1. भारत, जर्मनी ने हरित हाइड्रोजन टास्क फोर्स समझौते पर हस्ताक्षर किए
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भारत और जर्मनी ने हरित हाइड्रोजन पर कार्यबल बनाने की सहमति जताई। दोनों देशों ने इस बारे में संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं।
केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह और जर्मनी के आर्थिक मामलों एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री रॉबर्ट हैबेक ने वर्चुअल तरीके से इस संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
भारत ऊर्जा बदलाव में वैश्विक स्तर पर अगुवा के रूप में उभरा है। दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की वृद्धि में भारत सबसे आगे है।
भारत में एक पारदर्शी बोली प्रणाली, एक खुला बाजार, एक त्वरित विवाद समाधान प्रणाली है, और विश्व स्तर पर अक्षय ऊर्जा (आरई) में निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक के रूप में माना जाता है।
भारत ने देश को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है।
ग्रीन हाइड्रोजन और/या इसके डेरिवेटिव जैसे ग्रीन अमोनिया/ग्रीन मेथनॉल का व्यापार सहयोग की आधारशिला बनाएगा।
संयुक्त अनुसंधान, लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स, इनोवेशन क्लस्टर्स और हाइड्रोजन हब में संस्थागत सहयोग दोनों देशों के सहक्रियात्मक प्रयासों को उत्प्रेरित करेगा।
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की क्षमता
भारत वर्तमान में विश्व स्तर पर अक्षय ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है।
वर्तमान में भारत में अक्षय ऊर्जा क्षमता 136 गीगावॉट है, जो भारत में कुल ऊर्जा क्षमता का 36 फीसदी है।
भारत 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता की वृद्धि करेगा।
सौर और पवन ऊर्जा अक्षय ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत हैं।
अन्य विकल्प जैसे बायोमास ऊर्जा, मेथनॉल-आधारित सम्मिश्रण और हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन माना जाता है।
2. शेख हसीना ने भारत को ऑफर किया चटगांव बंदरगाह
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भारत-बांग्लादेश संबंधों के एक प्रमुख विकास क्रम में, बांग्लादेशी प्रधान मंत्री शेख हसीना द्वारा चटगांव बंदरगाह भारत को ऑफर किए जाने के बाद भारत ने अब इसपर अपनी महत्वपूर्ण पहुंच प्राप्त कर ली है।
चटगांव पोर्ट के बारे में
चटगांव बंदरगाह बांग्लादेश का प्रमुख बंदरगाह है।
यह बंदरगाह शहर चटगांव में और कर्णफुली नदी के तट पर स्थित है।
उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों के साथ समुद्री बंदरगाह की निकटता के कारण यह उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है, जो वैश्विक शिपिंग लेन तक पहुंच प्रदान करता है।
वर्ष 2010 में, भारत और बांग्लादेश ने भारत से माल की आवाजाही के लिए बांग्लादेश में चटगांव और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग की अनुमति देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।
2018 में, बांग्लादेश कैबिनेट ने माल के परिवहन के लिए दो बंदरगाहों के उपयोग की अनुमति देने के लिए नई दिल्ली के साथ प्रस्तावित समझौते को मंजूरी दी।
बंदरगाह बांग्लादेश के निर्यात-आयात व्यापार का अस्सी प्रतिशत संभालता है, और इसका उपयोग भूटान, नेपाल और भारत द्वारा परिवहन के लिए किया जाता है।
चटगांव बंदरगाह को चीनी निवेश से विकसित और आधुनिकीकरण किया जा रहा है।
भारत के लिए लाभ
एक अतिरिक्त कनेक्टिविटी मार्ग जो किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है।
असम, मेघालय और त्रिपुरा जैसे राज्यों को माल के परिवहन के लिए एक बंदरगाह तक पहुंच प्राप्त होगी।
भारत और बांग्लादेश के बीच मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा
भारत के लिए दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया और उससे आगे तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण मार्ग।
3. भारत, संयुक्त अरब अमीरात के बीच सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापार समझौता लागू
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ऐतिहासिक भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) जिसे 18 फरवरी 2022 को दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित किया गया था, आधिकारिक रूप से 1 मई से लागू हो गया।
समझौते के तहत कपड़ा, कृषि, सूखे मेवे, रत्न और आभूषण के उत्पादों के घरेलू निर्यातकों को यूएई के बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी।
समझौते को अमल में लाने की सांकेतिक शुरुआत करते हुए वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के तीन निर्यातकों को मूल स्थान प्रमाण-पत्र सौंपे।
