1. स्वास्थ्य और पंचायती राज मंत्रालय ने भारत में टीबी को खत्म करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय ने भारत में टीबी को खत्म करने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
समझौता ज्ञापन पर पंचायती राज मंत्रालय की ओर से आर्थिक सलाहकार डॉ. बिजय कुमार बेहरा और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से संयुक्त सचिव डॉ. पी अशोक बाबू ने हस्ताक्षर किए।
यह समझौता ज्ञापन 2025 तक भारत में टीबी को खत्म करने के प्रधान मंत्री के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से अंतर-मंत्रालयी सहयोग और रणनीतिक साझेदारी बनाएगा।
इस समझौता ज्ञापन से तपेदिक से जुड़े कलंक और भेदभाव को समाप्त करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरूकता पैदा करने के लिए जमीनी स्तर पर समन्वित प्रयासों का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।
यह समझौता ज्ञापन टीबी मुक्त भारत अभियान के उद्देश्य और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
क्षय रोग (टीबी) क्या है?
यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है।
बैक्टीरिया आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करते हैं, लेकिन टीबी के बैक्टीरिया शरीर के किसी भी हिस्से जैसे किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क पर हमला कर सकते हैं।
एचआईवी के उद्भव के कारण 1985 में क्षय रोग के संक्रमण बढ़ने लगे।
एचआईवी एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, इसलिए यह टीबी के कीटाणुओं से नहीं लड़ सकता है।
प्रसार
इसके बैक्टीरिया हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
जब फेफड़े की टीबी से पीड़ित लोग खांसते, छींकते या थूकते हैं, तो वे टीबी के कीटाणुओं को हवा में फैला देते हैं।
टीबी के लक्षण
तीन या अधिक सप्ताह से खाँसी आना
खांसी के साथ बलगम से खून आना
सीने में दर्द, या सांस लेने या खांसने के साथ दर्द
वजन कम होना, थकान, बुखार और रात को पसीना आना आदि।
टीबी से निपटने के लिए सरकार की पहल
क्षय रोग उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) (2017-2025)
निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई- वित्तीय सहायता)
टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम
भारत सरकार का लक्ष्य 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना है।
संयुक्त राष्ट्र एसडीजी लक्ष्य 3.3 के तहत 2030 तक टीबी महामारी को समाप्त करना।
हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।
टीबी का बोझ
हर साल एक करोड़ लोग टीबी से बीमार पड़ते हैं और हर साल 15 लाख लोग टीबी से मरते हैं।
टीबी से पीड़ित सभी लोगों में से लगभग आधे लोग 8 देशों- बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं।
यह दुनिया भर में मौतों के शीर्ष 10 प्रमुख कारणों में से एक है।
भारत में दुनिया के 30 प्रतिशत टीबी के मामले हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है, इसके बाद इंडोनेशिया और चीन का नंबर आता है।
2. शिंजो आबे की मृत्यु पर 9 जुलाई को देशभर में राजकीय शोक
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सरकार ने जापान के पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे के सम्मान में देश भर में 9 जुलाई को एक दिवसीय राजकीय शोक मनाने का निर्णय लिया है। 8 जुलाई को उनका निधन हो गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और उनके प्रति गहरे सम्मान के प्रतीक के रूप में देश में 9 जुलाई को एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।
शोक के दिन उन सभी भवनों पर जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है, राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.
