1. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने एचडी-3385 नामक गेहूं की नई किस्म विकसित की
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने गेहूं की एक नई किस्म 'एचडी-3385' विकसित की है।
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यह मौसम में बदलाव और बढ़ती गर्मी के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।
यह नई किस्म जल्दी बुवाई के लिए अनुकूल है। यह गर्मी के प्रकोप से बची रह सकती है और इसकी फसल को मार्च महीना समाप्त होने से पहले काटा जा सकता है।
केंद्र सरकार ने तापमान में वृद्धि से उत्पन्न स्थिति और वर्तमान गेहूं की फसल पर इसके प्रभाव की निगरानी के लिए हाल ही में एक समिति गठित करने की घोषणा थी।
आईसीएआर ने एचडी-3385 को पौध किस्मों और किसानों के अधिकार प्राधिकरण (PPVFRA) के संरक्षण के साथ पंजीकृत किया है।
आईसीएआर ने डीसीएम श्रीराम लिमिटेड के स्वामित्व वाली बायोसीड को बहु-स्थान परीक्षण और बीज गुणन करने के लिए लाइसेंस भी दिया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बारे में
यह एक स्वायत्त निकाय है जिसे पहले इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के नाम से जाना जाता था।
मुख्यालय - नई दिल्ली
स्थापना - 1929
केंद्रीय कृषि मंत्री इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। वर्तमान में इसके अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर हैं।
आईसीएआर दुनिया में कृषि अनुसंधान और शिक्षा संस्थानों का सबसे बड़ा नेटवर्क है।
2. भारत का पहला हाइब्रिड रॉकेट चेंगलपट्टू में लॉन्च किया गया
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19 फरवरी को चेंगलपट्टू के पट्टीपुलम गांव तमिलनाडु से डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन 2023 के हिस्से के रूप में विभिन्न राज्यों के स्कूली छात्रों द्वारा बनाया गया भारत का पहला हाइब्रिड रॉकेट लॉन्च किया गया।
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पुन: प्रयोज्य रॉकेट को चयनित शीर्ष 100 छात्रों द्वारा बनाया गया है।
रॉकेट का उपयोग मौसम, वायुमंडलीय स्थितियों और विकिरणों में अनुसंधान के लिए किया जा सकता है।
तमिलनाडु और पुडुचेरी में मछुआरों, आदिवासी समुदाय के छात्रों सहित छठी से बारहवीं कक्षा के 3,500 से अधिक सरकारी स्कूल के छात्रों ने इस लॉन्च में भाग लिया।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन और स्पेस जोन इंडिया के सहयोग से मार्टिन फाउंडेशन ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मिशन 2023 को सफलतापूर्वक पूरा किया।
हाइब्रिड रॉकेट क्या है?
यह एक द्विप्रणोदक रॉकेट इंजन है जो प्रणोदकों का उपयोग करता है जो दो अलग-अलग अवस्थाओं में होते हैं।
ये प्रणोदक आमतौर पर तरल और ठोस होते हैं जो प्रतिक्रिया करने पर रॉकेट प्रणोदन के लिए उपयुक्त निकास गैसों का निर्माण करते हैं।
भारत का पहला निजी तौर पर विकसित रॉकेट विक्रम-एस
भारत का पहला निजी रॉकेट विक्रम-एस (सबऑर्बिटल) 18 नवंबर 2022 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।
इसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि के रूप में डिजाइन किया गया था।
3. अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ का आवरण सबसे निचले स्तर पर पहुंचा
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वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि बर्फ से ढका अंटार्कटिक महासागर का इलाका रिकॉर्ड निचले स्तर तक सिकुड़ गया है।
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संयुक्त राज्य में नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के अनुसार पिछले हफ्ते अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ की सीमा 22 लाख वर्ग किलोमीटर दर्ज की गई, जो पिछले रिकॉर्ड 24 फरवरी 2022 के अनुसार 22.7 लाख वर्ग किलोमीटर से नीचे गिर गई है।
1979 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से सबसे कम है।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह लगातार दूसरा साल है जब एक दिन में 20 लाख वर्ग किमी तक बर्फ पिघल चुकी है।
