1. रूसी तेल पर जी 7 निर्धारित मूल्य सीमा लागू हुई, भारत प्रभावित नहीं होगा: हरदीप सिंह पुरी
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समुद्री रास्ते से रूसी पेट्रोलियम कच्चा तेल के निर्यात को रोकने और प्रभावित करने के लिए 7 देशों का समूह (जी 7) के रूसी तेल के उच्चतम मूल्य नियंत्रण, 5 दिसंबर 2022 को लागू हों गया है । इसे पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन पर अपने युद्ध को वित्तपोषित करने की रूसी क्षमता को सीमित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।रूस ने हालांकि जी7 देशों के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है।
रूस दुनिया में सऊदी अरब के बाद पेट्रोलियम तेल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है । रूस ने यूक्रेन पर यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में नरसंहार का आरोप लगाते हुए , 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था। पश्चिमी देश यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं और रूसी युद्ध प्रयास को पंगु बनाने के प्रयास में रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिया है।
तेल की उच्चतम मूल्य निर्धारण
जी 7 देशों, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने समुद्र के माध्यम से परिवहन किए जाने वाले रूसी कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल उच्चतम मूल्य लगाने पर सहमति व्यक्त की है।
इस समझौते के तहत रूसी तेल को जी 7 और यूरोपीय संघ के टैंकरों, बीमा कंपनियों और बैंकों का उपयोग करके तीसरे पक्ष के देशों में भेजने की अनुमति देता है, अगर कार्गो $ 60 प्रति बैरल पर या उससे कमदाम पर खरीदा जाता है।
हालांकि एक अमेरिकी अधिकारी ने अक्टूबर में कहा था कि रूस के पास अपने अधिकांश तेल को समुद्री रास्ते से तेल भेजने के लिए बाज़ार में पर्याप्त मात्र में टैंकर मिल जायेंगे ।
भारत पर प्रभाव
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि जी7 देशों के फैसले का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि 'रूस हमारा तेल का शीर्ष आपूर्तिकर्ता नहीं है; हमारे पारंपरिक शीर्ष आपूर्तिकर्ता इराक, सऊदी अरब और यूएई हैं। 2021-22 में भारत ने अपना 53 फीसदी तेल इन देशों से आयात किया। 2022-23 में अप्रैल से सितंबर के बीच भारत का 52 फीसदी कच्चा तेल आयात इन्हीं देशों से हुआ है।
उन्होंने कहा कि अगर रूस तय कीमत पर कच्चा तेल बेचने से इनकार करता है या उत्पादन में कटौती करता है तो इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी। यह उत्पादक देशों पर ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए दबाव डालेगा, जिसके परिणामस्वरूप कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आएगी।
2. वायु प्रदूषण बांग्लादेश में मृत्यु और विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण: विश्व बैंक
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4 दिसंबर, 2022 को जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण बांग्लादेश में मृत्यु और विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है और इसकी वजह से वहां के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.9 से 4.00 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण 2019 में बांग्लादेश में 78,000 से 88,000 हजार लोगों की मौत हुई।
2018 और 2021 के बीच प्रत्येक वर्ष बांग्लादेश को दुनिया के सबसे प्रदूषित देश के रूप में और ढाका को दूसरे सबसे प्रदूषित शहर के रूप में स्थान दिया गया।
रिपोर्ट में पाया गया है कि ढाका में प्रमुख निर्माण स्थलों और यातायात में प्रदूषण का उच्चतम स्तर है।
इन स्थानों पर, पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5), जिसे स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है, WHO वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (AQG) से औसतन 150 प्रतिशत अधिक है, जो प्रति दिन लगभग 1.7 सिगरेट पीने के बराबर है।
ग्रेटर ढाका में ईंट भट्ठों के पास PM2.5 के स्तर की दूसरी उच्चतम सांद्रता पाई जाती है, जो WHO AQG से 136 प्रतिशत अधिक है - प्रति दिन 1.6 सिगरेट पीने के बराबर है।