2021 में पद्म विभूषण से सम्मानित
भारत सरकार ने जनवरी 2021 में शिंजो आबे को भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
भारत और जापान के बेहतर संबंधों में आबे की अहम भूमिका मानी जाती है।
जापान के पीएम रहते हुए सबसे ज्यादा बार भारत दौरा
प्रधानमंत्री रहते हुए शिंजो आबे सबसे अधिक तीन बार भारत के दौरे पर आए थे।
वह जनवरी 2014, दिसंबर 2015 और सितंबर 2017 में भारत के आधिकारिक दौरे पर आए थे।
जापान के किसी अन्य प्रधान मंत्री ने भारत की इतनी यात्राएं नहीं की हैं।
वह 2014 में गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनने वाले पहले जापानी प्रधानमंत्री थे।
शिंजो आबे के कार्यकाल में भारत-जापान रिश्ते
2001 में "जापान और भारत के बीच वैश्विक साझेदारी" की नींव रखी गई थी, और 2005 में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन पर सहमति हुई थी, आबे ने 2012 से भारत के साथ संबंधों की गति को तेज किया।
अगस्त 2007 में, प्रधान मंत्री के रूप में पहली बार अपनी भारत यात्रा के दौरान, उन्होंने प्रसिद्ध "दो समुद्रों का संगम" भाषण दिया जिसने हिंद-प्रशांत की अवधारणा की नींव रखी।
सितंबर 2014 में, मोदी और आबे द्विपक्षीय संबंधों को "विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी" में अपग्रेड करने पर सहमत हुए।
अबे के कार्यकाल में दोनों देशों ने विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक (2+2) करने का फैसला किया।
नवंबर 2019 में, पहला 2+2 बैठक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।
2015 में रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए थे।
उनके कार्यकाल के दौरान भारत और जापान हिंद-प्रशांत में करीब आए।
आबे ने क्वाड का कॉन्सेप्ट 2007 में दिया था और इसका गठन हुआ था।
क्वाड चार देशों का एक राजनयिक नेटवर्क है जो एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है जो समावेशी और लचीला है।
2015 में आबे की यात्रा के दौरान, भारत ने बुलेट ट्रेन शुरू करने का फैसला किया।
आबे के नेतृत्व में, भारत और जापान ने एक्ट ईस्ट फोरम का गठन किया और यह पूर्वोत्तर भारत में विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।
कृपया 8 जुलाई 2022 की पोस्ट भी देखें
3. एनएमए ने अम्बेडकर से जुड़े दो स्थलों को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में घोषित करने की सिफारिश की
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राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने 9 जुलाई को गुजरात और महाराष्ट्र में बी आर अंबेडकर से जुड़े दो स्थलों को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में घोषित करने की सिफारिश की है।
इन सिफारिशों को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण द्वारा संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के समक्ष रखा गया है।
दो स्थलों के नाम
संकल्प भूमि बरगद का पेड़ परिसर
यह वडोदरा, गुजरात में स्थित है, जहां डॉ. अम्बेडकर ने 23 सितंबर, 1917 को अस्पृश्यता उन्मूलन का संकल्प लिया था।
यह स्थल सौ साल से अधिक पुरानी है और अंबेडकर द्वारा शुरू की गई सामाजिक सम्मान क्रांति की शुरुआत का गवाह है, जिसे भारत के संविधान के निर्माता के रूप में माना जाता है।
2. प्रताप राव भोसले हाई स्कूल, सतारा, महाराष्ट्र
डॉ अम्बेडकर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्रताप राव भोसले हाई स्कूल में प्राप्त की।
यह स्कूल सतारा जिला परिषद के अधीन है और वर्तमान में स्कूल की हालत ख़राब है।
स्कूल के रजिस्टर में अभी भी मराठी में एक छात्र भीम राव के हस्ताक्षर दिखाई देते हैं।
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए)
स्थापित - 2010 में
मंत्रालय - केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय
प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (संशोधन और मान्यता) अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित
रचना - एक अध्यक्ष और अधिकतम 5 पूर्णकालिक और 5 अंशकालिक सदस्य और एक सदस्य सचिव
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक इसके पदेन सदस्य हैं।
मुख्यालय - नई दिल्ली
4. पूर्व नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत नए जी -20 शेरपा बनाए गए
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नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत को G20 संगठन के लिए भारत ने अपना शेरपा नियुक्त किया गया हैI
महत्वपूर्ण तथ्य
अभी तक वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल जी-20 के लिए भारत के शेरपा थे I
पूर्णकालिक जी -20 शेरपा की नियुक्ति का प्रमुख कारण इस साल के आखिर में भारत का जी-20 की अध्यक्षता करना है।
शेरपा एक तरह से इस आयोजन को लेकर देश के भीतर सारी एजेंसियो और विदेशी एजेंसियो के बीच समन्वय बनाने का मुख्य काम करता हैI
जी -20 की बैठक हाल के दशकों में भारत में होने वाला सबसे बड़ा आयोजन है जिसमे दुनिया के सबसे सम्पन्न 20 देशों के राष्ट्र प्रमुखों के साथ उनके विदेश मंत्रियों ,वित्त मंत्रियों , दूसरे अधिकारियों की बैठक अलग अलग समय पर आयोजित की जाएगी I
वर्ष 2022 के लिए जी -20 की बैठक नवंबर 2022 में बाली (इंडोनेशिया) में होने वाली है I
भारत को संगठन की अध्यक्षता 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक के लिए सौपी जाएगी I
शेरपा कौन होता है?