पृथ्वी का सबसे सर्द इलाका, अंटार्कटिका का 99 प्रतिशत हिस्सा बर्फ से ढंका है।
यहां बर्फ की करीब दो मोटी परत जमी है. लेकिन अब ये बर्फ तेजी से पिघल रही है।
वैज्ञानिकों के अनुसार गर्म हवाओं की वजह से बर्फ तेजी से पिघल रही है, इस साल गर्म हवाओं का तापमान औसत से 1.5 डिग्री ज्यादा रहा है।
अंटार्कटिका के बारे में
यह सबसे दक्षिणी महाद्वीप और पृथ्वी पर पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है।
वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत सहित कई देशों द्वारा स्थापित लगभग 40 स्थायी स्टेशनों को छोड़कर अंटार्कटिका निर्जन है।
अंटार्कटिक महाद्वीप पर भारत के दो शोध केंद्र हैं- 'मैत्री' और 'भारती'।
भारत अब तक अंटार्कटिक कार्यक्रम के तहत यहां 40 वैज्ञानिक अभियान पूरे कर चुका है।
4. भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने एक और उपलब्धि हासिल की
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 19 फरवरी को कहा कि 'चंद्रयान -3' लैंडर ने यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक इंटरफेरेंस/इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी (EMI/EMC) टेस्ट "सफलतापूर्वक" किया है।
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अंतरिक्ष में उपग्रह उप-प्रणालियों की कार्यक्षमता और अपेक्षित विद्युत चुम्बकीय स्तरों के साथ उनकी अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए उपग्रह मिशनों के लिए ईएमआई-ईएमसी परीक्षण आयोजित किया जाता है।
इस परीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष में उपग्रह की प्रणालियां संभावित विद्युत चुंबकीय स्तरों के साथ मिलकर समुचित तरीके से काम करें।
यह परीक्षण उपग्रहों को तैयार करने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह परीक्षण 31 जनवरी और 2 फरवरी के बीच बैंगलुरू के यू आर रॉव उपग्रह केन्द्र में किया गया।
इस परीक्षण के दौरान चंद्रयान के लैंडिंग मिशन के बाद के चरण से संबंधित कई बिंदुओं की जाँच की गई।
इनमें प्रक्षेपण योग्यता, रेडियो फ्रिक्वेंसी प्रणालियों के लिए एंटीना के ध्रुवीकरण और लैंडर तथा रोवर की अनुकूलता सहित अनेक परीक्षण शामिल हैं।
परीक्षण के दौरान सभी प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक रहा।
इस अभियान की जटिलता का संबंध इन मॉडयूल के बीच रेडियो फ्रिक्वेंसी संचार संपर्क स्थापित करने से है।
5. सऊदी अरब इस साल अपनी पहली महिला अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजेगा
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सऊदी अरब की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री इस साल अंतरिक्ष में जा रही हैं, इसे सऊदी अरब की अति-रूढ़िवादी छवि को सुधारने के लिए उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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सऊदी महिला अंतरिक्ष यात्री रेयना बरनावी इस साल अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के 10 दिवसीय मिशन पर सऊदी अली अल-कर्नी के साथ शामिल होंगी।
बरनावी और अल-कर्नी अमेरिकी निजी तौर पर वित्त पोषित अंतरिक्ष अवसंरचना डेवलपर अंतरिक्ष कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा एक मिशन के हिस्से के रूप में स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार होकर आईएसएस के लिए उड़ान भरेंगे।
एक्स -2 को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
एक अन्य साथी अमीराती, सुल्तान अल-नेयादी भी इस साल फरवरी में अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करेंगे।
Axiom Space ने अप्रैल 2022 में ISS के लिए अपना पहला निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन की शुरुआत की जिसके तहत चार निजी अंतरिक्ष यात्रियों ने कक्षा में 17 दिन बिताए।
2019 में, सऊदी का पड़ोसी देश संयुक्त अरब अमीरात अपने एक नागरिक को अंतरिक्ष में भेजने वाला पहला अरब देश बना था। अंतरिक्ष यात्री हज्जा अल-मंसूरी ने आईएसएस पर आठ दिन बिताए।
1985 में, सऊदी शाही राजकुमार सुल्तान बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ ने एक अमेरिकी-संगठित अंतरिक्ष मिशन में भाग लिया, जो अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले पहले अरब मुस्लिम बने।