व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) के तहत दुबई भेजी जाने वाली इन खेप पर सीमा शुल्क नहीं लगेगा।
पृष्ठभूमि
सीईपीए, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक व्यापक पथ-प्रदर्शक व्यापार समझौते पर 18 फरवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अबू धाबी क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच एक आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।
समझौते पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मर्री द्वारा हस्ताक्षर और आदान-प्रदान किया गया।
समझौते का महत्व
यह समझौता भारतीय और संयुक्त अरब अमीरात के व्यवसायों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करेगा, जिसमें बढ़ी हुई बाजार पहुंच और कम टैरिफ शामिल हैं।
सीईपीए के माध्यम से अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।
कुल मिलाकर, भारत को अपनी 97% से अधिक टैरिफ लाइनों पर संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रदान की जाने वाली तरजीही बाजार पहुंच से लाभ होगा I
4. कैबिनेट ने लिथुआनिया में भारतीय मिशन खोलने को मंजूरी दी
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2022 में लिथुआनिया में एक नए भारतीय मिशन को खोलने की मंजूरी दी है।
यह भारत के राजनयिक पदचिह्न का विस्तार करने, राजनीतिक संबंधों और रणनीतिक सहयोग को गहरा करने, द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और आर्थिक जुड़ाव के विकास को सक्षम करने में मदद करेगा।
यह लोगों से लोगों के बीच मजबूत संपर्क की सुविधा प्रदान करेगा, बहुपक्षीय मंचों में अधिक निरंतर राजनीतिक पहुंच की अनुमति देगा और भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों के लिए समर्थन जुटाने में मदद करेगा।
लिथुआनिया में भारतीय मिशन भारतीय समुदाय की बेहतर सहायता करेगा और उनके हितों की रक्षा करेगा।
आत्मनिर्भर भारत के हमारे लक्ष्य के अनुरूप घरेलू उत्पादन और रोजगार को बढ़ाने में इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
भारत - लिथुआनिया
भारत ने 7 सितंबर 1991 को तत्कालीन यूएसएसआर द्वारा उनकी स्वतंत्रता की स्वीकृति के बाद लिथुआनिया (लातविया और एस्टोनिया के अन्य बाल्टिक राज्यों के साथ) को मान्यता दी।
25 फरवरी 1992 को लिथुआनिया के साथ भारत के राजनयिक संबंध स्थापित किए गए।
लिथुआनियाई भाषा, जो सबसे पुरानी जीवित इंडो-यूरोपीय भाषा है, में संस्कृत के साथ काफी समानताएं हैं, इसलिए यह भारत के साथ प्राचीन संबंधों को दर्शाता है।
5. मॉरीशस के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा
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मॉरीशस के प्रधान मंत्री, प्रविंद कुमार जगन्नाथ आठ दिवसीय भारत यात्रा पर मुंबई पहुंचे।
श्री जगन्नाथ के साथ उनकी पत्नी कोबीता जगन्नाथ और एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है।
वह दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य के साथ भारत यात्रा पर आए हैं।
वह गुजरात के जामनगर में ग्लोबल सेंटर ऑप ट्रेडिशनल मेडिसिन के उद्घायन कार्यक्रम में शामिल होंगे।
इसके बाद 20 अप्रैल को वह राजकोट में ग्लोबल आयुष इन्वेस्टमेंट एंड इनोवेशन शिखर सम्मेलन में भी शिरकत करेंगे।
भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंध
–हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भू-रणनीतिक नीतियों के लिए भारत-मॉरीशस संबंध काफी महत्वपूर्ण है।
–भारत और मॉरीशस ने संयुक्त रूप से मॉरीशस में भारत-सहायता प्राप्त सामाजिक आवास इकाइयों की परियोजना का उद्घाटन किया।
–दोनों देशों ने 100 मिलियन अमरीकी डालर के रक्षा ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए
–2019 में, मॉरीशस के मुख्य आयात भागीदार भारत (13.85%), चीन (16.69%), दक्षिण अफ्रीका (8.07%), और संयुक्त अरब अमीरात (7.28%) थे।
–भारत 2007 से मॉरीशस को माल और सेवाओं का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निर्यातक रहा है।
–मॉरीशस को भारत का निर्यात बड़े पैमाने पर पेट्रोलियम उत्पादों का है।
6. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बिडेन ने वर्चुअल समिट किया
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच 2 + 2 संवाद से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ 11 अप्रैल 2022 को एक आभासी शिखर बैठक की।
इनके मध्य यूक्रेन और रूस की वर्तमान स्थिति उनकी चर्चा का मुख्य एजेंडा था। क्वाड देशों के समूह में केवल भारत ने रूस की निंदा नहीं की है और न ही कोई प्रतिबंध लगाया है। अन्य क्वाड सदस्यों जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका चाहता है कि भारत यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की निंदा करे, रूसी कंपनियों से कोई तेल न खरीदे, और यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर दबाव डाले।