जी -20 और जी -8 जैसे अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मलेन में किसी देश की ओर से शामिल होने बाले व्यक्तिगत प्रतिनिधि को शेरपा कहा जाता है I
शेरपा सदस्य देशो के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर आर्थिक, राजनैतिक और वैश्विक एजेंडे पर बात करते हैI
शेरपा को नेपाल में प्रचलित शब्द शेरपा से लिया गया हैI शेरपा नेपाल में पर्वतारोहियों के लिए गाइड का काम करते हैI इसीतरह से अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में शेरपा गाइड का काम करते हैI
इनकी नियुक्ति सम्बंधित देश की सरकार करती है I इस पद पर राजनयिक ,राजनैतिक या प्रशासनिक अनुभव रखने वाले अधिकारी या या वरिष्ठ नेता को नियुक्त किया जा सकता है I
सुरेश प्रभु ,अरविन्द पनगढ़िया ,शक्तिकांत दास ,मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी भारत की तरफ से शेरपा रह चुके है I
5. ओपेक प्रमुख मोहम्मद बरकिंडो का नाइजीरिया में 63 साल की उम्र में निधन
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पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के महासचिव मोहम्मद बरकिंडो का 63 वर्ष की आयु में नाइजीरिया में निधन हो गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
बरकिंडो ऊर्जा सम्मेलन में भाग लेने के लिए अपने गृह देश नाइजीरिया के दौरे पर थे जहाँ उनका निधन हुआ।
अप्रैल 1959 में पूर्वोत्तर नाइजीरिया के अदामावा राज्य में जन्मे बरकिंडो ने 2016 में ओपेक के महासचिव का पद ग्रहण किया था।
उनका कार्यकाल जुलाई में समाप्त होने वाला था।
ओपेक के विषय में
यह एक स्थायी, अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1960 में बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा की गई थी।
इस संगठन का उद्देश्य अपने सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना तथा उपभोक्ता को पेट्रोलियम की कुशल, आर्थिक व नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये तेल बाज़ारों का स्थिरीकरण सुनिश्चित करना है।
मुख्यालय - वियना (आस्ट्रिया)
ओपेक के कुल 14 देश (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला, इक्वाडोर और वेनेजुएला) सदस्य हैं।
ओपेक प्लस
यह ओपेक सदस्यों और विश्व के 10 प्रमुख गैर-ओपेक तेल निर्यातक देशों का गठबंधन हैं I
अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान।
6. भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को पैनल के लिए चुना गया
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भारत को 2022-2026 की अवधि के लिए 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण मानकों (आईसीएच) के लिए यूनेस्को के 2003 समझौते की अंतर सरकारी समिति' में चुना गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत इससे पहले आईसीएच समिति का सदस्य 2006 से 2010 तक और 2014 से 2018 तक दो बार रह चुका है।
भारत यूनेस्को की दो प्रतिष्ठित समितियों में शामिल है। इनमें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (2022-2026) और विश्व विरासत (2021-2025) समितियां हैं।
यह भारत के लिए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मूल्यों को पुन:स्थापित करने का एक और अवसर होगा।’’
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अनुसार एशिया-प्रशांत समूह में चार सीट रिक्त थीं और छह देशों-भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया एवं थाइलैंड ने अपनी उम्मीदवारी पेश की थी।
बयान के मुताबिक भारत को 155 देशों में से 110 के वोट मिले।
2003 के समझौते की अंतरसरकारी समिति में 24 सदस्य हैं।
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त भारत की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