सऊदी अरब
सुल्तान - सलमान
राजधानी - रियाद
मुद्रा - सऊदी अरब रियाल
राजभाषा - अरबी
आधिकारिक धर्म - इस्लाम
6. जम्मू कश्मीर में पहली बार मिला लिथियम का भंडार
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देश में पहली बार जम्मू संभाग के रियासी जिले में 59 लाख टन लिथियम के भंडार मिले हैं।
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भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में लिथियम के भंडार की खोज की है I
वर्तमान में भारत लिथियम, निकल और कोबाल्ट के लिए आयात पर निर्भर है। इस खोज से भारत की अन्य देशों पर लिथियम की निर्भरता कम होगी I
62वीं केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड (CGPB) की बैठक के दौरान लिथियम और गोल्ड समेत 51 खनिज ब्लॉकों पर एक रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपी गई I
इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल्स से संबंधित हैं।
ये खनिज 11 राज्यों के विभिन्न जिलों में पाए गए हैं जिनमें जम्मू और कश्मीर (यूटी), आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना शामिल हैं।
लिथियम:
यह एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक (Li) है।
यह एक नरम तथा चाँदी के समान सफेद धातु है।
मानक परिस्थितियों में यह सबसे हल्की धातु और सबसे हल्का ठोस तत्त्व है।
यह क्षारीय एवं एक दुर्लभ धातु है।
लिथियम का परमाणु क्रमांक 3 और परमाणु भार 6.941u होता है।
लिथियम मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रिचार्जेबल बैटरी के प्रमुख घटकों में से एक है।
इसका उपयोग कुछ गैर-रिचार्जेबल बैटरी में हृदय पेसमेकर, खिलौने और घड़ियों जैसी चीजों के लिए भी किया जाता है।
सर्वाधिक भंडार वाले देश: चिली> ऑस्ट्रेलिया> अर्जेंटीना
7. इसरो ने अपना सबसे छोटा रॉकेट एसएसएलवी - डी 2 लॉन्च किया
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सतीश धवन स्पेस सेंटर (श्रीहरिकोटा) से अपने सबसे छोटे रॉकेट एसएसएलवी-डी2 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया है।
खबर का अवलोकन:
इसरो (ISRO) के SSLV-D2 ने अपने साथ तीन सैटेलाइट्स लेकर अंतरिक्ष में उड़ान भरी।
इनमें इसरो की सैटेलाइट ईओएस -07, चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज की सैटेलाइट आजाद सैट-2 और अमेरिकी कंपनी अंतारिस की सैटेलाइट जेएएनयूएस 1 शामिल है।
इन तीनों सैटेलाइट्स को 450 किलोमीटर दूर सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा I
इसरो का सबसे छोटा नया रॉकेट एसएसएलवी-डी2 लॉन्च ऑन डिमांड की तकनीक पर काम करता है।
इसमें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करने की क्षमता है।
एसएसएलवी-डी2 की लंबाई 34 मीटर जबकि चौड़ाई 2 मीटर है। यह करीब 120 टन के भार के साथ उड़ान भर सकता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो):
इसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी।
यह भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है। यह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना अंतरिक्ष रॉकेट लॉन्च करता है ।
मुख्यालय: बेंगलुरु
अध्यक्ष: एस सोमनाथ
8. इसरो-नासा द्वारा बनाया गया 'निसार' उपग्रह सितंबर में भारत से होगा लॉन्च
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नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह सितंबर में संभावित प्रक्षेपण के लिए फरवरी 2023 के अंत में भारत भेजा जाएगा।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भारत में भेजे जाने से पहले नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह के अंतिम विद्युत परीक्षण की निगरानी के लिए हाल ही में कैलिफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल) का दौरा किया।
यह मिशन पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतहों का पहले से कहीं अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा।
इस एसयूवी-आकार के पेलोड को बेंगलुरु में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के लिए 14,000 किलोमीटर की उड़ान के लिए एक विशेष कार्गो कंटेनर में ले जाया जाएगा।