भारत के रूस के साथ बहुत करीबी संबंध रहे हैं और इसके लगभग 60 से 70% रक्षा उपकरण रूसी मूल के हैं। रूस ने अतीत में भी कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों और पाकिस्तान के विरुद्ध भारत का समर्थन किया है।
भारत ने अब तक संयुक्त राष्ट्र में रूस विरोधी हर प्रस्ताव से परहेज किया है और इस मुद्दे पर तटस्थ रहा है।
राष्ट्रपति बिडेन ने यूक्रेन के लोगों के लिए भारत के मानवीय समर्थन का स्वागत किया और रूसी आक्रमण को "भयानक हमला" कहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत "रूसी युद्ध के अस्थिर प्रभावों का प्रबंधन करने के तरीके पर निकट परामर्श" जारी करने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन को भारत द्वारा दी जाने वाली मानवीय सहायता पर प्रकाश डाला और यूक्रेन के बुचा शहर में रूसी सैनिकों द्वारा कथित तौर पर नागरिकों की हत्या की निंदा की है।
7. ओआईसी के 48वीं विदेश मंत्रियों की परिषद इस्लामाबाद में आयोजित
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इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की 48वीं बैठक 22 से 23 मार्च तक इस्लामाबाद में आयोजित की गई। यह सत्र पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ समारोह के साथ मेल खाता है।
सम्मेलन का विषय था: "एकता, न्याय और विकास के लिए साझेदारी बनाना।"
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री, इमरान खान ने सम्मेलन में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 57 सदस्यीय निकाय बिल्कुल भी प्रभाव नहीं डाल पाया है क्योंकि यह आपस में विभाजित (विभाजित सदन) है।
चीन, हालांकि ओआईसी का सदस्य नहीं था, उसका प्रतिनिधित्व उसके विदेश मंत्री वांग यी ने किया था जिन्होंने कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया था।
भारत ने सम्मेलन के बाद जारी ओआईसी घोषणा में कश्मीर के संदर्भ को खारिज करते हुए कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
इस्लामिक देशों का संगठन (ओआईसी)
इस्लामिक सम्मेलन का संगठन सितंबर 1969 में रबात, मोरक्को में आयोजित पहले इस्लामी शिखर सम्मेलन द्वारा स्थापित किया गया था।
यह विश्व में मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए स्थापित किया गया था।
कुल सदस्य : 57 देश
मुख्यालय: जेद्दा, सऊदी अरब
भारत, जिसकी इंडोनेशियाई और पाकिस्तान के बाद विश्व में तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है, ओआईसी का सदस्य नहीं है।
8. भारत ने यूक्रेन से भारतीयों को स्वदेश वापसी हेतु तेज किए प्रयास
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भारत सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित घर वापस लाने के लिए कई प्रयासों की घोषणा की है।
सरकार राहत उपायों के समन्वय के लिए अपने चार कैबिनेट मंत्रियों को यूक्रेन के चार पड़ोसी देशों में विशेष दूत के रूप में भेजेगी।
नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रोमानिया और मोल्दोवा की यात्रा करेंगे।
कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, स्लोवाकिया की यात्रा करेंगे।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री और आवास व शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी, हंगरी की यात्रा करेंगे।सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल वी. के. सिंह (सेवानिवृत्त) पोलैंड की यात्रा करेंगे।
विदेश मंत्रालय यूक्रेन में फसे लोगों के मदद के लिए हेल्पलाइन चला रहा है, और भारतीय अधिकारी पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया, रोमानिया और मोल्दोवा में सीमा चौकियों पर तैनात हैं। लेकिन इन चौकियों पर, विशेष रूप से पोलैंड-यूक्रेन सीमा पर, भीड़भाड़ के कारण लोगों में संघर्ष हों रहा है। यूक्रेन से पोलैंड जाने वाली सीमा पर लोगों की लम्बी कतार लगी हुई है, जिसके कारण लोगों कोे दो या तीन दिनों तक काफी ठंड में इंतजार करना पड़ रहा है।
इस सन्दर्भ में उस देश में उपस्थित मंत्री कागजी कार्रवाई में मदद करेंगे जिससे निकास प्रक्रिया में तेजी आएगी।
प्रधान मंत्री ने यह भी कहा कि पड़ोसी देशों और विकासशील देशों के जो भी नागरिक यूक्रेन छोड़ना चाहते हैं, उन्हें यूक्रेन छोड़ने में भारत द्वारा मदद की जाएगी।
भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा के अनुरोध पर भारत सरकार यूक्रेन की सीमाओं पर दवाई सहित राहत सामग्री की पहली खेप भेजेगी।
भारत सरकार के अनुसार 24 फरवरी 2022 को रूसी आक्रमण से पहले लगभग 8000 भारतीय यूक्रेन छोड़ चुके थे। यूक्रेन में अभी भी 12,000 भारतीय हैं। वे मुख्य रूप से मेडिकल छात्र हैं जो चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए यूक्रेन गए थे।
प्रधान मंत्री ने स्लोवाकिया के प्रधान मंत्री श्री एडुआर्ड हेगर और रोमानिया के प्रधान मंत्री श्री निकोले-इओनेल सियुसी से भी बात की और धन्यवाद दिया।