(1) वैदिक जप की परंपरा (3) रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन (3) कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर (4) राममन, गढ़वाल हिमालय के धार्मिक त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान, भारत (5) मुदियेट्टू, अनुष्ठान थियेटर और केरल का नृत्य नाटक (6) कालबेलिया लोक गीत और राजस्थान के नृत्य (7) छऊ नृत्य (8) लद्दाख का बौद्ध जप: हिमालय के लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, भारत में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ (9) मणिपुर का संकीर्तन, पारंपरिक गायन, नगाडे और नृत्य (10) पंजाब के ठठेरों द्वारा बनाए जाने वाले पीतल और तांबे के बर्तन (11) योग (12) नवरोज़, (13) कुंभ मेला (14) दुर्गा पूजा, कोलकाताI
यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 में स्थायी शांति बनाए रखने के रूप में "मानव जाति की बौद्धिक और नैतिक एकजुटता" को विकसित करने के लिये की गई थी।
यूनेस्को सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्त्व के स्थलों को आधिकारिक तौर पर विश्व धरोहर की मान्यता प्रदान करती है।
भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 40 मूर्त विरासत धरोहर स्थल (31 सांस्कृतिक, 8 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं और 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें हैं।
अमूर्त संस्कृति
अमूर्त संस्कृति किसी समुदाय, राष्ट्र आदि की वह निधि है जो सदियों से उस समुदाय या राष्ट्र के अवचेतन को अभिभूत करते हुए निरंतर समृद्ध होती रहती है।
अमूर्त सांस्कृतिक समय के साथ अपनी समकालीन पीढि़यों की विशेषताओं को अपने में आत्मसात करते हुए मौजूदा पीढ़ी के लिये विरासत के रूप में उपलब्ध होती है।
7. हरियाली महोत्सव - 2022
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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 8 जुलाई, 2022 को तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में "आजादी का अमृत महोत्सव" की भावना से "हरियाली महोत्सव 2022 " का आयोजन किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
इसका आयोजन वर्तमान पीढ़ियों के जीवन को बनाए रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के जीवन को सुरक्षित रखने में पेड़ों के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।
इस महोत्सव को वन संरक्षण एवं वृक्षारोपण के प्रति जनता में उत्साह पैदा करने के लिए एक प्रभावी उपकरण के तौर पर मनाया गया।
हरियाली महोत्सव
हरियाली महोत्सव वनों के संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए जनमानस में उत्साह उत्पन्न करने का एक प्रभावी साधन है।
हरियाली महोत्सव 2020 का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दिल्ली में राज्य सरकार, पुलिस और स्कूलों के सहयोग से किया गया ताकि इस अवसर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जा सके।
इस आयोजन को चिह्नित करने के लिए पूरे भारत में वृक्षारोपण अभियान आयोजित किये गए । वृक्षारोपण अभियान में, भारत भर में 75 पुलिस स्टेशन, 75 नगर वन, दिल्ली / एनसीआर में 75 स्कूल और भारत भर में 75 वृक्षारोपण स्थल, भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष के सम्मान में शामिल हुए।
यह आयोजन पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के नेतृत्व वाली पहलों और नीतियों का पूरक है।
2022 के प्रमुख मेले / महोत्सव
महोत्सव | आयोजन स्थल |
40वां हुनर हाट महोत्सव | मुंबई |
सरहुल महोत्सव 2022 | झारखण्ड |
35वां सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला | हरियाणा (भागीदार राष्ट्र - उज्बेकिस्तान) |
राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव 2022 | नई दिल्ली |