'निसार' उपग्रह के बारे में
इसरो और नासा ने 2014 में 2,800 किलोग्राम वजनी उपग्रह बनाने के लिए समझौता किया था।
मार्च 2021 में, इसरो ने जेपीएल द्वारा निर्मित एल-बैंड पेलोड के साथ एकीकरण के लिए भारत में विकसित अपने एस-बैंड एसएआर पेलोड को नासा को भेजा।
यह पृथ्वी और बदलती जलवायु को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह पृथ्वी की पपड़ी, बर्फ की चादर और पारिस्थितिक तंत्र पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।
निसार अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपण के लिए यू आर राव उपग्रह केंद्र में उपग्रह बस में एकीकृत किया जाएगा।
9. गूगल ने पेश किया एआई चैटबॉट 'बार्ड'
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हाल ही में गूगल द्वारा चैटजीपीटी (ChatGPT) को टक्कर देने के लिए "गूगल बार्ड" नामक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संचालित चैटबॉट लांच किया गया है I
खबर का अवलोकन:
बार्ड को गूगल के मौजूदा भाषा मॉडल LaMDA पर बनाया गया है, जो फर्म के डायलॉग एप्लिकेशन सिस्टम के लिए भाषा मॉडल है।
गूगल के अनुसार पहले इसे टेस्टर्स के एक समूह द्वारा उपयोग किया जायेगा जिसके बाद बार्ड को आम लोगों के लिए पेश किया जायेगा I
बार्ड को वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ते उपयोगकर्ता एप्लिकेशन, चैटजीपीटी के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए विकसित किया गया है, जिसने टिक टोक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्मों को पीछे छोड़ दिया है।
बार्ड के जरिए यूजर्स पहले की तरह आसान भाषा में मुश्किल जानकारी हासिल कर सकते हैं, इतना ही नहीं गूगल के चैटबॉट से ताजा, उच्च गुणवत्ता वाली और सटीक जानकारी भी मिल सकती है।
चैटबॉट क्या है?
चैटबॉट एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है जिसका उपयोग लाइव मानव एजेंट के साथ सीधे संपर्क प्रदान करने के बदले टेक्स्ट या टेक्स्ट-टू-स्पीच के माध्यम से ऑन-लाइन चैट वार्तालाप करने के लिए किया जाता है।
आसान भाषा में चैटबॉट का मतलब होता है बातचीत करने वाला रोबोट I
चैटबॉट 2 प्रकार के होते हैं -
नियम-आधारित चैटबॉट
एआई-आधारित चैटबॉट
एआई-आधारित चैटबॉट:
एआई-आधारित चैटबॉट के डाटाबेस में पहले से कोई सवाल-जवाब सेव नहीं होते हैं बल्कि ये अपनी बुद्धि से जवाब देते हैं। आप इनसे कोई भी सवाल पूछ अपना जवाब पा सकते हैं।
यह यूजर्स के व्यवहार और उनके द्वारा पूछे गए सवालों के अनुसार सीखता है और अपने आप को बहुत तेजी से विकसित करता रहता है।
10. रिलायंस ने भारत का पहला हाइड्रोजन इंटरनल कम्बशन इंजन (H2-ICE) ट्रक पेश किया
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बेंगलुरु में ‘इंडिया एनर्जी वीक’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत का पहला हाइड्रोजन इंटरनल कम्बशन इंजन (H2-ICE) ट्रक पेश किया गया I
खबर का अवलोकन:
H2-ICE में ICE का आशय Internal Combustion Engine (आंतरिक दहन इंजन) है।
इसका विकास रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) द्वारा अशोक लेलैंड के साथ मिलकर किया गया है।
H2-ICE ट्रक भारत में हाइड्रोजन द्वारा संचालित होने वाला अपनी तरह का पहला ट्रक है।
ट्रक में परंपरागत डीजल ईंधन या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के स्थान पर हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है, जिससे कार्बन का उत्सर्जन लगभग शून्य हो जाता है।
हाइड्रोजन को सबसे क्लीन फ्यूल माना जाता है। इससे सिर्फ पानी और ऑक्सीजन का ही उत्सर्जन होता है।
यह पारंपरिक डीजल ट्रक्स की अपेक्षा शोर कम करता है जबकि परफॉर्मेंस उसके बराबर ही देता है। इसकी परिचालन लागत भी कम है।
H2-ICE में दहन सिद्धांत इस प्रकार है:
2H2 + O2 → 2H2O
दो हाइड्रोजन परमाणु एक ऑक्सीजन परमाणु के साथ मिलकर पानी बनाते हैं। इस प्रतिक्रिया के दौरान निकलने वाली ऊष्मा ऊर्जा का उपयोग स्पार्क प्लग को प्रज्वलित करने के लिए किया जाता है।
पहला H2-ICE वर्ष 1806 में फ्रेंकोइस इसाक डी रिवाज द्वारा विकसित किया गया था। यह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण पर चलता था।