1. मधुमक्खियों के लिए दुनिया का पहला टीका संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा उपयोग के लिए स्वीकृत
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अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने दुनिया के पहले कीट टीके को मंजूरी दे दी है, जिसे मधुमक्खियों को एक विनाशकारी जीवाणु रोग से बचाने के लिए विकसित किया गया है।
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अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अमेरिकन फुलब्रूड नामक बीमारी को लक्षित करने के लिए एक टीका विकसित किया है।
यह रोग पैनीबैसिलस लार्वा बैक्टीरिया के कारण होता है और एक बार यह मधुमक्खी की आबादी में पहुँचने के बाद कॉलोनी को पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखता है।
हेलसिंकी विश्वविद्यालय के दलियल फ्रीटक और उनके सहयोगियों ने एक महत्वपूर्ण अंडे की जर्दी प्रोटीन की खोज की जिसे विटेलोजेनिन कहा जाता है।
इस मूलभूत खोज ने एक नए प्रकार के कीट टीके के लिए आधार तैयार किया, और टीम का पहला लक्ष्य मधुमक्खियाँ थीं।
वैक्सीन की प्रभावशीलता
वैक्सीन निष्क्रिय जीवाणु कोशिकाओं को विटेलोजेनिन प्रोटीन से बांधकर काम करता है ताकि जब रानी मधुमक्खी द्वारा इसका सेवन किया जाए तो इसे सीधे उसके लार्वा में स्थानांतरित किया जा सके।
यह वैक्सीन रानी मधुमक्खियों को रॉयल जेली के रूप में दिया जाता है। वह इसे निगलती है, और टीके के टुकड़े उसके अंडाशय में जमा हो जाते हैं।
वैक्सीन के संपर्क में आने के बाद, विकासशील लार्वा में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है।
एक सफल क्लिनिकल परीक्षण ने प्रदर्शित किया कि टीका सुरक्षित और प्रभावी दोनों है।
एक टीकाकृत रानी मधुमक्खी से होने वाली संतानों में जीवाणु से होने वाली बीमारी की चपेट में आने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
2. भारत में निर्मित टीवी के लिए नए बीआईएस विनिर्देश
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भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने अपनी तकनीकी समिति के माध्यम से बिल्ट-इन सैटेलाइट ट्यूनर वाले टेलीविजन के लिए एक भारतीय मानक विनिर्देश प्रकाशित किया है। BIS ने इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में तीन महत्वपूर्ण भारतीय मानक प्रकाशित किए हैं।
पहला मानक
इस भारतीय मानक के अनुसार निर्मित टीवी भवन की छत के ऊपर/किनारे की दीवार पर एक उपयुक्त स्थान पर लगे एलएनबी के साथ एक डिश एंटीना को जोड़कर फ्री-टू-एयर टीवी और रेडियो चैनलों का स्वागत करने में सक्षम होंगे।
इससे सरकारी पहलों, योजनाओं, दूरदर्शन की शैक्षिक सामग्री और भारतीय संस्कृति कार्यक्रमों का देश में प्रसार मिलेगा और देश में बड़े पैमाने पर आबादी तक पहुंचने और लाभान्वित करने में सुविधा होगी।
वर्तमान में, देश में टेलीविजन (टीवी) के दर्शकों को विभिन्न पेड और फ्री चैनल देखने के लिए सेट-टॉप बॉक्स खरीदने की आवश्यकता होती है।
दर्शकों को दूरदर्शन द्वारा प्रसारित फ्री टू एयर चैनलों (गैर-एन्क्रिप्टेड) के लिए भी सेट टॉप बॉक्स का उपयोग करना आवश्यक है।
अब दूरदर्शन चरणबद्ध तरीके से एनालॉग प्रसारण को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।
दूरदर्शन द्वारा डिजिटल सैटलाइट प्रसारण का उपयोग करते हुए फ्री टू एयर चैनलों का प्रसारण जारी रहेगा।
दूसरा मानक
दूसरा मानक यूएसबी टाइप सी रिसेप्टेकल्स, प्लग और केबल के लिए भारतीय मानक है।
इसमें मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय मानक IEC 62680-1- 3:2022 को अपनाया जा रहा है।
यह मानक विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, नोटबुक आदि में उपयोग के लिए यूएसबी टाइप-सी पोर्ट, प्लग और केबल के लिए आवश्यकताएं प्रदान करता है।
यह मानक देश में बिकने वाले स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सामान्य चार्जिंग समाधान प्रदान करेगा।
तीसरा मानक
तीसरा मानक वीडियो निगरानी प्रणाली के लिए भारतीय मानक है।