विज्ञान सर्वत्र पूज्यते | नई दिल्ली |
मेदाराम जतारा महोत्सव 2022 | तेलंगाना |
हेरथ महोत्सव 2022 | जम्मू कश्मीर |
मारू महोत्सव 2022 | जैसलमेर (राजस्थान ) |
कंचोथ महोत्सव 2022 | जम्मू कश्मीर |
18वां कचाई लेमन फेस्टिवल | काँची, मणिपुर |
8. अकासा एयर एयरलाइंस को मिला एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट
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देश की सबसे नई एयरलाइन अकासा एयर ने अपना वाणिज्यिक संचालन शुरू करने के लिए 7 जुलाई को विमानन नियामक महानिदेशालय (डीजीसीए) से एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (एओसी) प्राप्त किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
एओसी सर्टिफिकेट एयरलाइन की परिचालन तत्परता के लिए सभी नियामक और अनुपालन आवश्यकताओं को संतोषजनक ढंग से पूरा करने का प्रतीक है।
डीजीसीए की देखरेख में एयरलाइन ने कई उड़ानों का सफलतापूर्वक संचालन को साबित करने के साथ प्रक्रिया का समापन किया।
दिग्गज शेयर बाजार निवेशक राकेश झुनझुनवाला द्वारा समर्थित एयरलाइन ने 21 जून को भारत में अपने पहले बोइंग 737 मैक्स विमान की डिलीवरी ली थी।
अकासा एयर पहली एयरलाइन है जिसकी एंड-टू-एंड एओसी प्रक्रिया सरकार के प्रगतिशील ईजीसीए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके संचालित की गई।
यह इस महीने के अंत में वाणिज्यिक परिचालन शुरू करेगा।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंत तक, एयरलाइन के पास 18 विमान होंगे और उसके बाद, प्रति वर्ष 12-14 विमान जोड़े जाएंगे।
पिछले नवंबर में, अकासा एयर ने बोइंग से 72 '737 मैक्स' विमानों का ऑर्डर देने की घोषणा की।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए)
यह विमान (संशोधन) विधेयक, 2020 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
यह विमानन दुर्घटनाओं की जांच करता है और विमानन से संबंधित सभी नियमों को लागू करता है।
यह नागरिक विमानों को पंजीकृत करता है और प्रमाण पत्र प्रदान करता है।
यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय से जुड़ा हुआ है।
यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के साथ सभी नियामक कार्यों का समन्वय भी करता है।
9. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की नारो में गोली मारकर हत्या
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जापान के पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे की 8 जुलाई को नारा में आगामी चुनाव के लिए प्रचार करते समय हत्या कर दी गई।
महत्वपूर्ण तथ्य
हमलावर ने आबे को पीछे से एक बन्दूक से सीने में दो गोलियां मारी।
67 वर्षीय विश्व नेता को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
घटना सुबह करीब 11.30 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे) हुई।
वह जापान की संसद के उच्च सदन के चुनाव के सन्दर्भ एक रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क पर चुनावी भाषण दे रहे थे।
आबे को उनके सीने के बाईं ओर गोली मारी गई क्योंकि हमलावर ने कई गोलियां चलाई थीं।
नारा शहर के रहने वाले एक 41 वर्षीय व्यक्ति तेत्सुया यामागामी को हत्या की नियत से आबे पर गोली चलाने के संदेह में गिरफ्तार किया गया है।
कौन थे शिंजो आबे?
प्रारंभिक जीवन
आबे का जन्म 21 सितंबर 1954 को टोक्यो में हुआ था, वह शिंटारो आबे के पुत्र थे, जिन्होंने जापान के विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।
उन्होंने 1977 में टोक्यो के सेइकी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की।
इसके बाद वह दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में सार्वजनिक नीति का अध्ययन करने के लिए यू.एस. चले गए.
