रूप में भी काम किया है।
उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 और 2021 में डिजिटल परिवर्तन के लिए सरकारी प्रक्रिया री-इंजीनियरिंग में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है।
7. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने एडवर्ड एम कैनेडी को 'फ्रेंड्स ऑफ लिबरेशन वॉर' सम्मान से नवाजा
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बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की मुक्ति में योगदान के लिए 31 अक्टूबर को ढाका में पूर्व अमेरिकी सीनेटर एडवर्ड एम कैनेडी को मरणोपरांत प्रतिष्ठित 'फ्रेंड्स ऑफ लिबरेशन वॉर' सम्मान से सम्मानित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह सम्मान उनके बेटे एडवर्ड एम टेड कैनेडी जूनियर को सौंपा गया।
प्रधान मंत्री शेख हसीना ने एडवर्ड कैनेडी सीनियर के योगदान को आभार के साथ याद किया।
उन्होंने कहा कि कैनेडी सीनियर ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अमेरिकी सरकार की भूमिका के बावजूद निर्दोष बंगाली लोगों पर पाकिस्तान द्वारा किए गए नरसंहार के खिलाफ एक साहसिक कदम उठाया।
उन्होंने कहा कि कैनेडी सीनियर ने युद्ध समाप्त होने तक पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक सहायता पर रोक लगाने के लिए कडी मेहनत की थी।
1971 का मुक्ति संग्राम
1950 के दशक में पाकिस्तान पर सैन्य-नौकरशाही का राज था जो पूरे देश (पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान) पर अलोकतांत्रिक तरीके से शासन कर रहे थे।
शासन की इस व्यवस्था में बंगालवासियों का कोई राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं था।
वर्ष 1970 के आम चुनावों के दौरान पश्चिमी पाकिस्तान के इस प्रभुत्व को बंगालवासियों द्वारा चुनौती दी गई।
वर्ष 1970 के आम चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के शेख मुज़ीबुर्र रहमान की अवामी लीग को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ।
पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान के किसी नेता को देश पर शासन करने के लिए तैयार नहीं था।
26 मार्च, 1971 को पश्चिम पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू की।
इसके परिणामस्वरूप लाखों बांग्लादेशियों को भारत में शरण लेनी पड़ी।
बांग्लादेश के स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाली 'मुक्तिवाहिनी सेना' एवं भारतीय सैनिकों की बहादुरी से पाकिस्तानी सेना को हार का सामना करना पड़ा।
6 दिसंबर, 1971 को भारत के हस्तक्षेप से 13 दिनों के युद्ध से एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ।
8. पहला ग्लोबल डिजिटल हेल्थ समिट, एक्सपो और इनोवेशन अवार्ड नई दिल्ली में आयोजित
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पहली बार दो दिवसीय (28 और 29 अक्टूबर 2022) ग्लोबल डिजिटल हेल्थ समिट, एक्सपो और इनोवेशन अवार्ड्स नई दिल्ली में आयोजित किए जा रहे हैं।
शिखर सम्मेलन का आयोजन दुनिया के अग्रणी डिजिटल स्वास्थ्य संघों के सहयोग से किया गया है; ग्लोबल हेल्थ कनेक्टर पार्टनरशिप, द इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर टेलीमेडिसिन एंड हेल्थ, स्विटज़रलैंड, और और संयुक्त राष्ट्र की, इंटरनेट गवर्नेंस फोरम- डिजिटल स्वास्थ्य पर गतिशील गठबंधन।
ग्लोबल डिजिटल हेल्थ समिट, एक्सपो और इनोवेशन अवार्ड्स की थीम: सभी के लिए डिजिटल हेल्थ
डिजिटल हेल्थ क्या है?
डिजिटल स्वास्थ्य का तात्पर्य बीमारियों और स्वास्थ्य जोखिमों के प्रबंधन और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा और अन्य स्वास्थ्य व्यवसायों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग से है।
डिजिटल स्वास्थ्य का व्यापक दायरा है और इसमें पहनने योग्य उपकरणों, मोबाइल स्वास्थ्य, टेलीहेल्थ, स्वास्थ्य सूचना प्रौद्योगिकी और टेलीमेडिसिन का उपयोग शामिल है।
9. वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट 2022 के अनुसार 41.5 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले
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चौथे वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2005-06 और 2019-20 के बीच 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी से सफलतापूर्वक बाहर निकाला है।रिपोर्ट संयुक्त रूप से यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा जारी की जाती है। पहली रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी और इसे सालाना जारी किया जाता है।
रिपोर्ट अपने बहुआयामी गरीबी सूचकांक में दुनिया के 111 विकासशील देशों को रैंक करती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
दुनिया में गरीबी
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 1.2 अरब लोग बहुआयामी गरीब हैं।
गरीब लोगों की संख्या सबसे अधिक उप सहारा अफ्रीका (579 मिलियन) में है, इसके बाद दक्षिण एशिया (385 मिलियन) का स्थान है। दोनों क्षेत्रों में कुल मिलाकर 83% गरीब लोग रहते हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब भारत में
- भारत के 2020 के जनसंख्या आंकड़ों को आधार मान कर , रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा गरीब भारत (228.9 मिलियन) में हैं और इसके बाद नाइजीरिया (2020 में अनुमानित 96.7 मिलियन) हैं।
- भारत में "लगभग 4.2 प्रतिशत आबादी गंभीर गरीबी में रहती है (मतलब उनका अभाव स्कोर 50 प्रतिशत या उससे अधिक है)।
आयु वर्ग में सबसे गरीब, बच्चे
- आयु वर्ग में अभी भी वयस्कों की तुलना में ज्यादा गरीबी बच्चों में पाया जाता है ।
- पांच में से एक (21.8 प्रतिशत) बच्चे गरीब हैं, जबकि सात वयस्कों में से एक (13.9 प्रतिशत) व्यस्क गरीब हैं ।
- भारत में करीब 9.7 करोड़ गरीब बच्चे हैं।
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा गरीब
- शहरी क्षेत्रों में 5.5 प्रतिशत की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों का प्रतिशत 21.2 है।
- देश में कुल गरीबो में से में लगभग 90 प्रतिशत गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
- संख्या के हिसाब से भारत में पायेजाने वाले लगभग 229 मिलियन गरीब लोगों में से 205 मिलियन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
महिला प्रधान परिवारों में गरीबी अधिक
- महिला प्रधान परिवारों में रहने वाले लगभग 19.7 प्रतिशत लोग गरीबी में रहते हैं जबकि पुरुष प्रधान परिवारों में 15.9 प्रतिशत लोग गरीबी में रहते हैं।
राज्यों का प्रदर्शन
- इस बार , 2015/16 की 10 सबसे गरीब राज्यों की सूची से केवल पश्चिम बंगाल बाहर ही बाहर निकल पाया ।
- इस सूची में भारत के अन्य 9 सबसे गरीब राज्य बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे तेजी से गरीबी में कमी गोवा में हुई, इसके बाद जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का स्थान रहा।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है
- बहुआयामी गरीबी मूल्यांकन का उद्देश्य गरीबी के गैर-आय आधारित आयामों को मापना, गरीबी और अभाव की सीमा का अधिक व्यापक मूल्यांकन प्रदान करना है।
- सूचकांक तीन आयामों और 10 संकेतकों के सहारे एक व्यक्ति के अभाव को मापता है: स्वास्थ्य (बाल मृत्यु दर, पोषण), शिक्षा (स्कूली शिक्षा के वर्ष, नामांकन), और जीवन स्तर (पानी, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति)।
- यह पहले यह पहचान करता है कि इन 10 में से प्रत्येक परिवार को कौन-सी वंचितता का अनुभव होता है, फिर उन परिवारों की पहचान गरीब के रूप में की जाती है यदि वे एक-तिहाई या अधिक भारित संकेतकों से वंचित हैं।
सूचकांक निम्नलिखित संकेतकों पर अभाव को दर्शाता है:
- वयस्क (70 वर्ष से कम) या बच्चे का कुपोषित होना
- पिछले 5 वर्षों में परिवार के भीतर किसी भी बच्चे की मृत्यु (18 वर्ष से कम आयु)
- 6 वर्ष से अधिक आयु के परिवार के किसी भी सदस्य ने स्कूली शिक्षा के कम से कम छह वर्ष पूरे नहीं किए हैं
- बाधित या कम समय के लिए की गई स्कूली शिक्षा (न्यूनतम वर्ष 1-8)
- परिवार का कोई भी बच्चा जो उस उम्र तक स्कूल नहीं जा रहा है जिस उम्र में उसने कक्षा आठ की पढ़ाई पूरी कर ली होगी
- सुरक्षित पेयजल तक पहुंच का अभाव
- बुनियादी स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच का अभाव
- स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच का अभाव
- विश्वसनीय बिजली तक पहुंच का अभाव
- बुनियादी आधुनिक संपत्तियों (रेडियो, टीवी, टेलीफोन, कंप्यूटर, बाइक, मोटरबाइक, आदि) का अभाव।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी)
इसकी स्थापना 22 नवंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
यह देशों को इन मुद्दों पर अपने स्वयं के समाधान विकसित करने में मदद करता है;
- सतत विकास
- लोकतांत्रिक शासन और शांति निर्माण, और
- जलवायु और आपदा लचीलापन।
मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका
रिपोर्ट
- यह हर साल मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
- यह ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव के साथ बहुआयामी गरीबी सूचकांक भी प्रकाशित करता है।
10. 2025 तक 1,800 बांग्लादेशी सिविल सेवकों को एनसीजीजी में प्रशिक्षित किया जाएगा
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बांग्लादेश के सिविल सेवकों के लिए 53 वें क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन 11 अक्टूबर 2022 को राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) मसूरी, उत्तराखंड में में किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
इसके अंतर्गत 2025 तक 1,800 बांग्लादेशी सिविल सेवकों को क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत भारत द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
2019 से पहले, बांग्लादेश के 1500 सिविल सेवकों को NCGG में प्रशिक्षण दिया गया है।
यह देश का एकमात्र संस्थान है जिसने बांग्लादेश सिविल सेवा के लगभग 1,700 क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है जिसमें सहायक आयुक्त, एसडीएम और अतिरिक्त उपायुक्त आदि शामिल हैं।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) के बारे में
इसकी स्थापना 2014 में भारत सरकार द्वारा देश में एक शीर्ष संस्थान के रूप में की गई थी।
यह सुशासन, नीति सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है, और एक थिंक टैंक के रूप में भी काम करता है।
यह कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक शासी निकाय द्वारा शासित होता है।
इसके अन्य सदस्यों में भारत सरकार के विभिन्न विभागों के सचिव शामिल हैं।
इसने विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में कई देशों के सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण का कार्य हाथ में लिया है।
इसने बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया जैसे 15 देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण दिया है।
यह अध्ययन, प्रशिक्षण, ज्ञान साझा करने और अच्छे विचारों को बढ़ावा देने के माध्यम से शासन सुधारों को शुरू करने में सहायता करता है।