बांग्लादेश में, ढाका सबसे प्रदूषित संभाग है जबकि सिलहट सबसे कम प्रदूषित है।
पश्चिमी क्षेत्र (खुलना और राजशाही) पूर्वी क्षेत्रों (सिलहट और चटोग्राम) की तुलना में अधिक प्रदूषित हैं।
उच्च स्तर के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से सांस लेने में कठिनाई, खांसी, श्वसन मार्ग में संक्रमण, अवसाद और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग और मधुमेह, हृदय या सांस रोग से पीड़ित लोग सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं।
3. 1 जनवरी 2027 से दिल्ली एनसीआर में सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक ऑटो चलेंगे; वायु गुणवत्ता पैनल
Tags: Environment National
केंद्र सरकार के वायु गुणवत्ता पैनल ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को 1 जनवरी 2027 से केवल सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) और इलेक्ट्रिक ऑटो पंजीकृत करने और 2026 के अंत तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल ऑटो को पूरी तरह से समाप्त करने का निर्देश दिया है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा है कि 1 जनवरी, 2027 से एनसीआर में केवल सीएनजी और ई-ऑटो ही चलेंगे।
एनसीआर में दिल्ली, हरियाणा के 14 जिले, उत्तर प्रदेश के आठ जिले और राजस्थान के दो जिले शामिल हैं।
दिल्ली ने 1998 में डीजल ऑटो रिक्शा के अपने बेड़े को सीएनजी में बदलने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया था। दिल्ली में फिलहाल डीजल से चलने वाले ऑटो का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है । पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली परिवहन विभाग ने 4,261 ई-ऑटो के नामांकन के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया था।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली एनसीआर)
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्थापना 1985 में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम 1985 के तहत की गई थी।
दिल्ली में लोगों के अनियंत्रित प्रवास से निपटने के लिए दिल्ली एनसीआर की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों को विकसित करना है ताकि दिल्ली में लोगों के प्रवास को नियंत्रित किया जा सके।
दिल्ली एनसीआर में दिल्ली (सभी 11 जिले), उत्तर प्रदेश (8 जिले), हरियाणा (14 जिले) और राजस्थान (2 जिले) के क्षेत्र शामिल हैं।
क्षेत्र | जिलों का नाम | वर्ग किमी में क्षेत्र |
हरियाणा | फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, गुरुग्राम, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल (चौदह जिले)। | 25,327 |
उत्तर प्रदेश | मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, शामली और मुजफ्फरनगर (आठ जिले)। | 14,826 |
राजस्थान | अलवर और भरतपुर (दो जिले)। | 13,447 |
दिल्ली | पूरी एनसीटी दिल्ली. | 1,483 |
कुल 55,083 वर्ग कि.मी. |
4. जिंदल शदीद समूह ओमान में 3 अरब डॉलर का हरित इस्पात संयंत्र स्थापित करेगा
Tags: Economy/Finance International News
जिंदल शदीद समूह ने घोषणा की है कि वह ओमान के दक्षिणी बंदरगाह शहर डुक्म में स्तिथ एक विशेष आर्थिक क्षेत्र में हरित इस्पात संयंत्र स्थापित करने के लिए $3 बिलियन से अधिक का निवेश करेगा। हाइड्रोजन-तैयार स्टील परियोजना में सालाना 5 मिलियन टन स्टील का उत्पादन करने की क्षमता होगी।
प्रस्तावित हरित स्टील प्लांट स्टील के उत्पादन के लिए प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जायेगा ।
जिंदल शदीद ग्रुप नवीन जिंदल की जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। जिंदल शदीद ग्रुप की ओमान के सोहर में एक सालाना 2 मिलियन टन स्टील क्षमता वाली स्टील प्लांट पहले से ही है ।
हरित इस्पात संयंत्र क्या है?
हरित इस्पात के निर्माण में कार्बन-गहन जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं किया जाता है । कोयले से चलने वाले संयंत्रों के पारंपरिक कार्बन-गहन निर्माण मार्ग के बजाय हाइड्रोजन, प्राकृतिक गैस, कोयला गैसीकरण या बिजली जैसे निम्न-कार्बन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके स्टील का उत्पादन किया जाता है।
हरित इस्पात की आवश्यकता क्यों?