1979 में उन्होंने कोबे स्टील में काम करना शुरू किया क्योंकि फर्म विदेशों में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रही थी।
उन्होंने 1982 में विदेश मंत्रालय और सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ जुड़ने के लिए कंपनी छोड़ दी।
राजनीतिक जीवन
वह पहली बार 1993 में यामागुची के दक्षिण-पश्चिमी प्रान्त का प्रतिनिधित्व करने वाले लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक के रूप में चुने गए।
आबे को एक रूढ़िवादी के रूप में देखा जाता है जो पार्टी के मोरी गुट के सदस्य थे, जिसका नेतृत्व कभी उनके पिता करते थे, जिनकी 1991 में मृत्यु हो गई थी।
2005 में आबे को प्रधान मंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी के तहत मुख्य कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया था।
उसी वर्ष, उन्हें एलडीपी का प्रमुख चुना गया, जिससे उन्हें प्रधान मंत्री के रूप में पदभार संभालने के लिए तैयार किया गया।
26 सितंबर, 2006 में आबे पहली बार जापान के प्रधान मंत्री बने, उत्तर कोरिया पर सख्त रुख अपनाते आर्थिक सुधारों को लागू की।
2007 में चुनावी हार के बाद एलडीपी ने 52 वर्षों में पहली बार विधायिका पर नियंत्रण खो दिया, अबे ने प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
2012 में वे एलडीपी अध्यक्ष चुने गए और दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
2013 में विकास को बढ़ावा देने के लिए, अबे ने आसान उधार और संरचनात्मक सुधारों की विशेषता वाली अपनी "एबेनॉमिक्स" नीतियां शुरू कीं।
2014-2020 के दौरान उन्हें एलडीपी नेता फिर से चुना गया और उन्होंने प्रधान मंत्री के रूप में दो अतिरिक्त कार्यकाल दिए।
28 अगस्त, 2020 में उन्होंने घोषणा की कि वह स्वास्थ्य कारणों से प्रधान मंत्री के रूप में पद छोड़ देंगे।
आबे जापान के सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधान मंत्री बन गए थे।
आबे ने 2012 और 2020 के बीच आठ साल और उससे पहले 2006 से 2007 तक प्रधानमंत्री के पद पर काबिज रहे।
8 जुलाई, 2022 को नारा शहर में चुनाव प्रचार के दौरान आबे को गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था, बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
जापान
वर्तमान प्रधान मंत्री - फुमियो किशिदा
जापान की राजधानी - टोक्यो
जापान की मुद्रा - येन
10. वीवो इंडिया ने कर से बचने के लिए चीन को 62,476 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए
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प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, 2017 और 2021 के बीच भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए स्मार्टफोन निर्माता वीवो द्वारा 62,476 करोड़ रुपये "अवैध रूप से" चीन को हस्तांतरित किए गए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
धोखाधड़ी में शामिल 18 कंपनियों ने स्मार्टफोन निर्माता वीवो को भारत के बाहर कारोबार का 50 प्रतिशत मुख्य रूप से चीन में स्थानांतरित करने में मदद की।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अब तक 465 करोड़ रुपये के सकल बैलेंस वाली संस्थाओं के 119 बैंक खातों को जब्त किया गया है।
चीन को पैसा ट्रांसफर करने के दौरान वीवो इंडिया ने अपनी ज्यादातर सहयोगी फर्मों में नुकसान दिखाया है।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने वीवो की सहयोगी कंपनी ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL), इसके निदेशकों, शेयरधारकों, प्रमाणित करने वाले पेशेवरों आदि के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की है।
धन शोधन निवारण अधिनियम
यह 2002 में अधिनियमित किया गया था और 2005 में लागू हुआ था।
इस अधिनियम का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग यानी काले धन को सफेद करने की प्रक्रिया को रोकना है।
यह अधिनियम सरकारी अधिकारियों को अवैध स्रोतों और मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से अर्जित संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है।
अधिनियम के तहत सबूत का भार आरोपी पर होता है, जिसे यह साबित करना होता है कि संदिग्ध संपत्ति अनुचित तरीके से हासिल नहीं की गई है।
प्रवर्तन निदेशालय
यह राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है।
यह एक कानून प्रवर्तन और आर्थिक खुफिया एजेंसी है जो भारत में आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक अपराध से लड़ने के लिए जिम्मेदार है।
1957 में इसका नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर दिया गया।
इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और पूरे देश में इसके कई क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक - संजय कुमार मिश्रा