भारतीय मानक ब्यूरो ने अलार्म और इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा प्रणालियों पर अपनी तकनीकी समिति के माध्यम से सुरक्षा अनुप्रयोगों में उपयोग के लिए वीडियो निगरानी प्रणालियों पर भारतीय मानक (IS 16910) की एक श्रृंखला विकसित की है।
IS 16910 श्रृंखला मानक अंतर्राष्ट्रीय मानक IEC 62676 श्रृंखला का अंगीकरण है।
वीडियो सर्विलांस सिस्टम (वीएसएस) एक आवश्यक सुरक्षा घटक है जिसका उपयोग लगभग हर जगह किसी भी अवांछित गतिविधि को पकड़ने के लिए किया जाता है।
भारतीय मानक ब्यूरो के बारे में
भारतीय मानक ब्यूरो उपभोक्ता मामलों के विभाग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है।
मुख्यालय– मानक भवन, पुरानी दिल्ली
महानिदेशक– प्रमोद कुमार तिवारी
स्थापित– 23 दिसंबर 1986
3. स्कॉटलैंड में बनाया जाएगा ब्रिटिश भारतीय सेना का नया स्मारक
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दो विश्व युद्धों के दौरान अंग्रेजों के साथ लड़ने वाले लाखों भारतीय सैनिकों के बलिदान की याद में एक नया ब्रिटिश भारतीय सेना स्मारक, स्कॉटिश शहर ग्लासगो में बनाए जाने की मंजूरी दी गई है।
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स्कॉटलैंड, ग्लासगो की स्थानीय काउंसिल ने मेमोरियल बनाने की योजना को मंजूरी दे दी है। ग्लासो सिटी काउंसिल अब मेमोरियल बनाने की अंतिम तैयारी कर रहा है।
यह वॉर मेमोरियल केलविनग्रोव नाम की एक आर्ट गैलरी और म्युजियम के पास बनेगा।
मेमोरियल को बनाने वाली संस्था कलरफुल हेरिटेज के अनुसार इस मेमोरियल के जरिए भारत की विविधता को भी दर्शाया जा सकेगा। इसलिए इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों के सभी सैनिकों के योगदान की जानकारी दी जाएगी।
मेमोरियल में उन सिख और मुस्लिम सैनिकों का योगदान विशेष रूप से दिखाया जाएगा जो दूसरे विश्वयुद्ध में भाग लिये थे।
4. भारत ने अर्जेंटीना में दो लिथियम और एक तांबे की खान की पहचान की
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हाल ही में भारत ने दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के अर्जेंटीना में दो लिथियम की खानें और एक तांबे की खान की खोज किया है।
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केंद्र ने लैटिन अमेरिकी राष्ट्र में "संभावित लिथियम डिपोजिट का आकलन करने" के लिए पिछले साल नवंबर में तीन भूवैज्ञानिकों की एक टीम भेजी थी।
टीम में मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (MECL), KABIL (खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के एक-एक भूविज्ञानी शामिल थे।
KABIL, नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (नाल्को), हिंदुस्तान कॉपर (एचसीएल) और एमईसीएल की भागीदारी के माध्यम से स्थापित एक संयुक्त उद्यम है, जिसका उद्देश्य घरेलू बाजार में महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
भारत द्वारा अन्य देशों में खनिज पदार्थों की खोज के लिए ‘खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड’ का निर्माण अगस्त 2019 में किया; जिसने हाल ही में अर्जेंटीना की एक फर्म के साथ लीथियम जैसे खनिजों की खोज के लिए एक समझौता किया।
लीथियम का उपयोग रीचार्जेबल बैटरियों में किया जाता है। ये बैटरियां इलेक्ट्रिक व्हीकल, लैपटॉप और मोबाइल फोन आदि को पावर देने हेतु उपयोग किया जाता है।
खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड
इसे तीन सरकारी कंपनियों NALCO, हिंदुस्तान कॉपर और मिनरल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड ने मिलकर बनाया है, जिसके जरिए लीथियम और कोबाल्ट जैसे खनिजों को विदेशों से खरीदा जा सके।
विश्व में लिथियम का उत्पादन एवं भण्डारण
वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया वैश्विक स्तर पर शीर्ष लिथियम उत्पादक देश है। जबकि अर्जेंटीना विश्व का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
अर्जेंटीना, चिली और बोलिबिया के साथ मिलकर ‘लिथियम त्रिकोण’ का निर्माण करता है।