वैश्विक स्तर पर लौह अयस्क और इस्पात उद्योग वार्षिक आधार पर कुल CO2 उत्सर्जन का लगभग 8 प्रतिशत है, जबकि भारत में, यह कुल CO2 उत्सर्जन में 12 प्रतिशत का योगदान देता है।
भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध किया है और यदि भारत को उस लक्ष्य को प्राप्त करना है तो भारतीय इस्पात उद्योग को 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध-शून्य तक कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए भारत में कई प्रयास किये जा रहे हैं ।
हाल ही में अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांत कंपनी ने हाइड्रोजन का उपयोग करके हरित इस्पात के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए आईआईटी-बॉम्बे के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) ने अपने ओडिशा संयंत्र को दुनिया की सबसे बड़ी और हरित सुविधा के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। कंपनी स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके स्टील का उत्पादन करने के लिए कोयला गैसीकरण का निर्माण करने वाली दुनिया की पहली इस्पात निर्माता होने का दावा करती है।
5. बाजरा-स्मार्ट पोषक खाद्य कॉन्क्लेव नई दिल्ली में आयोजित
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बाजरा के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार द्वारा 5 दिसंबर को नई दिल्ली में एक दिवसीय 'बाजरा-स्मार्ट पोषक खाद्य' कॉन्क्लेव आयोजित किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि थे।
इसका आयोजन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा अपने शीर्ष कृषि निर्यात संवर्धन निकाय, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के माध्यम से किया गया।
इसका उद्वेश्य बाजरा के निर्यात को बढ़ावा देना है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष - 2023 (आईवाईओएम - 2023) के पूर्व-लांच कार्यक्रम में होने वाला यह पहला कॉन्क्लेव है।
कान्क्लेव में, किसान उत्पादक संगठन, स्टार्टअप्स, निर्यातक, बाजरा आधारित मूल्य वर्द्धित उत्पादों के उत्पादकों ने भाग लिया।
कॉन्क्लेव में, भारतीय बाजरा तथा बाजरा आधारित उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी तथा बी2बी बैठकों का भी आयोजन किया गया।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल कॉन्क्लेव में गेस्ट ऑफ़ ऑनर थीं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 5 मार्च, 2021 को घोषणा की कि 2023 अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईओएम) के रूप में मनाया जाएगा।
सरकार वर्तमान में भारतीय बाजरा और इसके मूल्य वर्धित उत्पादों को विश्व भर में लोकप्रिय बनाने तथा इसे एक जन आंदोलन बनाने के लिए घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आईवाईओएम-2023 का आयोजन कर रही है।
6. डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने आबू धाबी अंतरिक्ष परिचर्चा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया
Tags: International Relations International News
परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने 5 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात में शुरू आबू धाबी अंतरिक्ष परिचर्चा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने इस्राइल के राष्ट्रपति इसाक हरजोग के साथ उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
दो दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय बैठक में डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने 'अंतरिक्ष कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सक्षम करने में विदेश नीति की भूमिका' पर मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लिया।
उन्होंने यूएई के उन्नत प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री और यूएई अंतरिक्ष एजेंसी की अध्यक्ष सारा अल अमीरी के साथ द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा की।
बातचीत के दौरान डॉक्टर सिंह ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच अत्याधुनिक और उभरती अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर संयुक्त स्टार्टअप उपक्रम पर भी चर्चा की।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और यूएई अंतरिक्ष एजेंसी (यूएईएसए) ने वर्ष 2016 में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
संयुक्त अरब अमीरात का पहला नैनोसेटेलाइट- 'नायिफ-1' पर्यावरणीय अंतरिक्ष डेटा एकत्र करने के लिए श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
अंतरिक्ष क्षेत्र में यूएई की उपलब्धियां
संयुक्त अरब अमीरात एक उभरती हुई अंतरिक्ष शक्ति है और उसने अपनी अंतरिक्ष यात्रा के पिछले 25 वर्षों में तेजी से प्रगति की है।
