1. रेलवे ने 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने की योजना बनाई
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भारतीय रेलवे ने हरित पर्यावरण के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है और 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की योजना बनाई है।
महत्वपूर्ण तथ्य
रेलवे मुख्य रूप से अक्षय ऊर्जा स्रोत से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करते हुए कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का प्रयास करेगा।
नेट जीरो एमिटर के लिए अन्य रणनीतियों में रेल मार्गों के विद्युतीकरण का बहु-आयामी दृष्टिकोण, डीजल से इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन में स्थानांतरण, ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना और समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर) का निर्माण शामिल है।
2029-30 तक, अक्षय क्षमता की स्थापना की अपेक्षित आवश्यकता लगभग 30 GW होगी।
भारतीय रेलवे ने अगस्त, 2022 तक 142 मेगावाट सौर रूफटॉप क्षमता और 103.4 मेगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की है।
रेलवे ने 65,141 किलोमीटर ब्रॉड गेज नेटवर्क (80.61%) में से 52,508 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने में रेलवे का योगदान
भारतीय रेल ने हरित परिवहन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है ताकि थल आधारित माल ढुलाई में भारतीय रेल की कुल हिस्सेदारी को वर्तमान 36 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 45 प्रतिशत किया जा सके।
भारतीय रेल देश भर में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) स्थापित कर रही है। इसके पहले चरण में 30 साल की अवधि में उत्सर्जन में लगभग 457 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड की कमी आने का अनुमान है।
ट्रैक्शन डीजल ईंधन में जैव ईंधन के 5 प्रतिशत सम्मिश्रण का उपयोग किया जाएगा।
2030 तक जल उपयोग दक्षता में 20 प्रतिशत सुधार किया जाएगा।
कार्बन अवशोषण बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण किया जाएगा, अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण पर जोर होगा।
रेल मंत्री - अश्विनी वैष्णव
2. दिव्यांगना शर्मा और रितिका सक्सेना को प्रतिष्ठित विक्टोरियन प्रीमियर अवार्ड से सम्मानित किया गया
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दो भारतीय छात्रों, दिव्यांगना शर्मा और रितिका सक्सेना ने प्रतिष्ठित विक्टोरियन प्रीमियर का पुरस्कार जीता है। दिव्यांगना शर्मा ने प्रतिष्ठित विक्टोरियन प्रीमियर अवार्ड - इंटरनेशनल स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2021-22 जीता है, जबकि रितिका सक्सेना ने रिसर्च कैटेगरी में इंटरनेशनल स्टूडेंट ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता है।
दिव्यांगना ने उच्च शिक्षा श्रेणी में विक्टोरियन अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा पुरस्कार 2021-22 भी जीता है। दिव्यांगना शर्मा फरवरी 2020 में होम्सग्लेन इंस्टीट्यूट में नर्सिंग की पढ़ाई करने मेलबर्न आई थीं।
रितिका 18 साल की उम्र में मेलबर्न चली गईं और अब स्टेम सेल अनुसंधान में शामिल पीएचडी की छात्रा हैं।
विक्टोरिया
विक्टोरिया ,ऑस्ट्रेलिया के छह राज्यों में से एक है। यह न्यू साउथ वेल्स के बाद ऑस्ट्रेलिया का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
ऑस्ट्रेलिया के सभी राज्यों की तरह इसका भी अपना एक संविधान है।
विक्टोरियन सरकार के मुखिया को प्रीमियर कहा जाता है।
वर्तमान प्रीमियर है: डेनियल एंड्रयूज
विक्टोरिया की राजधानी: मेलबर्न
3. संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना प्रमुख भारत दौरे पर
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संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना प्रमुख जीन-पियरे लैक्रोइक्स 6 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक भारत, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान और जापान के दौरे पर हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
उन्होंने चैलेंजेज फोरम द्वारा आयोजित दो दिवसीय बैठक में भाग लिया, जो शांति अभियानों से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर प्रमुख नीति निर्माताओं, चिकित्सकों और शिक्षाविदों को एक साथ लाता है।
भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में अपने अभियानों के लिए सबसे बड़े सैन्य योगदान देने वाले देशों में से एक है।
लैक्रोइक्स की यात्रा का उद्देश्य देशों को उनके योगदान और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में समर्थन तथा शांति स्थापना की प्रभावशीलता को बढ़ाने में प्रगति की समीक्षा करना है।
चैलेंज फोरम (सीएएफ) 22 की संगठन के भारतीय भागीदार यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) द्वारा सह-मेजबानी की गई।
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के बारे में
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना 1948 में शुरू हुई जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मध्य पूर्व में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों की तैनाती को अधिकृत किया।
यह देशों को संघर्ष से शांति के कठिन रास्ते पर लाने में मदद करता है।
यह शांति स्थापना के लिए दुनिया भर से सैनिकों और पुलिस को तैनात करता है।
भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सबसे बड़ी सेना और पुलिस योगदान करने वाले देशों में से एक है।
वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के 12 शांति अभियानों में से नौ में 5,700 से अधिक भारतीय शांति सैनिक तैनात हैं।
4. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने झिंजियांग में उइगर मुसलमानों के साथ चीन के दुर्व्यवहार पर बहस को खारिज किया
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने 6 अक्टूबर को झिंजियांग में उइगर और अन्य मुसलमानों के खिलाफ चीन के कथित मानवाधिकारों के हनन पर चर्चा के लिए पश्चिमी नेतृत्व वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
मतदान चीन के लिए एक कूटनीतिक जीत थी, जो यह साबित करता है कि झिंजियांग में चीन के कार्यों की आलोचना निराधार है, इसलिए इस आरोप को खारिज कर दिया गया।
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और अन्य सहयोगियों ने बहस आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन परिषद के 19 सदस्यों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया तथा 17 देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया जबकि 11 ने मतदान में भाग नहीं लिया।
भारत ने भी मतदान में भाग नहीं लिया।
47 सदस्यीय परिषद संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था है।
बहस के लिए प्रस्ताव क्यों लाया गया?
अगस्त में, संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि झिंजियांग में उइगरों और अन्य मुसलमानों की बड़े पैमाने पर मनमानी हिरासत में लिया जा रहा है और "गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन" हो रहा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बीजिंग की कार्रवाई मानवता के खिलाफ अपराध हो सकती है।
रिपोर्ट में बंदियों के साथ "क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक" व्यवहार, यौन और लिंग-आधारित हिंसा के "विश्वसनीय" आरोपों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
उइगर कौन हैं?
शिनजियांग के क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी चीन में लगभग 12 मिलियन उइगर रहते हैं, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं।
उइगर तुर्की के समान अपनी भाषा बोलते हैं।
वे खुद को सांस्कृतिक और जातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब देखते हैं।
झिंजियांग में इनकी आबादी कुल आबादी की आधी से भी थोड़ा कम हैं।
झिंजियांग के बारे में
यह चीन के उत्तर-पश्चिम में स्थित है और देश का सबसे बड़ा क्षेत्र है।
यह ज्यादातर रेगिस्तानी क्षेत्र है, जो दुनिया के कपास का लगभग पांचवां हिस्सा पैदा करता है।
यह तेल और प्राकृतिक गैस में भी समृद्ध है और मध्य एशिया और यूरोप से इसकी निकटता के कारण बीजिंग इसे एक महत्वपूर्ण व्यापार लिंक के रूप में देखता है।
5. हैदराबाद में 30वीं रैपिड एक्शन फोर्स वर्षगांठ परेड
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गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने 7 अक्टूबर को हैदराबाद में 30वीं रैपिड एक्शन फोर्स वर्षगांठ परेड में भाग लिया।
रैपिड एक्शन फोर्स
यह एक विशेष फोर्स है जिसे अक्टूबर 1992 में सीआरपीएफ के 10 स्वाधीन बटालियन को परिवर्तित करके बनाया गया था।
इन ईकाईयों को दंगों, दंगों जैसी उत्पन्न स्थितियों, समाज के सभी वर्गों के बीच विश्वास पैदा करने अैर आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी के लिए गठित किया गया था।
यह सबसे विश्वसनीय फोर्स है जो बिना समय गंवाए, कम से कम समय में संकट की स्थिति उत्पन्न होने पर स्थल पर पहुंच जाती है।
इस फोर्स के पास एक अलग झंडे का अधिकार प्राप्त है जो शांति का प्रतीक है।
इस झंडे को आरएएफ के 11 सालों तक देश की सेवा करने के उपलक्ष्य में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने 7 अक्टूबर 2003 को प्रदान किया।
यह विभिन्न देशों (हैती, कोसोवो, लाइबेरा आदि) में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के लिए हर साल संयुक्त रूप से पुरुषों और महिलाओं को लगातार प्रशिक्षित कर रहा है।
इस विशेष फोर्स में 10 बटालियन हैं जो सीआरपीएफ में बटालियन संख्या 99 से 108 हैं, इनकी अध्यक्षता, महानिरीक्षक अधिकारी के द्वारा की जाती है।
आरएएफ के महानिरीक्षक - अरुण कुमार
6. फरीदाबाद में सीवर से हुई मौतों पर एनएचआरसी का हरियाणा सरकार को नोटिस
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हरियाणा के फरीदाबाद जिले के एक निजी अस्पताल में 6 अक्टूबर को सीवर टैंक की सफाई के दौरान जहरीले धुएं से मरने वाले चार लोगों की मौत के संबंध में हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी किया है.