विश्व में लिथियम त्रिकोण के आलावा अमेरिका और चीन भी इसका एक बड़ा उत्पादक देश है।
वर्तमान में भारत इन खनिजों के लिए आयात पर निर्भर है।
5. स्विस पर्यटकों को लेकर लग्जरी क्रूज गंगा विलास यूपी के गाजीपुर पहुंचा
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स्विस पर्यटकों को लेकर लग्जरी क्रूज गंगा विलास 7 जनवरी को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर पहुंचा।
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पर्यटकों ने लार्ड कार्नवालिस की समाधि सहित गाजीपुर के प्रसिद्ध स्थलों का भ्रमण किया। क्रूज 8 जनवरी को वाराणसी पहुंचा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जनवरी को दुनिया के सबसे लंबे रिवर क्रूज गंगा विलास को हरी झंडी दिखाएंगे।
क्रूज उत्तर प्रदेश के वाराणसी से शुरू होगा और असम के डिब्रूगढ़ में समाप्त होगा।
यात्रा 50 दिनों में 3,200 किमी की दूरी तय करेगी और भारत और बांग्लादेश में 27 नदी प्रणालियों से होकर गुजरेगी।
यह क्रूज सुंदरवन डेल्टा और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान सहित राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों से भी गुजरेगा।
दुनिया की सबसे लंबी नदी क्रूज गंगा विलास
गंगा विलास पोत की लंबाई 62 मीटर और चौड़ाई 12 मीटर है।
इसमें तीन डेक हैं, 36 पर्यटकों की क्षमता वाले बोर्ड पर 18 सुइट हैं, जिसमें पर्यटकों के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं।
यह प्रदूषण मुक्त तंत्र और शोर नियंत्रण तकनीकों से लैस है।
ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थानों पर पड़ाव के साथ भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए गंगा विलास के यात्रा कार्यक्रम को शुरू किया गया है।
गंगा विलास क्रूज अपनी तरह की पहली क्रूज सेवा है।
नौवहन, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्रालय के तहत अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के समर्थन से, इस सेवा को अन्य हिस्सों में सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
वैश्विक नदी क्रूज बाजार
वैश्विक नदी क्रूज बाजार पिछले कुछ वर्षों में ~5% की दर से बढ़ा है और 2027 तक इसका बाजार ~37% तक होने की उम्मीद है।
यूरोप दुनिया में नदी क्रूज जहाजों के लगभग 60% हिस्से के साथ सबसे तेजी से विकास कर रहा है।
भारत में, कोलकाता और वाराणसी के बीच 8 नदी क्रूज जहाजों का संचालन होता है, जबकि राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (ब्रह्मपुत्र) पर क्रूज का आवागमन भी संचालित होता है।
NW2 पर 10 यात्री टर्मिनलों का निर्माण चल रहा है जो रिवर क्रूज़ की संभावना को और बढ़ा देगा।
6. जापान को पीछे छोड़कर भारत विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार बना
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निक्केई एशिया के नवीनतम उद्योग आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए पहली बार तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार बन गया है।
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प्रारंभिक परिणामों के आधार पर, भारत की नई वाहन बिक्री कम से कम 4.25 मिलियन यूनिट थी, जो जापान में बेची गई 4.2 मिलियन यूनिट से आगे थी।
भारत में जनवरी से नवंबर 2022 के बीच कुल 41.3 लाख नए वाहनों की डिलीवरी हुई।
दिसंबर 2022 में बिक्री की मात्रा कुल मिलाकर लगभग 4.25 मिलियन यूनिट हो गई।
वाणिज्यिक वाहनों के लिए चौथी तिमाही के लंबित बिक्री आंकड़ों को शामिल करने के साथ भारत की बिक्री की मात्रा में और वृद्धि होने की उम्मीद है।
पिछले साल भारत में बेचे गए अधिकांश नए ऑटो में हाइब्रिड वाहनों सहित गैसोलीन द्वारा संचालित वाहन शामिल थे।
मारुति सुजुकी के साथ, टाटा मोटर्स और अन्य भारतीय वाहन निर्माताओं द्वारा पिछले वर्ष के दौरान बिक्री में वृद्धि देखी गई है।
ब्रिटिश शोध फर्म यूरोमॉनिटर के अनुसार, 2021 में केवल 8.5 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास एक यात्री वाहन था, जिसका अर्थ है कि बिक्री में वृद्धि की काफी संभावना है।
जापान ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन और जापान लाइट मोटर व्हीकल एंड मोटरसाइकिल एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, जापान में पिछले साल 4,201,321 वाहन बेचे गए, जो 2021 से 5.6 प्रतिशत कम है।
दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो बाजार
2021 में, चीन ने 26.27 मिलियन वाहनों की बिक्री के साथ वैश्विक ऑटो बाजार में शीर्ष पर था।
15.4 मिलियन वाहनों की बिक्री के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर रहा, उसके बाद जापान 4.44 मिलियन यूनिट्स के साथ रहा।
निक्केई एशिया के अनुसार, चीन 2006 में जापान से आगे बढ़कर दूसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार बन गया।
2009 में, चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो बाजार बनने के लिए अमेरिका को पीछे छोड़ दिया।
7. केविन मैक्कार्थी अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के नए अध्यक्ष चुने गए
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रिपब्लिकन नेता केविन मैक्कार्थी को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
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वह सदन में हाउस माइनॉरिटी लीडर के रूप में काम कर रहे थे।
अमेरिकी संसद ने 15 दौर की वोटिंग के बाद रिपब्लिकन पार्टी के केविन मैक्कार्थी को प्रतिनिधि सभा के स्पीकर चुन लिया गया। मैक्कार्थी अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के 55वें स्पीकर हैं।
57 वर्षीय केविन मैक्कार्थी ने प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक पार्टी की 82 साल की नेता नैंसी पेलोसी की जगह ली है।
8 नवंबर को हुए मध्यावधि चुनाव के बाद 435 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों की संख्या 222 हो गई है।
इसके साथ ही प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रपति जो बाइडेन के डेमोक्रेटिक पार्टी अल्पमत में आ गई है।
केविन मैक्कार्थी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तथा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बाद अमेरिका के तीसरे सबसे वरिष्ठ पद पर आसीन हो गए हैं।
केविन मैकार्थी के बारे में
केविन मैक्कार्थी रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य हैं।
उन्हें 2019 से 2023 तक के लिए हाउस माइनॉरिटी लीडर के रूप में चुना गया था।
इससे पहले वे 2014 से 2019 तक स्पीकर जॉन बोहेनर और पॉल रयान के कार्यकाल में हाउस मेजॉरिटी लीडर के रूप में कार्य कर चुके हैं।
मैक्कार्थी 9 बार अमेरिकी संसद सदस्य के रूप में चुने जा चुके हैं। उनका का जन्म कैलिफोर्निया के बेकर्सफील्ड में हुआ था।
8. आरबीआई 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में ग्रीन बांड जारी करेगा
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने 6 जनवरी को कहा कि पहला सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGrB) 25 जनवरी और 9 फरवरी को 8,000 करोड़ रुपये के दो किश्तों में जारी किया जाएगा।
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केंद्र सरकार इन सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड को अपने कुल बाजार उधार के हिस्से के रूप में जारी कर रही है। ये बांड हरित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए जारी किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2022 को सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की रूपरेखा जारी की थी।
25 जनवरी 2023 को 8000 करोड़ रुपए के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे। इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे।
इसके अलावा 9 फरवरी 2023 को अगली किस्त के तौर पर 8000 करोड़ के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे। जिसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे।
सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड क्या हैं?