जुलाई 2020 में, यूएई ने 'होप प्रोब' नाम से अपना मंगल मिशन अन्तरिक्ष में भेजा, जिसने फरवरी 2021 में मंगल की कक्षा में प्रवेश किया।
यह उपलब्धि हासिल करने वाला यूएई पहला अरब देश और विश्व का छठा देश है।
यूएई जल्द ही रशीद रोवर या अमीरात लूनर मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
सितंबर 2019 में संयुक्त अरब अमीरात के हंजला अल मंसूरी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री थे, जब वे कजाकिस्तान से एक रूसी अंतरिक्ष यान के माध्यम से आठ दिनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) गए थे।
इस वर्ष, संयुक्त अरब अमीरात के एक और अंतरिक्ष यात्री को छह महीने की अवधि के लिए नासा के क्रू रोटेशन फ्लाइट, स्पेसएक्स क्रू-6 पर आईएसएस की यात्रा के लिए चुना गया था।
यूएई के बारे में
राजधानी : अबू धाबी
मुद्रा: अमीरात दिरहम
राष्ट्रपति: शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान
7. डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने आबू धाबी अंतरिक्ष परिचर्चा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया
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परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने 5 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात में शुरू आबू धाबी अंतरिक्ष परिचर्चा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने इस्राइल के राष्ट्रपति इसाक हरजोग के साथ उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
दो दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय बैठक में डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने 'अंतरिक्ष कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सक्षम करने में विदेश नीति की भूमिका' पर मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लिया।
उन्होंने यूएई के उन्नत प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री और यूएई अंतरिक्ष एजेंसी की अध्यक्ष सारा अल अमीरी के साथ द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा की।
बातचीत के दौरान डॉक्टर सिंह ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच अत्याधुनिक और उभरती अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर संयुक्त स्टार्टअप उपक्रम पर भी चर्चा की।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और यूएई अंतरिक्ष एजेंसी (यूएईएसए) ने वर्ष 2016 में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
संयुक्त अरब अमीरात का पहला नैनोसेटेलाइट- 'नायिफ-1' पर्यावरणीय अंतरिक्ष डेटा एकत्र करने के लिए श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
अंतरिक्ष क्षेत्र में यूएई की उपलब्धियां
संयुक्त अरब अमीरात एक उभरती हुई अंतरिक्ष शक्ति है और उसने अपनी अंतरिक्ष यात्रा के पिछले 25 वर्षों में तेजी से प्रगति की है।
जुलाई 2020 में, यूएई ने 'होप प्रोब' नाम से अपना मंगल मिशन अन्तरिक्ष में भेजा, जिसने फरवरी 2021 में मंगल की कक्षा में प्रवेश किया।
यह उपलब्धि हासिल करने वाला यूएई पहला अरब देश और विश्व का छठा देश है।
यूएई जल्द ही रशीद रोवर या अमीरात लूनर मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
सितंबर 2019 में संयुक्त अरब अमीरात के हंजला अल मंसूरी अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री थे, जब वे कजाकिस्तान से एक रूसी अंतरिक्ष यान के माध्यम से आठ दिनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) गए थे।
इस वर्ष, संयुक्त अरब अमीरात के एक और अंतरिक्ष यात्री को छह महीने की अवधि के लिए नासा के क्रू रोटेशन फ्लाइट, स्पेसएक्स क्रू-6 पर आईएसएस की यात्रा के लिए चुना गया था।
यूएई के बारे में
राजधानी : अबू धाबी
मुद्रा: अमीरात दिरहम
राष्ट्रपति: शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान
8. सेमेरु ज्वालामुखी फटने के बाद इंडोनेशिया ने ज्वालामुखी की चेतावनी को उच्चतम स्तर तक बढ़ा दिया
Tags: Environment place in news International News
इंडोनेशियाई अधिकारियों ने 4 दिसंबर 2022 को सेमेरु ज्वालामुखीपर चेतावनी को उच्चतम स्तर तक बढ़ा दिया । सेमेरु ज्वालामुखी में विस्फोट 3 दिसंबर 2022 को शुरू हुआ और ज्वालामुखी से निकलने वाला राख का एक स्तंभ 50,000 फीट (15 किमी) की ऊंचाई तक पहुंच गया।
पूर्वी जावा प्रांत में स्थित सेमेरु ज्वालामुखी में विस्फोट द्वीप के पश्चिम में भूकम्पों की भूकंप की एक श्रृंखला के बाद हुआ, जिसमें पिछले महीने एक विनाशकारीभूकंप भी शामिल था जिसमें 300 से अधिक लोग मारे गए थे।
इंडोनेशियाई अधिकारियों ने ज्वालामुखी के पास रहने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों सहित लोगों को निकालने का काम शुरू कर दिया है।