महत्वपूर्ण तथ्य
एनएचआरसी ने मीडिया में प्रकाशित खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया है।
आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने सरकार द्वारा गरीबों और वंचित लोगों के मानवाधिकार के घोर उल्लंघन को रोकने के लिए उठाए गए कदमों या जिन कदमों को उठाया जाना है,उसकी विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।
अधिकारियों को मामले में दर्ज प्राथमिकी की स्थिति और मृतक व्यक्तियों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे, यदि कोई हो, के बारे में सूचित करने का भी निर्देश दिया गया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रपति द्वारा जारी एक अध्यादेश के माध्यम से की गई थी।
इसे मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (PHRA), 1993 द्वारा वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया था।
मुख्यालय - नई दिल्ली
अध्यक्ष - सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा NHRC के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
NHRC के पहले अध्यक्ष - न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा
NHRC के वर्तमान और 8वें अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा हैं
भूमिका - NHRC की भूमिका मानवाधिकारों की रक्षा करना और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करना है।
NHRC का मोटो - "सर्वे भवन्तु सुखिनः / सभी सुखी रहें।"
यह बृहदारण्यक उपनिषद से लिया गया है।
7. भारत निर्मित कफ सिरप के लिए डब्ल्यूएचओ की शिकायत पर सीडीएससीओ ने जांच शुरू की
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा बाल चिकित्सा समूहों के लिए उपयोग किए जाने वाले चार भारत निर्मित खांसी सिरप पर अलर्ट जारी करने के बाद, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इस संबंध में तत्काल जांच शुरू कर दी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
उपलब्ध जानकारी के आधार पर डब्ल्यूएचओ से प्राप्त सूचना के बाद सीडीएससीओ द्वारा राज्य नियामक प्राधिकरणों के साथ मामले की तत्काल जांच शुरू कर दी गई है।
ये दवा बनाने वाली कंपनी मैडेन फार्मास्यूटिकल्स हरियाणा के सोनीपत में स्थित है।
गौरतलब है कि अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के मामले में भारत में निर्मित 4 कफ सिरप को संभावित जिम्मेदार माना जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 5 अक्टूबर को भारत की मेडेन फार्मास्यूटिकल लिमिटेड की ओर से बनाए गए खांसी-जुकाम सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है।
WHO ने इन सीरपों का उपयोग न करने की सलाह दी है।
8. गुजरात बना गति शक्ति पोर्टल लॉन्च करने वाला पहला राज्य
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गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 6 अक्टूबर को गति शक्ति पोर्टल लॉन्च की और कहा कि गुजरात भारत का पहला राज्य है जिसने गति शक्ति पोर्ट को राज्य स्तर पर लॉन्च किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इंटरनेट सेवा को तेजी से विस्तार करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए गए गति शक्ति पोर्टल को गुजरात सरकार ने भी शुरू कर दिया है।
यह पोर्टल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और दिशानिर्देश के आधार पर शुरू किया गया है।
पोर्टल को गुजरात इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जियो-इन्फॉर्मेटिक्स के सहयोग से विकसित किया गया है।
पोर्टल शासन में अधिक पारदर्शिता लाकर निवेशकों को व्यवसाय करने में आसानी प्रदान करेगा। इससे समय, धन और लॉजिस्टिक लागत की बचत होगी।
यह 21 राज्य सरकार के विभागों और 52 उप-विभागों के डेटा की 500 से अधिक परतों को एकीकृत करेगा।
पोर्टल राज्य में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के त्वरित निष्पादन पर केंद्रित है।
इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य लाल फीताशाही को कम करना है।
इसकी मदद से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में तेजी आएगी।
पीएम गति-शक्ति योजना
13 अक्टूबर 2021 को रसद लागत को कम करने के लिए समन्वित और बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के निष्पादन हेतु गति शक्ति योजना या ‘नेशनल मास्टर प्लान फॉर मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी प्लान’ लॉन्च किया गया था।
यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के लिए रेलवे और रोडवेज सहित 16 मंत्रालयों को एक साथ लाएगा।
यह लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों जैसे कि असंबद्ध योजना, मानकीकरण की कमी, मंजूरी से संबंधित समस्याओं, और समय पर निर्माण और बुनियादी ढांचे की क्षमताओं के उपयोग को दूर करने में मदद करेगा।
इस मंच का उद्देश्य मिलकर काम कर रहे सरकारी विभागों के मुद्दे को संबोधित करके कार्यों के अतिव्यापिता को रोकना है।
9. ओपेक प्लस सदस्य देशों ने की तेल उत्पादन में कटौती, अमेरिकी भंडार में गिरावट
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ओपेक प्लस सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने 5 अक्टूबर को वियना में ढाई साल के बाद बैठक की जिसमें सदस्य देश तेल उत्पादन की मात्रा में बीस लाख बैरल प्रति दिन की कटौती करने पर सहमत हुए।
महत्वपूर्ण तथ्य
उत्पादन में कटौती का यह फैसला नवंबर से लागू होगा।
अमेरिका ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगियों द्वारा तेल उत्पादन कोटा में कटौती की आलोचना की है।
ओपेक के इस कदम से निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इससे पहले ओपेक देशों ने पिछले महीने उत्पादन में सांकेतिक कटौती की थी।
ओपेक प्लस उत्पादन में कमी क्यों कर रहा है?
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद तेल की कीमतें आसमान छू लिया।
हाल ही में की गई कटौती वर्ष 2020 के बाद सबसे बड़ी कटौती है जब ओपेक प्लस के सदस्यों ने कोविड -19 महामारी के दौरान उत्पादन में 10 मिलियन बीपीडी की कमी की।
यह कटौती तेल की कीमतों को बढ़ावा देगी और मध्य पूर्वी सदस्य राज्यों के लिए बेहद फायदेमंद होगी।
इससे लड़खड़ाती वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेल की मांग को कम होगी और कटौती से मुनाफे में वृद्धि होगी।
ओपेक के बारे में
यह एक स्थायी, अंतर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1960 में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेजुएला द्वारा बगदाद सम्मेलन में की गई थी।
इस संगठन का उद्देश्य अपने सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना और उपभोक्ता को पेट्रोलियम की कुशल, आर्थिक और नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तेल बाजारों का स्थिरीकरण सुनिश्चित करना है।
मुख्यालय - वियना (ऑस्ट्रिया)
ओपेक के 14 सदस्य देश हैं (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला, इक्वाडोर और वेनेजुएला)।
ओपेक प्लस
यह ओपेक सदस्यों और दुनिया के 10 प्रमुख गैर-ओपेक तेल निर्यातक देशों का गठबंधन है।
अजरबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कजाकिस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान।
10. भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता के रूप में उभरा
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उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक के रूप में उभरा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत में चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 के दौरान 5000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से अधिक गन्ने का उत्पादन हुआ है.
इसमें से लगभग 3574 एलएमटी गन्ने को चीनी मिलों ने संवर्धित कर करीब 394 लाख मीट्रिक टन चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया है।
इसमें से एथनॉल तैयार करने के लिए 35 लाख मीट्रिक टन चीनी का इस्तेमाल किया गया और चीनी मिलों द्वारा 359 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया गया।
इसी सीजन के दौरान गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी निर्यात, गन्ना खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और एथनॉल उत्पादन के सभी रिकॉर्ड बनाए गए।
वर्तमान सीजन में आकर्षण का एक और केंद्र लगभग 109.8 लाख मीट्रिक टन का रिकॉर्ड उच्चतम चीनी का निर्यात है।
भारत सरकार की नीतियों और सहायक अंतर्राष्ट्रीय कीमतों ने भारतीय चीनी उद्योग की इस उपलब्धि को हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
निर्यात से देश के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित की गई है।
विश्व में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक
ब्राजील विश्व में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक है।
भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
ब्राजील ने 2021-22 में लगभग 32 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया।
भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में देश के कुल चीनी उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा है।
अन्य प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा और पंजाब हैं।
2010-11 के बाद से, भारत ने लगातार अतिरिक्त चीनी का उत्पादन किया है, जो घरेलू आवश्यकताओं से अधिक है।