ये ऐसे बॉन्ड होते हैं जिनका उपयोग सरकार ऐसी वित्तीय परियोजनाओं में करती है जिसका पर्यावरण पर एक सकारात्मक असर पड़ता है।
ग्रीन बॉन्ड को यूरोपीय निवेश बैंक और वर्ल्ड बैंक ने 2007 में लॉन्च किया था।
ग्रीन बॉन्ड एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो ग्रीन परियोजनाओं के लिए धनराशि जुटाने में मदद करता है।
इन बॉन्ड्स से प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक क्षेत्र के उन परियोजनाओं में लगाया जाएगा जिससे कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद मिलती हो।
ये बॉन्ड 9 व्यापक श्रेणियों में होते हैं। इनमें से कुछ अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा कुशलता, स्वच्छ परिवहन, ग्रीन बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स है।
सरकार का लक्ष्य इन बॉन्ड्स के जरिए विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का है।
एसेट लिंक होने की वजह से सरकार को इन बॉन्ड्स के जरिए पैसा जुटाना आसान हो जाता है।
9. वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी करेगा भारत
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भारत 12 और 13 जनवरी 2023 को 'वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट' नामक एक विशेष आभासी शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
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शिखर सम्मेलन का विषय 'आवाज की एकता, उद्देश्य की एकता' है।
शिखर सम्मेलन में दक्षिण के देशों को एक साथ लाने और विभिन्न मुद्दों पर उनके दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने की परिकल्पना की गई है।
इस समिट के लिए 120 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है।
यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास और भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत से प्रेरित है।
यह शिखर सम्मेलन विकासशील देशों को प्रभावित करने वाली चिंताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करने का भारत का प्रयास है।
भारत यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ विचार-विमर्श में भागीदार देशों से उत्पन्न मूल्यवान जानकारी को विश्व स्तर पर उचित संज्ञान प्राप्त हो।
10. अर्जुन राम मेघवाल ने दिल्ली के इंडिया गेट पर एस्ट्रो टूरिज्म - ए स्काई गेजिंग इवेंट का उद्घाटन किया
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नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम (NCSM) ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के सहयोग से 6 जनवरी को दिल्ली के इंडिया गेट पर एस्ट्रो टूरिज्म- ए स्काई गेजिंग इवेंट का आयोजन किया।
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इस कार्यक्रम का उद्घाटन संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया।
कार्यक्रम लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच विकसित करने में मदद करेगा जो हमारे संविधान के अनुसार एक मौलिक कर्तव्य है।
एस्ट्रो टूरिज्म इवेंट में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं -विशेषज्ञ खगोलविदों द्वारा एस्ट्रो वार्ता, खगोल विज्ञान पर प्रदर्शनी, आकाशीय पिंडों से संबंधित कहानी, चंद्रमा के क्रेटर्स को देखने के लिए टेलीस्कोप का उपयोग करने का अनुभव, खगोल विज्ञान से संबंधित गतिविधियां, फोटोग्राफिक पैनल प्रदर्शनी, एस्ट्रो-फोटोग्राफी।
यह 3 दिवसीय कार्यक्रम सभी आयु वर्ग के बच्चों के लिए सीखने का एक शानदार अनुभव है, क्योंकि यह संवादात्मक और व्यावहारिक है और विज्ञान को लोकप्रिय तरीके से प्रस्तुत करने का सबसे अच्छा तरीका है।
नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम (NCSM)
यह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त सोसाइटी है और इसका गठन 4 अप्रैल, 1978 को हुआ था।
यह पूरे भारत में फैले 25 विज्ञान केंद्रों/संग्रहालयों का संचालन करता है।
साइंस सिटी, कोलकाता, बिड़ला इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम, कोलकाता, नेहरू साइंस सेंटर, मुंबई, विश्वेश्वरैया इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम, बैंगलोर और नेशनल साइंस सेंटर, दिल्ली NCSM के राष्ट्रीय स्तर के केंद्र हैं।
मुख्यालय - कोलकाता, पश्चिम बंगाल