माउंट सेमेरू आखिरी बार दिसंबर 2021 में फटा था, जिसमें कम से कम 69 लोग मारे गए थे। उस समय विस्फोट ने पूरी सड़कों को मिट्टी और राख से भर दिया था, घरों और वाहनों को निगल लिया था, और लगभग 10,000 लोग शरणार्थी बन गए थे।
इंडोनेशिया पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर स्थित है, जहां महाद्वीपीय प्लेटों के मिलने से उच्च ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधि होती है।
इंडोनेशिया में लगभग 142 ज्वालामुखी हैं और इसकी दुनिया में सबसे बड़ी आबादी (लगभग 86 लाख) है जो ज्वालामुखियों के 10 किमी के करीब रहती है।
9. "जे सी बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक" पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया
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केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने महान भारतीय वैज्ञानिक आचार्य जगदीश चंद्र बोस की 164वीं जयंती के अवसर पर 3 दिसंबर 2022 को इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर, नई दिल्ली में "जे सी बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक के योगदान पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन" का आयोजन किया।
सम्मेलन का उद्देश्य आचार्य जगदीश चंद्र बोस के योगदान को स्वीकार करना और लोकप्रिय बनाना था।
जगदीश चंद्र बोस
जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवंबर 1858 को मैमनसिंह (बांग्लादेश) में हुआ था और उनकी मृत्यु 23 नवंबर 1937 को झारखंड के गिरिडीह में हुई थी।
वह एक प्लांट फिजियोलॉजिस्ट और भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया था, जो पौधों की वृद्धि को मापने के लिए एक उपकरण है। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि पौधों में भावनाएँ होती हैं।
उन्होंने बेतार संचार की खोज की और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा उन्हें रेडियो विज्ञान का जनक नामित किया गया।
उनके सम्मान में चंद्रमा पर एक गड्ढे का नाम रखा गया है।
उन्होंने 1917 में कोलकाता में बोस इंस्टीट्यूट की स्थापना की जो एशिया का पहला अंतःविषय अनुसंधान केंद्र है।
10. 3 भारतीय मूल की महिला वैज्ञानिक ऑस्ट्रेलिया की "एसटीईएम की सुपरस्टार" में शामिल
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60 वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों, इंजीनियरों और गणितज्ञों में तीन भारतीय मूल की महिलाओं को ऑस्ट्रेलिया के 'एसटीईएम के सुपरस्टार' के रूप में चुना गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह एक पहल है जिसका उद्देश्य वैज्ञानिकों के बारे में समाज की लैंगिक धारणाओं को तोड़ना है।
2022 में, एसटीईएम के सुपरस्टार के रूप में पहचाने जाने वालों में तीन भारतीय मूल की महिलाएं शामिल हैं- नीलिमा कादियाला, डॉ. एना बाबूरामनी और डॉ. इंद्राणी मुखर्जी।
इसमें भारतीयों के अलावा श्रीलंकाई मूल की महिला वैज्ञानिकों को भी चुना गया है।
ऑस्ट्रेलिया के 'एसटीईएम के सुपरस्टार' के बारे में
प्रत्येक वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी ऑस्ट्रेलिया (STA), जो इस क्षेत्र में देश का शीर्ष निकाय है और 105,000 से अधिक वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों का प्रतिनिधित्व करता है, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में कार्यरत 60 ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों का चुनाव करता है।
नीलिमा कादियाला
कडियाला चैलेंजर लिमिटेड में एक आईटी प्रोग्राम मैनेजर हैं और उनके पास वित्तीय सेवाओं, टेल्को और एफएमसीजी सहित कई उद्योगों में 15 वर्ष का अनुभव है।
सूचना प्रणाली में मास्टर ऑफ बिजनेस करने के लिए वह 2003 में एक अंतरराष्ट्रीय छात्र के रूप में ऑस्ट्रेलिया चली गईं।
डॉ एना बाबूरामनी
बाबूरामनी रक्षा विभाग - विज्ञान और प्रौद्योगिकी समूह में वैज्ञानिक सलाहकार हैं और मस्तिष्क कैसे विकसित होता है और कैसे काम करता है, इस बात से हमेशा आकर्षित रही हैं।
बाबूरामनी ने मोनाश विश्वविद्यालय में अपनी पीएचडी पूरी की और यूरोप में पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ता के रूप में 10 साल बिताए हैं।
डॉ. इंद्राणी मुखर्जी
सुश्री मुखर्जी तस्मानिया विश्वविद्यालय में भूविज्ञानी हैं और इस बात पर ध्यान केंद्रित करती हैं कि जैविक संक्रमण को किसने प्रेरित किया।
वह तस्मानिया में एक पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता के रूप में काम कर रही हैं, साथ ही सार्वजनिक आउटरीच, भूविज्ञान संचार और विविधता की पहल के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं।